-30 वर्ष बाद शनि देव ने बनाया शक्तिशाली महायोग
पूनम सिंह/ नई दिल्लीः 24 जून।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को बलशाली ग्रह और कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है। शनि की दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वह नवग्रहों में सबसे मंद गति से अपनी यात्रा पूर्ण करते हैं। वह एक राशि में करीब ढाई वर्ष रहते हैं। अब शनि देव लगभग 30 वर्षों के बाद गुरू की राशि मीन में प्रवेश कर गये हैं और जून 2027 तक इसी राशि में गोचर करेंगे। प्रमुख बात है कि शनि देव इस दौरान शक्तिशाली केंद्र त्रिकोंण राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इस राजयोग की वजह से कई राशियों के जातकों को विशेष लाभ की प्राप्ति होगी।
कुंडली में केंद्र त्रिकोंण राजयोग के बनने की स्थिति को बेहद शुभ माना जाता है। कुंडली में केंद्र के भाव जैसे कि 4, 7, 10 और 3 त्रिकोंण भाव जैसे 1, 5 और 9 जब आपस में युति की दृष्टि का संबंध या फिर राशि परिवर्तन करते हैं तब इस योग का निर्माण होता है। वर्तमान में शनि देव मिथुन राशि में त्रिकोंण और भाग्य भाव के स्वामी बनकर केंद्र के भाव में गोचर कर रहे हैं। जिससे केंद्र त्रिकोंण राजयोग का निर्माण हो रहा है।
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मिथुनः शनि देव मिथुन राशि के दशम भाव में केंद्र त्रिकोण राजयोग बना रहे हैं। शनि दस राशि के त्रिकोंण और भाग्य भाव के स्वामी होकर केंद्र के भाव में गोचर कर रहे हैं। जिससे केंद्र त्रिकोण राजयोग भी बन रहा है। गोचर काल के दौरान मिथुन राशि के जाकों को कार्यक्षेत्र में काफी लाभ मिल सकता है। प्रमोशन के साथ वेतन वृद्धि हो सकती है। अचानक धन लाभ के योग बन रहे हैं। शनि की दृष्टि मिथुन राशि के 12 वें भाव में पड़ रही है, यह विदेश का भाव होता है। ऐसे में विदेश संबंधी कार्यों में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है। शनि की दृष्टि सातवें भाव में पड़ने से आपको व्यापार में बड़ा लाभ मिल सकता है। विदेश में व्यापार को बढ़ा सकते हैं। भूमि, भवन और प्रॉपर्टी खरीदने का सपना पूरा हो सकता है। साथ ही राजनीति एवं प्रशासनिक क्षेत्र. में लाभ मिल सकता है। आपको उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है। शनि देव का केंद्र त्रिकोंण राजयोग मिथुन राशि वालों के लिए बेहद अनुकूल समय लेकर आया है।
मकरः शनि देव का यह गोचर मकर राशि वालों की कुंडली के तीसरे भाव में हो रहा है। शनि देव की तीसरी दृष्टि पंचम भाव पर और सातवीं दृष्टि नवम भावप र एवं दसवीं दृष्टि 12 वें भाव पर पड़ रही है। खास बात है कि मकर राशि वालों को हाल ही में शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिली है। ऐसे में जातकों के लिए शनि का केंद्र त्रिकोंण राजयोग बेहद शुभ साबित जोने वाला है। रूके हुए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। शनि आपकी परिश्रम करने की क्षमता को बढ़ायेंगे। विदेश का भाव माना जाने वाले 12 वें भाव पर शनि की दृष्टि पड़ने से विदेश में व्यापार और नौकरी का लाभ मिल सकता है। जातकों के लिए विदेश से धन लाभ के योग बन रहे हैं। आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होगी। नए उत्साह के साथ नए कार्यों को करेंगे। नवम भाव में शनि की दृष्टि पड़ने से किस्मत का साथ मिल सकता है। बैंकिंग, फाइनेंस, शिक्षा, वकालत, आईटी सेक्टर, कंप्यूटर आदि क्षेत्रों से जुड़े जातकों को लाभ मिल सकता है। आपके हर काम पूरे होंगे और धन लाभ भी होगा। शनि की दसवीं दृष्टि जब 12 वें भावप र पड़ रही है। ऐसे में बेकार के खर्चों से छुटकारा मिल सकता है। इसके साथ ही धन अर्जित करने में सफल रहेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में भी आपको लाभ पाप्त होगा। पढ़ाई में मन लगेगा। ऐसे में आपको अपार सफलता मिल सकती है। शनिदेव के इस गोचरकाल के दौरान आपके लिए नया स्टार्टअप शुरू करना लाभकारी हो सकता है।
मीनः शनि देव मीन राशि के लाभ भाव के स्वामी होकर लग्न भाव में विराजमान हैं। साथ ही जातकों के जीवन में शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण समाप्त हो चुका है और दूसरा चरण आरंभ हो चुका है। शनि मीन राशि वालों को अच्छे फल दे रहे हैं। आपकी आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी। जुलाई माह से शनि का अंश बल 7 होने से वह जतकों को खूब लाभ प्रदान करेंगे। स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होगा, फालतू खर्चों से निजात मिलेगी, धन का संचय करने में आसानी होगी। कुंडली के तीसरे भाव में शनि की दृष्टि पड़ने से आपको कई यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। इन यात्राओं से लाभ की प्राप्ति होगी। विदेशों में संचार के माध्यम से जुड़कर लाभ कमा सकते हैं। शनि की दृष्टि सातवें भाव में पड़ने से व्यापार में खूब लाभ प्राप्त होगा। आयात-निर्यात से लाभ प्राप्त होगा। लंबे समय से अटकी कार्ययोजना पूरी हागी। राजनीति, रियल एस्टेट, प्रॉपर्टी डीलिंग, आर्किटेक्ट, बिल्डर, ऑटोमोबाइल, चमड़ा, कोयला आदि के क्षेत्र से जुड़े जातकों को लाभ की प्राप्ति होगी।