-सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के सिविल खंड-3 का मामला, कराई विभाग की किरकिरी
-सूचना के लिए जमा कराया गया शुल्क दो सप्ताह के अंदर वापस करने का आदेश
-आयोग ने जनसूचना अधिकारी के द्वारा देरी से सूचना देने को माना गंभीर लापरवाही
-शेष विंदुओं में मांगी गई सूचना भी दो सप्ताह के अंदर निःशुल्क प्रदान करने का आदेश
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 03 दिसंबर।
देरी से सूचना उपलब्ध कराने की आदत को केंद्रीय सूचना आयोग ने गंभीर लापरवाही और उदासीन दृष्टिकोण माना है। इसके लिए जनसूचना अधिकारी को आयोग ने कड़ी फटकार लगाई है। मामला दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के सिविल खंड-3 का है। आयोग ने जनसूचना अधिकारी एवं एग्जीक्यूटिव इंजीनियर नागेंद्र प्रताप मौर्या के रवैये को लेकर भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी है। जनसूचना अधिकारी को इसकी भरपाई अपनी जेब से करनी होगी।
केंद्रीय सूचना आयोग ने जनसूचना अधिकारी के रवैये और प्राकृतिक न्याय को ध्यान में रखते हुए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर नागेंद्र प्रताप मौर्या को आदेश दिया है कि फोटो कॉपी चार्जेज के लिए आवेदक से लिया गया शुल्क दो सप्ताह के अंदर आवेदक को वापस किया जाये और विंदु संख्या 3 और 4 से संबंधित सूचना दो सप्ताह के अंदर आवेदक को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाये।
आयोग ने अपने आदेश में इस चूक को गंभीरता से लिया है और पीआईओ को भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी है ताकि ऐसी चूक दोबारा न हो और आरटीआई मामलों से निपटने के दौरान आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों को अक्षरशः पालन किया जाए।
गौरतलब है कि एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के सिविल खंड-3 से 5 विंदुओं में सूचना मांगी थी। इसके पश्चात संबंधित जनसूचना अधिकारी ने 3 विंदुओं के लिए शुल्क जमा करा लिया था और 2 विंदुओं से संबंधित सूचना बाद में उपलब्ध कराने की बात कही थी। इसके पश्चात प्रथम अपीलीय अधिकारी/ सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर वाई के शर्मा ने आवेदक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 15 दिन के अंदर सूचना उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया था। परंतु संबंधित जनसूचना अधिकारी ने 2 विंदुओं के लिए शुल्क जमा कराने के बावजूद एक साल तक सूचना उपलब्ध नहीं कराई थी। जब मामला केंद्रीय सूचना आयोग के पास पहुंचा और द्वितीय अपील की सुनवाई का नोटिस संबंधित एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को मिला, तब केवल दो विंदुओं में मांगी गई सूचना ही आवेदक को उपलब्ध कराई गई। इसको लेकर केंद्रीय सूचचना आयोग ने अपील की सुनवाई के दौरान कड़ी नाराजगी जाहिर की।
केद्रीय सूचना आयोग की फटकार के बाद सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों में चर्चा है कि संबंधित जनसूचना अधिकारी नागेंद्र प्रताप मौर्या ने दिल्ली सरकार और विभाग की बड़ी किरकिरी कराई है। आयोग ने मामले की सुनवाई 8 नवंबर 2024 को की थी और इसका आदेश 20 नंवंबर को जारी किया गया है। जनसूचना अधिकारी को इसकी भरपाई अपनी जेब से करनी होगी। बताया जा रहा है कि विभाग में इस तरह के भुगतान की व्यवस्था नहीं है।