J & K: हिंदू बहुल इलाकों में BJP और मुस्लिम बहुल इलाकों में CONGRESS-NC को बढ़त… अलगाववाद समर्थकों की बनेगी सरकार!

-मुस्लिमों (श्रीनगर क्षेत्र) ने बीजेपी को पूरी तरह से नकारा, कश्मीर क्षेत्र में नहीं खुला बीजेपी का खाता

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 8 अक्टूबर।
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया है। राज्य में अब अलगाव वाद समर्थकों की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही मंगलवार को आये नतीजों ने केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर भी बड़े सवाल खड़े किये हैं। बीजेपी भले ही जम्मू क्षेत्र में प्राप्त करीब 29 सीटों के आधार पर खुश हो रही हो, परंतु भारतीय जनता पार्टी के ‘सबका साथ-सबका विकास’ को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी को मुस्लिम मतदाताओं को वोट नहीं मिला है।
खास बात है कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने चुनाव से पहले नारा दिया था कि उनकी सरकार बनी तो जेलों में बंद अलगाव वादियों (देश द्रोहियों-आरोपियों) को रिहा कर दिया जायेगा। जिसका असर यह हुआ कि श्रीनगर क्षेत्र में बीजेपी को कोई महत्व नहीं मिला।
मुस्लिम मतदाताओं ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को भी पूरी तरह से नकार दिया है। 43 सीटों वाले जम्मू क्षेत्र में पीडीपी खाता तक नहीं खोल पाई। वहीं 47 सीटों वाले श्रीनगर क्षेत्र में पीडीपी को महज 3 सीटें ही हासिल हुई हैं।
43 सीटों वाले जम्मू क्षेत्र में खबर लिखे जाने तक 29 सीटें हासिल हुई हैं। कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस को 8 और अन्य दलों को 6 सीटें मिली हैं। वहीं, 47 सीटों वाले श्रीनगर क्षेत्र में कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस को 41, पीडीपी को 3 और अन्य दलों को 3 सीटें मिली हैं। इससे स्पष्ट हुआ है कि बीजेपी को मुस्लिम मतदाताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है। बीजेपी के सबका साथ-सबका विकास को भी जम्मू कश्मीर के मतदाताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है।
कश्मीरी अवाम ने शांति और समृद्धि के बजाय चुना ‘मजहबी जूनून’
कश्मीर से आये चुनावी नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीरी अवाम ने समृद्धि, विकास, शांति, सुरक्षा और पर्यटन की वापसी के बजाय ‘मजहबी जुनून’ और ‘कट्टरवाद’ को चुना है। कश्मीर से धारा- 370 और 35-ए को हटाये जाने के बाद से राज्य में पर्यटन की वापसी के साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ने लगे थे। शांति व्यवस्था भी कायम हो रही है। परंतु जिस तरह से अलगाव वाद और कट्टरवाद समर्थक नारे देने वाले दलों को कश्मीरी मतदाताओं का साथ मिला है, उससे स्पष्ट हो गया है कि कश्मीरी अवाम अभी ‘सबका साथ- सबका विकास’ के लिए तैयार नहीं है।
बीजेपी को नहीं मिला जम्मू कश्मीर में हजारों करोड़ की योजनाओं का लाभ
पिछले कुछ समय में केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को हजारों करोड़ रूपये की विकास परियोजनाएं दी हैं। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दर्जन भर बार जम्मू और कश्मीर जाकर परियोजनाओं का उद्घाटन करके आये हैं। जाहिर सी बात है कि जम्मू कश्मीर राज्य से मोदी सरकार को राजस्व के रूप में कोई मदद नहीं मिलती है। ऐसे में अन्य राज्यों से प्राप्त राजस्व का एक बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर के विकास पर खर्च करने के बावजूद वहां की अधिकतम आबादी के द्वारा मोदी सरकार की ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीति को नकारा जाना कई बड़े सवाल खड़ा करता है।