-बीजेपी नेताओं में चर्चाओं का दौर शुरू… निष्क्रियता की वजह से राजा इकबाल सिंह को छोड़ना पड़ सकता है अपना पद
हीरेन्द्र सिंह राठौ़ड़/ नई दिल्लीः 2 अप्रैल।
दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) में जल्दी ही दो बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। अप्रैल महीने में ही अगले 27 दिन के अंदर मेयर का चुनाव (Mayor Election) होना है। खास बात यह है कि मेयर शैली ओबरॉय को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी और उनके स्थान पर किसी एससी वर्ग के निगम पार्षद को यह कुर्सी दी जायेगी। यह बदलाव आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षदों के बीच होगा जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदर अपने नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह (LOP Raja IQbal Singh) को बदलने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कई निगम पार्षद भी राजा इक़बाल सिंह के कामकाज नीति से नाखुश बताये जा रहे हैं l
राजा इकबाल सिंह को 22 जून 2023 को दिल्ली नगर निगम में बीजेपी निगम पार्षदों का नेता (Leader of BJP Councilors) और एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। परंतु एक साल से भी कम समय में उन्हें इस पद से हटाया जा सकता है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उनका अब तक कार्यकाल ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। उनके पास सूचनाओं का अभाव रहता है। राजा इकबाल सिंह समय पर निगम से जुड़े मुद्दों को उठाने में नाकामयाब रहे हैं। जिसकी वजह से नगर निगम में पार्टी का नुकसान हो रहा है।
बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता ने बताया कि दिल्ली बीजेपी ने उन्हें उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट (North East Loksabha Parliamentary Constituency) पर चुनाव की जिम्मेदारी दी है। जिसकी वजह से वह नगर निगम के कामों का ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं। खास बात है कि मेयर शैली ओबरॉय ने नगर निगम के 1534 प्राथमिक विद्यालयों (MCD Schools) को करीब 25 करोड़ रूपये की राशि 27 मार्च से 30 मार्च के बीच जारी कर दी और इसके लिए 31 मार्च तक ठेकेदारों को भुगतान के आदेश भी जारी कर दिये। परंतु नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह को इसका पता ही नहीं चला। हालांकि पार्टी के एक प्रदेश प्रवक्ता ने इस मामले को समय रहते उठा दिया, जिसकी वजह से निगम में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को थोड़ी मुश्किल हो सकती है।
पार्टी से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का यह भी कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह अपनी निष्क्रियता की वजह से पिछड़े हों, बल्कि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका और इन मामलों में बीजेपी को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ा है। बताया जा रहा है कि अप्रैल महीने में बीजेपी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की कमान किसी अन्य तेज तर्रार निगम पार्षद को दे सकती है।