हरियाणा में ‘खट्टर’ के साथ BJP का ‘सिक्सर’

-लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की हरियाणा सरकार में फेरबदल
-नायब सैनी ने संभाली हरियाणा के मुख्यमंत्री की कमान, अनिल विज नाराज

जतन किशोर शुक्ला/ चंडीगढ़-दिल्लीः 12 मार्च।
लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा (Hariyana) में बड़ा उलटफेर कर दिया है। मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Ex CM Manohar Lal Khattar) ने अपने पूरे मंत्रीमंडल के साथ इस्तीफा दे दिया। इसके बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नायब सैनी (State BJP President Nayab Singh Saini) अपने सहयोगियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाने के साथ ‘सिक्सर’ लगाया है, यानी कि खट्टर बीच कार्यकाल में हटाये जाने वाले पार्टी के छठे मुख्यमंत्री हैं। बता दें कि हरियाणा के पूर्व ग्रह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज नाराज बताये जा रहे हैं। इसकी वजह से वह नायब सिंह सैनी के शपथ गृहण समारोह में शामिल नहीं हुए।
हरियाणा सरकार में अब कोई उप-मुख्यमंत्री नहीं है। मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ कंवर लाल गुर्जर (Kanwar Pal Gurjar), रणजीत सिंह चौटाला (Ranjit Singh Chautala), जय प्रकाश दलाल (Jai Prakash Dalal), मूलचंद शर्मा (Mool Chand Sharma) और डॉ. बनवारी लाल (Dr. Banwari Lal) ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ गृहण की। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बता दें कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा का मुख्यमंत्री बदलकर सियासी फायदा उठाने का फूलप्रूफ मास्टर प्लान तैयार किया है। इससे पहले भी बीजेपी इस तरह के प्रयोग करती रही है और पार्टी को इसका फायदा भी मिलता रहा है। मनोहर लाल ऐसे छठे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें इस तरह के प्रयोग के तहत हटाया गया है।
बीजेपी ने इस तरह के प्रयोग की शुरूआत उत्तराखंड से की थी। इस तरह के पहले मुख्यमंत्री त्रिवंद्र सिंह रावत थे, वह 2017 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे परंतु उन्हें अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उनकी जगह पर तीरथ सिंह रावत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन वह भी महज 116 दिन ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सके थे और चुनाव से पहले उन्हें हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। यानी कि तीरथ सिंह रावत इस तरह के दूसरे मुख्यमंत्री थे।
इससे पूर्व साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदी बेन पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि दो साल और 77 दिनों के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर विजय रूपाणी को गुजरात के मुख्यमंत्री की कमान सोंपी गई थी। विजय रूपाणी के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी ने 14 वीं विधानसभा का चुनाव तो जीता परंतु वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। इसके बाद बीजेपी ने भूपेंद्र पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया, जो कि अब भी राज्य की कमान संभाल रहे हैं।
बीजेपी ने इसी तरह का उदाहरण कर्नाटक में भी दिया था। साल 2018 में बीएस येदुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनाये गये थे। परंतु तीन दिन के बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बदले हालातों में जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद लगभग एक वर्ष के अंतराल में एक बार फिर राज्य के हालात बदले और बीएस येदुरप्पा को एक बार फिर कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन एक बार फिर वह सीएम की कुर्सी पर ज्यादा दिन तक नहीं बैठ सके और बदले सियासी हालातों के बीच उनके स्थान पर बसवराज बोम्मई को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था।