तीनों राज्यों के चुनाव में NOTA से हारी AAP… 204 में से 201 उम्मीदवारों की जमानत जब्त

-एमपी, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में आप का नहीं खुल सका खाता, जनता को नहीं भाया ‘फ्री’ वाला वादा

शक्ति सिंह/ नई दिल्लीः 4 दिसंबर, 2023।
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त आम आदमी पार्टी (Am Aadmi Party) को हाल ही में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में तग़ड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आप का खाता नहीं खुल सका। यहां तक कि तीनों राज्यों में पार्टी ने 204 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 201 उम्मीदवारों की बुरी तरह से जमानत जब्त हो गई। इससे स्पष्ट हो गया है कि उत्तर भारत के इन तीन प्रमुख राज्यों की जनता को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ‘फ्री’ वादा वाद बिलकुल पसंद नहीं आया। आम तौर पर कांग्रेस के प्रभुत्व वाले दिल्ली और पंजाब में आप को सफलता मिल चुकी थी, लेकिन इस बार कांग्रेस (Congress) की सत्ता वाले राजस्थान और छत्तीसगढ़़ में मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी (AAP) को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया।
गौरतलब है कि तीनों राज्यों मे आम आदमी पार्टी ने कुल 204 उम्मीवार खडे किये थे, यानी कि पार्टी नेतृत्व को सभी सीटों पर चुनाव लड़ने वाले भी नहीं मिल सके। इन 204 में से 201 उम्मीदवारों की बुरी तरह से जमानत जब्त हो गई। सबसे बड़ी बात है कि तीनों राज्यों में आम आदमी पार्टी से ज्यादा वोट तो नोटा को मिले हैं। यानी कि आम आदमी पार्टी को वोट देने वालों से ज्यादा संख्या तो तीनों राज्यों में ऐसे लोगों की है, जिन्हें चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से किसी को वोट देना पसंद नहीं था।
आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा क्षेत्रों में से कुल 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। केवल 2 उम्मीदवार ही यहां अपनी जमानत बचाने लायक वोट हासिल कर सके। पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवार एक हजार वोट से नीचे रहे। राजस्थान की कुल 200 सीट में से 199 पर चुनाव हुए, इनमें से आप ने कुल 85 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। परंतु इनमें से 84 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। केवल एक उम्मीदवार ही अपनी जमानत राशि बचा पाया।
छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव में तो आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन और भी ज्यादा खराब रहा। राज्य के 90 विधानभा क्षेत्रों में से आप ने केवल 54 सीटों पर चुनाव लड़ा। यहां कोई एक भी उम्मीदवार अपनी जमान नहीं बचा सका और इनमें से सभी 54 उम्मीदवार अपनी जमानत गंवा बैठे। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तर भारत के इन तीनों राज्यों में उपस्थिति दर्ज करवाकर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस सहित अन्य दलों पर अपनी ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए दबाव बनाना चाहते थे। परंतु इन तीन राज्यों के मतदाताओं ने आप को पूरी तरह से नकार कर पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की रणनीति पर पानी फेर दिया है।
नोटा से भी हारी आप
उत्तर भारत के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो आम आदमी पार्टी नोटा से भी बहुत ज्यादा पीछे रह गई। मध्य प्रदेश में नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या करीब 4 लाख 27 हजार रही, जबकि आम आदमी पार्टी को पूरे राज्य में केवल 2 लाख 33 हजार के आसपास रही। राजस्थान में नोटा को करीब 3 लाख 42 हजार वोट हासिल हुए, जबकि आम आदमी पार्टी को महज 1 लाख 49 हजार वोट ही मिल पाये। इसी तरह छत्तीसग़ढ़ में नोटा को करीब 1 लाख 97 हजार वोट हासिल हुए, वहीं आप करीब 1 लाख 44 हजार वोट पर ही सिमट कर रह गई।
जानें, क्या होता है चुनाव में जमानत जब्त हो जाना
भारत में जब कोई व्यक्ति नगर निगम/ नगर पालिका, विधानसभा, लोकसभा या राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ता है तो चुनाव आयोग के द्वारा उससे एक जमानत राशि उसे नामाकन फार्म के साथ जमा करवाई जाती है। किसी चुनाव में उम्मीदवार को चुनाव में डाले गये कुल वोटों का 1/6 से कम वोट मिलते है या फिर 16.67 फीसदी से कम वोट हासिल होते हैं तो चुनाव आयोग द्वारा उसके द्वारा जमा कराई गई जमानत राशि को जब्त कर लिया जाता है।
विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को 10 हजार रूपये जमानत राशि के रूप में जमा कराने होते हैं, जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को केवल 5 हजार रूपये जमानत राशि के रूप में जमा कराने होते हैं। इसी तरह लोकसभा चुनाव लड़नें के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को जमानत राशि के रूप में 25 हजार रूपये जमा कराने होते हैं, जबकि एससी एवं एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 12 हजार 500 रूपये जमा कराने होते हैं। राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले सभी वर्ग के उम्मीदवारों को 15 हजार रूपये जमानत राशि के रूप में जमा कराने होते हैं।