-फंड जुटाने में नाकाम हो रहे प्रदेश कोषाध्यक्ष, इसलिए की जा रही ‘कॉस्ट कटिंग’!
-2 से 3 लाख रूपये तक का आ रहा था चाय-पानी का मासिक खर्च
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 4 अक्टूबर, 2023।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पदाधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही भारी पड़ने जा रही है। खास तौर पर पार्टी के मोर्चा पदाधिकारियों की आर्थिक सेहत के लिए बड़े नुकसान की खबर है। पार्टी प्रदेश नेतृत्व ने मोर्चा पदाधिकारियों के द्वारा चाय-पानी पर किये जाने वाले खर्चे पर रोक लगा दी है। अब यदि किसी पार्टी पदाधिकारी अथवा मोर्चा पदाधिकारी ने पार्टी कार्यालय में अपने मिलने-जुलने या फिर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यालय में स्थित कैंटीन से मंगाकर चाय-पानी पिलाना है तो खुद की जेब से भुगतान करना होगा। बताया जा रहा है कि ऐसा प्रदेश कोषाध्यक्ष की सिफारिश पर किया गया है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि दिल्ली प्रदेश बीजेपी के मोर्चा पदाधिकारियों के कमरों में पूरे दिन बिना किसी काम के लोग बैठे रहते हैं। इस मामले में अनुसूचित जाति मोर्चा सबसे ज्यादा बदनाम है। मोर्चा पदाधिकारियों के द्वारा खुद से मिलने के लिए आने वालों को कैंटीन से मंगाकर चाय-नाश्ता कराया जा रहा था। जिसकी वजह से आम तौर पर कैंटीन का बिल हर महीने 2 लाख रूपये तक पहुंच रहा था। किसी महीने तो यह बिल 3 लाख रूपये तक भी पहुंच जाता था।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि अनचाहे खर्चों पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। अब केवल पहले से तय कार्यक्रमों और बैठकों में ही पार्टी की ओर से चाय-नाश्ते की व्यवस्था पार्टी कोष से की जायेगी। यदि किसी पार्टी पदाधिकारी या मोर्चा पदाधिकारी से काई मिलने आता है उनके ऊपर किये जाने वाले चाय-नाश्ते के खर्च का भुगतान संबंधित पदाधिकारी को अपनी जेब से करना होगा।
फंड जुटाने में नाकाम हो रहे कोषाध्यक्ष!… होटल की तरह चलाते हैं धर्मशालाएं
दिल्ली बीजेपी के एक मोर्चा पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष फंड जुटाने मे नाकाम साबित हो रहे हैं। पूर्व कोषाध्यक्ष विष्णू मित्तल के कार्यकाल में इस तरह के सभी खर्चों का भुगतान पार्टी के कोष से किया जा रहा था। लेकिन सतीश गर्ग के कोषाध्यक्ष बनने पर 3 अक्टूबर से नई परंपरा डाल दी गई है। एक और मोर्चा पदाधिकारी ने कहा कि दिल्ली बीजेपी के कोषाध्यक्ष अपनी धर्मशालाओं को भी होटल की तरह चलाते हैं। धर्मशालाओं में ठहरने वालों से जमकर वसूली की जाती है। हर वर्ष दिल्ली से लावारिश अस्थियों को लेकर एक यात्रा हरिद्वार जाती है, उन लोगों से भी ठहरने के लिए यह लोग लाखों रूपये की वसूली करते हैं। अब यही व्यवस्था दिल्ली बीजेपी कार्यकर्ताओं पर थोपने की कोशिश की जा रही है।
मोर्चा पदाधिकारियों में नाराजगी
पार्टी के एक अन्य मोर्चा पदाधिकारी ने बताया कि कार्यकर्ता पार्टी के काम से ही प्रदेश कार्यालय आते हैं। यदि उन्हें चाय-पानी के लिए भी नहीं पूछा जायेगा तो पार्टी के काम के लिए कौन आयेगा? पार्टी के काम से आने वालों को चाय भी यदि पदाधिकारी अपनी जेब से पिलायेंगे या कार्यकर्ता खुद यह खर्च उठायेंगे तो पार्टी कार्यायल में आकर काम करने से ही कतराने लगेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी किसी पदाधिकारी या कार्यकर्ता को सेलरी नहीं देती है, फिर पहले से चले आ रहे चाय-पानी के खर्चे पर रोक लगाना उचित नहीं है। बता दें कि मंगलवार को केंटीन वालों ने मोर्चा पदाधिकारियों के चाय-पानी के ऑर्डर पर सामान भेजने से मना कर दिया था, इसके पश्चात पार्टी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है।
व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गयाः सतीश गर्ग
दिल्ली प्रदेश बीजेपी कार्यालय में मोर्चा पदाधिकारियों के चाय-पानी बंद किये जाने के बारे में जब प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश गर्ग से बात की गई तो उन्होंने साफ मना करते हुए कहा कि ‘‘व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जैसा पहले चल रहा था, वैसा ही अब चल रहा है’’। हालांकि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि व्यवस्था में बदलाव किया गया है और आने वाले दिनों में कुछ बदलाव और देखने को मिल सकते हैं।