UGC के ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ पर DTA ने विरोध जताया

-शिक्षकों के हित में नहीं है यूजीसी का यह फैसलाः डा हंसराज सुमन।
-बिना निर्धारित शैक्षिक योग्यता के अब कोई बन सकेगा प्रोफेसर

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 22 अगस्त।
आम आदमी पार्टी से संबद्ध शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने यूजीसी के ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा की है। यूजीसी ने फैसला लिया है कि अब बिना शैक्षिक योग्यता, डिग्री व पीएचडी के विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में प्रोफेसर बन सकेंगे। डीटीए ने कहा है कि इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आएगी, साथ ही देशभर के शोधार्थियों में यूजीसी के इस कदम को लेकर गहरा असंतोष व्याप्त है। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से क्वालिटी एजुकेशन की बात करती है तो वहीं दूसरी ओर बिना डिग्री प्रोफेसर नियुक्त करने की सलाह दे रही है ।
एटूजैड न्यूज के लिए पत्रकार विजय कुमार से एक बातचीत में दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि हाल ही में यूजीसी की 18 अगस्त को बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें तीन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। इसमें सबसे प्रमुख प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस है। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को मंजूरी के बाद अब विश्वविद्यालयों में नेट और पीएचडी के बगैर भी शिक्षक बनकर सेवाएं देने का जो रास्ता खोला गया है इससे उच्च शिक्षा में आ रहे योग्य शोधार्थी प्रभावित होंग। जो वर्षो से कठिन परिश्रम करके पांच वर्षो के बाद पीएचडी डिग्री प्राप्त करते हैं।
ऐसी स्थिति में अब शोधार्थी उच्च शिक्षा से मुंह मोड़ लेंगे। उन्होंने यह भी बताया है कि इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में शैक्षिक योग्यता के बिना भी प्रोफेसर बनकर दो साल तक वे अपनी सेवाएं दे सकेंगे। डॉ.सुमन का कहना है कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में भी अग्निपथ योजना लागू करना चाहती है, जो शॉर्ट टर्म के लिए नई शिक्षा नीति के तहत प्रोफेसर के पदों को ठेके पर रखना चाहती है। जिसका डीटीए पुरजोर विरोध करेगा ।
डॉ. सुमन ने बताया कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के अंतर्गत जिन शिक्षकों की नियुक्तियां की जानी है इसमें गायक, नृत्यक, खेल, उद्योग, समाजसेवी से लेकर अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। आईआईटी और आईआईएम में पहले से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू है लेकिन यदि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इसे लागू किया जाता है तो शिक्षकों के हजारों पदों को समाप्त कर दिया जायेगा जिसका डीटीए हर स्तर पर विरोध करेगा।