-टीम ने जीत का श्रेय परिवार और आगे बढने के लिए प्रेरित करने वालों को दिया
-लॉन बॉल प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली टीम में दिल्ली की पिंकी और जीसस मैरी कालेज की अंजू लूथरा भी
-पिंकी बोली : क्रिकेट के बाद अब हमारे खेल की भी चर्चा होगी
विजय कुमार/ नई दिल्ली, 3 अगस्त।
जिस देश में सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट बिकता हो, उसमें लॉन बॉल जैसे खेल ने पदक जीता हो तो उसकी बात और खिलाडियों की हौसला अफजाई की जानी चाहिए। बर्घिघम में मंगलवार रात को लॉनबाल खेल में भारतीय महिला खिलाडियों ने देश के लिए अपने खेल का पहला स्वर्ण जीत कर इतिहास रच दिया। भले ही इस खेल का नाम चंद लोगों ने ही सुना हो। मगर कमाल है भारत की बेटियों का , जिन्होंने विश्वपटल पर एक नई छाप छोड़ी है।
हालांकि अगर इस खेल की ही बात करें तो राष्टृमंडल खेलों में सर्वाधिक बार विजयी इंग्लैंड,आस्टृलिया व न्यूजीलैंड ने फहराया है। मगर भारतीय महिलाओं ने इस बार सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को और फाइनल में साउथ अफ्रीका को पटकते हुए पोडियम फिनिश किया। बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ खेल 2022 में लॉन बॉल्स फोर्स इवेंट का गोल्ड मेडल हासिल किया।
भारतीय टीम की मजेदार बात तो यह है कि जिन चार महिला खिलाडियों ने स्वर्ण पदक हासिल किया वह सभी अलग अलग प्रदेशों से आती है। जैसे कि लवली चौबे झारखंड पुलिस में कॉन्सटेबल हैं। पिंकी सिंह दिल्ली में फिजिकल एजुकेशन टीचर हैं। रूपा रानी टिर्की झारखंड में जिला खेल अधिकारी हैं और नयनमोनी सैकिया असम में वन अधिकारी हैं। पिंकी सिंह 2010 के राष्टृमंडल खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। जबकि उनकी टीम की मैनेजर अंजू लूथरा दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले जीसस मैरी कालेज की स्पोर्टस की प्रोफेशर है।
इस जीत पर फोन पर बातचीत पर अंजू लूथरा और पिंकी ने सयुंक्त रूप से बताया कि उनकी टीम के पास कई सालो से कोई कोच नहीं है, ना ही इसको खेलने की कोई सुविधा। उन्होंने अब तक का सफर अपने बल-बूते कवर किया है। डीपीएस आरके पुरम की खेल अध्यापिका पिंकी ने बताया कि 92 साल पुराने कॉमनवेल्थ खेलों के इतिहास में पहली बार 2010 के दिल्ली खेलों में पहली बार भारतीय पुरुष और महिला टीम ने इस इवेंट में क्वालीफाई किया था।
मगर पिछली तीन बार से कामयाबी नहीं मिलने के कारण उन्हें सरकार से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। खिलाड़ियों ने बिना कोच के ही प्रैक्टिस की। वहीं, बर्मिंघम में भी टीम टूर्नामेंट से चार दिन पहले ही पहुंची। चारों दिन ग्रीन ग्राउंड पर जमकर अभ्यास किया। जिसका फायदा उन्हें मिला।
टीम मैनेजर अंजू लूथरा ने बताया कि लॉन बॉल खेलने के लिए हरा मैदान और गेंद चाहिए। लेकिन गेंद भारत में नहीं बनती बल्कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से आयात होती है। इस पदक के बाद उम्मीद जताई कि हालात बदलेंगे।
इस जीत श्रेष्य सभी खिलाडियों ने अपने परिवार और सहयोगियो को दिया। जिन्होंने हमेशा उनको आगे बढने की प्रेरणा दी।
(खबर A2Z NEWS के विशेष संवाददाता का साथ फोन पर हुई बातचीत पर आधारित है)