-नहीं किया बीते पांच साल में करीब 1 अरब 35 करोड़ रूपये के जीएसटी का भुगतान
-दिल्ली नगर निगम के पार्किंग साइट्स के ठेकेदारों ने जमा नहीं कराया जीएसटी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 23 जुलाई, 2022
दिल्ली नगर निगम को करोड़ों रूपये का चूना लगाने के आरोपों के बाद पार्किंग माफिया का एक नया कारनामा सामने आया है। बीते पांच साल में दिल्ली का पार्किंग माफिया सरकार को अरबों रूपये का चूना लगा चुका है। पार्किंग ठेकेदारों के द्वारा पार्किंग शुल्क की वसूली तो की जा रही है, लेकिन इसके ऊपर सरकार को जीएसटी का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा। जबकि पार्किंग कांट्रैक्ट की शर्तों के मुताबिक टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदार या एजेंसी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इतने बड़े स्तर पर जीएसटी की चोरी के मामले का खुलासा सीएम कार्यालय में की गई एक शिकायत से हुआ है।
गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम राजधानी में करीब 400 पार्किंग स्थलों को ठेके पर निजी ठेकेदारों या एजेंसियों के जरिये चलवाता है। इसके बदले नगर निगम को हर साल करीब 150 करोड़ रूपये की राशि लाइसेंस शुल्क के रूप में प्राप्त होती है। पार्किंग ठेकेदार व एजेंसियां लोगों से पार्किंग शुल्क के नाम पर लाइसेंस शुल्क से कई गुना ज्यादा राशि वसूलते हैं। सरकारी संस्थान होने की वजह से नगर निगम को जीएसटी से छूट प्राप्त है। लेकिन पार्किंग ठेकेदारों के द्वारा लोगों से वसूली जाने वाली राशि पर जीएसटी सरकारी खजाने में जमा कराना जरूरी है।
बता दें कि मोदी सरकार ने 1 जुलाई 2017 से देशभर में जीएसटी लागू किया था। इस तरह की सेवाओं पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाता है। बीते पांच साल में दिल्ली नगर निगम को करीब 750 करोड़ रूपये की राशि पार्किंग लाइसेंस फीस के रूप में प्राप्त हुई है। अतः इस राशि के आधार पर भी पार्किंग ठेकेदारों और एजेंसियों की ओर करीब 1 अरब 35 करोड़ रूपये का जीएसटी बनता है, जो कि इन ठेकेदारों ने पिछले पांच साल में जमा नहीं कराया है। हालांकि ठेकेदारों के द्वारा पार्किंग शुल्क के रूप में वसूली गई राशि इससे कई गुना ज्यादा बनती है और उसके अनुसार जीएसटी भी इससे कई गुना ज्यादा बनता है।
एक दर्जन बड़े ठेकेदार व एजेंसियां
बताया जा रहा है कि दिल्ली नगर निगम के पार्किंग साइट्स करीब एक दर्जन बड़े ठेकेदारों/ एजेंसियों के द्वारा चलाये जा रहे हैं। इन ठेकेदारों के द्वारा अपने कर्मचारियों, रिश्तेदारों और कुछ दूसरे विश्वसनीय लोगों व कंपनियों के नाम पर ठेके लेकर पार्किंग चलाये जा रहे हैं। एजेंसियों के नाम भले ही अलग-अलग हों लेकिन ठेकेदार एक ही होता है।
सीएम कार्यालय में की जीएसटी चोरी की शिकायत
दिल्ली के मुख्यमंत्री को की गई एक शिकायत के मुताबिक दिल्ली का पार्किंग माफिया बड़े स्तर पर जीएसटी की चोरी कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में अकेले नगर निगम के पार्किंग ठेकेदारों ने ही 150 करोड़ रूपये से ज्यादा की जीएसटी की चोरी की है। शिकायतकर्ता बृजेश शुक्ला ने बताया कि जीएसटी के मामले में केवल दिल्ली नगर निगम को छूट प्राप्त है। लेकिन पार्किंग ठेकेदार और एजेंसियां जीएसटी के दायरे में आते हैं और उनके ऊपर जीएसटी जमा कराने की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को दिल्ली के जीएसटी कमिश्नर के सामने भी रखने जा रहे हैं।