-खंगाली जा रहीं 2017 की विधानसभा की याचिका समिति की सिफारिशों की फाइलें
-मना करने पर चीफ सैक्रेट्री को दोबारा नोटिस, समिति के सामने पेश हुए मुख्य सचिव
शक्ति सिंह/ नई दिल्लीः 22 जुलाई, 2022।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पुराने जख्मों को कुरेदना शुरू कर दिया है। इसके तार दिल्ली नगर निगम के स्पेशल ऑफिसर अश्विनी कुमार के साथ जुड़े हैं। मामला 2017 में हई नालों की सफाई पर उठे विवाद से जुड़ा है। नालों की सफाई में लापरवाही के मामले में गुरूवार को दिल्ली के चीफ सैक्रेट्री नरेश कुमार दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति के सामने पेश हुए। समिति ने कहा है कि 2017 में संबंधित विभागों ने दावा किया था कि 95 फीसदी नालों से गाद निकालने का काम पूरा हो गया है। लेकिन समिति के द्वारा निरीक्षण के दौरान यह दावे झूठे पाए गए थे। फिलहाल अश्विनी कुमार दिल्ली नगर निगम के स्पेशल ऑफिसर हैं और उनके ऊपर निगम की छवि सुधारने की जिम्मेदारी है। नगर निगम पर अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी का अधिकार है। जबकि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार नगर निगम को लेकर बीजेपी पर लगातार हमलावर है।
बता दें कि लंबे समय बाद इस समिति ने अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए जांच की सिफारिश की थी और मुख्य सचिव को कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के लिए तलब किया था। लेकिन मुख्य सचिव ने पहले ऐसे मामलों की जांच को याचिका समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर बता कर समिति के सामने उपस्थित होने से मना कर दिया था। विधानसभा की याचिका समिति ने मुख्य सचिव के उक्त पत्र पर फिर से नोटिस जारी किया था। जिसके बाद गुरूवार को उन्हें समिति के सामने पेश होना पड़ा।
बता दें कि 30 जून 2017 को विधानसभा सदन द्वारा याचिका समिति का गठन किया गया था। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने दिल्ली के मुख्य सचिव को उसकी रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई के संबंध में चर्चा करने के लिए बुलाया था। याचिका समिति की 2017 की रिपोर्ट में यह बताया गया था कि हालांकि विभागों ने दावा किया था कि 95 फीसदी नालों से गाद निकालने का काम पूरा हो चुका है। लेकिन कमेटी के निरीक्षण में यह दावे झूठे पाए गए थे।
तब 2017 में यह सिफारिश की गई थी कि गलती करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए गहन जाँच की आवश्यकता है, क्योंकि करदाताओं के करोड़ों रुपये गाद निकालने के लिए ठेकों पर खर्च किए जा रहे थे, जबकि जमीनी काम निराशाजनक था। इसी आधार पर समिति ने मुख्य सचिव को सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के लिए तलब किया था कि 2017 में याचिका समिति की सिफारिशों पर क्या हुआ?
चीफ सैक्रेट्री ने कर दिया था समिति के सामने पेश होने से मना
दिल्ली विधानसभा की समिति इस बात पर हैरानगी जताई थी कि मुख्य सचिव नरेश कुमार ने समिति के सामने पेश होने से मना कर दिया था। मुख्य सचिव ने कहा था कि ऐसे मामले की जांच करने के लिए समितियों का अधिकार क्षेत्र नहीं है। अतः वे समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे। याचिका समिति ने दिल्ली में जलजमाव की कई समाचार पत्रों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए मुख्य सचिव नरेश कुमार को फिर से पत्र लिखा था।
हालांकि इस पत्र में समिति ने कुछ नरमी दिखाते हुए मुख्य सचिव नरेश कुमार को दोबारा लिखे पत्र में लिखा था कि “समिति को उम्मीद थी कि इस आपातकालीन स्थिति में समिति की सहायता के लिए दिल्ली सरकार के शीर्ष और योग्य अधिकारी ज़रूर तत्पर होंगे”। समिति अध्यक्ष ने उनसे समिति के सदस्यों के समक्ष अपनी चिंताओं को रखने के लिए भी कहा, ताकि समिति इस पर विचार कर सके। इसके पश्चात मुख्य सचिव नरेश कुमार, निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती, एनडीएमसी अध्यक्ष, प्रमुख सचिव (पीडब्ल्यूडी) के साथ समिति के सामने उपस्थित हुए।
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी विभागों के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अपने-अपने क्षेत्राधिकार में नालों की गाद निकालने की स्थिति की रिपोर्ट अपने विभाग को सौंपेंगे। उन्हें एचओडी द्वारा समेकित किया जाएगा और 1 अगस्त 2022 को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यह भी सहमति हुई कि विभाग एक ड्यूटी रोस्टर बनाएगा और प्रकाशित करेगा, जिससे वरिष्ठ अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में विभिन्न नालों की गाद की स्थिति को भौतिक रूप से सत्यापित करेंगे। समिति ने यह भी निर्णय लिया कि 2 अगस्त से, इसके सदस्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विभागों के गाद निकालने के दावों को सत्यापित करने के लिए साइटों का दौरा करेंगे।
2017 में अश्विनी कुमार थे पीडब्लूडी विभाग के प्रमुख सचिव
बता दें कि 2017 के जिस मामले की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति चीफ सैक्रेट्री से मांग रही है, उस समय अश्विनी कुमार पीडब्लूडी विभाग के प्रमुख सचिव थे। नालों की सफाई के मामले में विवाद इतना ज्यादा बढ़ा था कि खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अश्विनी कुमार आमने-सामने की स्थिति में आ गये थे। मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि कोर्ट तक पहुंच गया था।
अश्विनी के खिलाफ दिल्ली डायलॉग कमीशन का उपयोग
दरअसल 1992 कैडर के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार के ऊपर केजरीवाल सरकार ने पीडब्लूडी के नालों की डिसिल्टिंग और बारापुला फेज-3 के प्रोजेक्ट व यमुना में यमुना में साढ़े 8 एकड़ जमीन की एक्विजिशन में देरी करने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कहने पर दिल्ली डायलॉग कमीशन ने मुख्यमंत्री को सोंपी अपनी 14 पेज की रिपोर्ट में कहा था कि लैंड एक्वीजिशन में देरी के साथ अन्य प्रोजेक्ट में देरी और पीडब्लूडी के नालों की डिसिल्टिंग नहीं हो पाने के लिए विभाग के प्रिंसिपल सैक्रेट्री अश्विनी कुमार जिम्मेदार हैं। हालांकि दिल्ली सरकार में अपने कायकाल के दौरान अश्विनी कुमार ने कभी केजरीवाल सरकार के सामने घुटने नहीं टेके।
केजरीवाल सरकार ने की थी विशेषाधिकार उल्लंघन की कार्रवाई
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पीडब्लूडी विभाग के प्रिंसिपल सैक्रेट्री अश्विनी कुमार की अदावत इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि अरविंद केजरीवाल ने उनके खिलाफ कार्रवाई को कोई भी मौका नहीं छोड़ा था। मुख्यमंत्री हर हाल में कुमार को नीचा दिखाना चाहते थे। जून 2017 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को पत्र लिखकर अश्विनी कुमार के खिलाफ ‘कर्त्तव्य की उपेक्षा’ के लिए कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। मामला यहीं नहीं रूका था बल्कि दिल्ली विधानसभा के पैनल ने अश्विनी कुमार के खिलाफ ‘विशेषाधिकार उल्लंघन’ की कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। लेकिन इसी दौरान यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया था और कोर्ट ने इस कार्रवाई पर स्टे लगा दिया था।