-विधानसभा क्षेत्र या दिल्ली को बनाएं वार्डों के बंटवारे का आधार? कमेटी ने लिखा केंद्र सरकार को पत्र
हीरेन्द्र सिंह राठौड/ नई दिल्लीः 20 जुलाई, 2022
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में गठित नगर निगम वार्डों के डीलिमिटेशन के लिए गठित कमेटी ने अपनी कार्रवाई रोक दी है। कमेटी ने केंद्र सरकार से वार्डों की संख्या और और उनकी सीमाओं के रेखांकन के संबंध में केंद्र सरकार से दिशानिर्देश मांगा है। सूत्रों का कहना है कि जब तक केंद्रीय गृह मत्रालय से वार्डों के परिसीमन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं आ जाते, तब तक डीलिमिटेशन की कार्रवाई शुरू नहीं हो पायेगी।
गौरतलब है कि साल 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों का परिसीमन किया जाना है। लेकिन इस काम में सबसे बड़ी बाधा यह है कि वार्डों का परिसीमन विधानसभा क्षेत्र के आधार पर किया जाये अथवा पूरी दिल्ली को एक ईकाई मानकर किया जाये? इस संबंध में शहरी मामलों और नगर निगम के मामलों के विशेष जानकार जगदीश ममगांई ने 11 जुलाई 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल व चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि वार्डों का परिसीमन बराबर जनसंख्या के आधार पर किया जाना चाहिए। यदि विधानसभा क्षेत्र के अनुसार वार्डों का परिसीमन किया जाता है तो इसके तहत जनसंख्या का बड़ा अंतर हो जायेगा।
इसके बाद चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर डायरेक्शन मांगी है। सूत्रों के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार पहले वार्डों की सीमा तय करे, क्योंकि नये एक्ट के तहत अधिकतम 250 वार्ड ही बनाये जा सकते हैं। दूसरे पूरी दिल्ली को आधार बनाकर साल 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों की सीमाएं तय की जायें अथवा वर्तमान व्यवस्था के मुताबिक सभी विधानसभा क्षेत्रों के मुताबिक वार्डों की संख्या घटाकर परिसीमन कर दिया जाये।
जगदीश ममगांई का कहना है कि दिल्ली में सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर 2007 में किया गया था। अब 2022 में 2011 से और पीछे जाने का कोई तुक नहीं बनता है। अब नगर निगम के वार्डों का परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाना है। ऐसे में वार्डों की संख्या घटाते समय सभी वार्डों की जनसंख्या में एकरूपता नहीं लायी जा सकती। यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि इससे पहले नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के समय तत्कालीन मुख्मंत्री शीला दीक्षित ने वार्डों का परिसीमन विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर करवाने के लिए तत्कालीन उपराज्यपाल के द्वारा विशेष दिशानिर्देश जारी करवाये थे।
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली की जनसंख्या 1 करोड़ 64 लाख है। इसके आधार पर 250 वार्ड बनाये जाते हैं तो हर वार्ड की जनसंख्या करीब 65 हजार बैठेगी। जबकि पिछले 11 वर्षों में दिल्ली की जनसंख्या ढाई करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। ऐसे में विधानसभा के आधार पर वार्डों के परिसीमन पर जनसंख्या का घनत्व बेमेल हो जायेगा। वर्तमान में मंगोलपुरी डी की जनसंख्या 41647, लाजपत नगर की जनसंख्या 43635 और चांदनी चौक वार्ड की जनसंख्या 44641 है। जबकि अलीपुर की जनसंख्या 84378, नेहरू विहार की जनसंख्या 83645 और मुस्तफाबाद की वार्ड की जनसंख्या 80419 है। यानी बहुत से वार्डों की जनसंख्या में दोगुना से ज्यादा का अंतर है।
दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा-5 की उपधारा (1) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि नगर निगम चुनाव के लिए वार्डों के परिसीमन के लिए पुरी दिल्ली को एक इकाई माना जायेगा। उसके बाद वार्डों की सीमाएं तय करते समय सभी वार्डों में जनसंख्या को यथासंभव समान रूप से रखा जायेगा। एमसीडी एक्ट की यही धारा फिलहाल वार्डों के परिसीमन में आड़े आ गई है और आयोग ने केंद्र सरकार से इस संबंध में दिशानिर्देश मांगा है।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 3 व 5 के तहत 8 जुलाई 2022 को तीन सदस्यीय डीलिमिटेशन कमेटी का गठन किया गया था। इसका मुखिया दिल्ली के चुनाव आयुक्त विजय देव को बनाया गया है। इसके सदस्यों के रूप में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव पंकज सिंह और दिल्ली नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त रणधीर सहाय को मनोनीत किया गया है। इसी कमेटी को वार्डों की सीमाएं और जनसंख्या तय करनी है, लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार को वार्डों की संख्या और बंटवारे का आधार बताना होगा।
विधानसभा क्षेत्र के आधार पर ही बंटवारा चाहते राजनीतिक दल
दिल्ली नगर निगम के वार्डों का परिसीमन भले ही अनौपचारिक रूप से थमा हुआ हो लेकिन दिल्ली के सभी राजनीतिक दल विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर ही वार्डां का परिसीमन चाहते हैं। दिल्ली बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर ही नये वार्डों का परिसीमन चाहती है। आम आदमी पार्टी का भी यही विचार है। आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव आयोग को विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर ही वार्डों का परिसीमन करके जल्दी से जल्दी निगम चुनाव कराये जाने चाहिए। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत वार्डों के परिसीमन में कोई बुराई नहीं है। यदि 250 वार्ड बनाने हैं तो 22 वार्ड घटाने होंगे। विधानसभा क्षेत्रों में जनसंख्या के आधार पर वार्डों की संख्या को घटाया जा सकता है।