बिजली कंपनियों से मिलीभगत कर केजरीवाल सरकार ने की 37 हजार करोड़ की लूट

-उपभोक्ताओं की सब्सिडी के 11,743 करोड़ रुपये बिजली कम्पनियों को बांटे

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 11 जुलाई, 2022
दिल्ली वालों पर बिजली कंपनियों की मार लगातार जारी है। अब बिजली उपभोक्ताओं के बिलों पर 2-6 प्रतिशत सरचार्ज बढ़ाने का फैसला किया गया है। सरकार और बिजली कम्पनियों के बीच काम करने वाली डी.ई.आर.सी. ने बिजली उपभोक्ताओं की जगह बिजली कंपनियों को लाभ पहुॅचाने वाला फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से दिल्ली वालों को पहले के मुकाबले कुछ ज्याद बिजली बिलों का भुगतान करना होगा।
गौरतलब है कि पिछले 6 वर्षों में बिजली कम्पनियों ने फिक्स चार्ज, पीपीएसी, रेगुलेटरी सरचार्ज, एनर्जी टैक्स, पेन्शन ट्रस्ट इत्यादि के नाम पर 37 हजार 227 करोड़ रूपये वसूले हैं। जबकि इसी दौरान दिल्ली सरकार ने बिजली कम्पनियों को 11 हजार 743 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी दी है। नियमानुसार बिजली सब्सिडी जनता के खाते में सीधे डीबीटी के जारिए जानी चाहिए। लेकिन दिल्ली सरकार सब्सिडी को बिना ऑडिट कराये सीधे बिजली कम्पनियों के खाते में डाल रही है।
बिजली सप्लाई बढ़ाने के लिए नहीं उठाया कोई कदमः बीजेपी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में बिजली दर को बढ़ाने के फैसले को दिल्लीवालों के साथ धोखा बताते हुए कहा कि पिछले सात सालों से दिल्ली में केजरीवाल की सरकार है, लेकिन इन सात सालों में उन्होंने बिजली की सप्लाई बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उसका जवाब भी उन्हें दिल्लीवालों को देना चाहिए। श्री गुप्ता ने कहा कि तीसरी बार सत्ता में आने के बावजूद केजरीवाल ने बिजली को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया और ना ही कोई रुप-रेखा तैयार की है। पहले मुफ्त बिजली का लॉलीपोल देकर दिल्ली को खोखला कर दिया और जब इसकी पोल खुलने लगी तो उन्होंने इसका पूरा बोझ 6 फीसदी बिजली दर बढ़ाकर दिल्ली की जनता पर डाल दिया। आज दिल्ली की जनता को बढ़े हुए बिजली दर के रुप में करना पड़ रहा है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में औसतन बिजली दर 6.85 रुपये प्रति यूनिट है जबकि औद्योगिक ईकाइयों को 10.69 रुपये प्रति यूनिट और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दर 5.11 रुपये प्रति यूनिट वसूला जा रहा था जिसे अब बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि जहां तक मुफ्त बिजली वितरण की बात है यह केजरीवाल सरकार की वोट बैंक स्कीम है। इसकी कीमत महंगी बिजली दर एवं भारी शुल्क देने वाले दुकानदार, उद्योग एवं मध्यम वर्ग के घरेलू उपभोक्ता चुका रहे हैं। यही नहीं दिल्ली में केजरीवाल एकलौते मुख्यमंत्री हैं जो किसानों से भी कमर्सियल रेट पर बिजली बिल वसूलने का काम कर रहे हैं।
दरें बढ़ाने के बजाय कंपनियों का सीएजी ऑडिट कराये सरकारः कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा है कि बिजली की दरें बढ़ाने के बजाय केजरीवाल सरकार बिजली कम्पनियों का सी.ए.जी. द्वारा ऑडिट कराये। कैग ऑडिट के बाद ही बिजली कम्पनियों की लूट दिल्लीवालों के सामने आ जाऐगी। उन्होंने कहा कि राजधानी में बढ़ती जनसंख्या के कारण बिजली खपत बढ़ रही है। जून 2022 से सितम्बर 2022 तक की अवधि में बिजली डिमांड का पीक होता है जिसमें लगभग 300 मेगावाट से 1100 मेगावाट बिजली की पहले से कमी है और दिल्ली-एसएलडीसी के अनुसार जुलाई 2022 में पीक डिमांड 8200 मेगावाट को छू सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली डिमांड अधिक होने के बावजूद केजरीवाल सरकार द्वारा 500 मेगावाट बिजली कम करना दिल्ली के नागरिकों के साथ धोखा है क्यांक बिजली कट का सामना गरीब आदमी करता है।
अनिल कुमार ने कहा कि दादरी बिजली संयत्र से बिजली सप्लाई में कटौती जो बीआरपीएल जिसे पहले 543 मेंगावाट मिलता अब सिर्फ 170 मेगावाट बिजली मिलेगी, इसी तरह बीवाईपीएल को पहले 175 मेगावाट बिजली मिलती अब सिर्फ 55 मेगावाट और टीपीडीडीएल को 10 मेगावाट अब सिर्फ 3 मेगावाट मिलेगी। उन्होंने कहा कि दादरी संयत्र से पहले 728 मेगावाट बिजली मिलती थी जो 500 मेगावाट की कटौती के बाद सिर्फ 228 मेगावाट बिजली मिलेगी। जिसका सीधा असर दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिसमें सबसे ज्यादा बीआरपीएल के इलाकों में पड़ेगा और आने वाले दिनों में दिल्लीवालों को बिजली पर और अधिक भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ेगी।