बीजेपी पर भारी पड़ेगा बुल्डोजर… 2007 के बाद कांग्रेस नहीं कर सकी सत्ता में वापसी

-निगम चुनाव टलने के बाद पूरी दिल्ली में चल रहा बीजेपी शासित निगमों का बुल्डोजर
-गुरूवार को भी जारी रहेगा उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम का अभियान

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 11 मई, 2022
राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी शासित नगर निगमों का बुल्डोजर फिलहाल सरकारी विभागों और पब्लिक लैंड पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण करने वालों पर भारी पड़ रहा है। ‘भाजपाई बुल्डोजर’ का कहर शाहीन बाग से मंगोलपुरी और पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से लेकर दक्षिणी दिल्ली के द्वारका तक अतिक्रमण पर कहर बरपा रहा है। लेकिन आने वाले दिनों में खुद भारतीय जनता पार्टी के लिए यह भारी पड़ सकता है। कारण है कि तीनों नगर निगमों द्वारा चलाये जा रहे सामूहिक बुल्डोजर अभियान ने लोगों के बीच आतंक कायम कर दिया है।

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ऐसा नहीं है कि सरकारी जमीन पर कब्जा व अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ पहले इस तरह की कार्रवाई नहीं की गई हो, लेकिन तीनों नगन निगमों की सामूहिक कार्रवाई ने जिस तरह का माहौल फिलहाल बना दिया है, वैसा पहले कभी नहीं बना था। यही कारण है कि बीजेपी शासित नगर निगमों की इस कार्रवाई का दूसरे सियासी दल राजनीतिक लाभ उठाने में जुट गये हैं। आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता इस अभियान का जगह जगह विरोध कर रहे हैं। यहां तक कि दिल्ली के सियासी मैदान में शून्य बराबर महत्व रखने वाली पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता तो जहांगीर पुरी वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे तक लगवाने में कामयाब रहे।

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शाहीन बाग इलाके में होने वाली बुल्डोजर की कार्रवाई के खिलाफ भी सीपीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस बार हाई कोर्ट जाने की बात कहते हुए याचिका को रद्द कर दिया था। सियासी जानकारों का कहना है कि दिल्ली बीजेपी के नेता यूपी की योगी सरकार की नकल करते हुए बुल्डोजर की कार्रवाई करवा रहे हैं। इससे पार्टी की छवि को कहीं न कहीं नुकसान हो सकता है। जबकि यह कार्रवाई सामूहिक रूप से करने के बजाय बिना किसी शोर-शराबे के भी कराई जा सकती थी। इससे बीजेपी की छवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
2007 में सीलिंग के विरोध के चलते बीजेपी आई थी निगम की सत्ता में
1997 में नगर निगम के गठन के बाद हुए चुनाव में बीजेपी सत्ता में आई थी। लेकिन 2002 के निगम चुनाव में बीजेपी का सूपड़ासाफ हो गया था। इस दौरान 2007 में कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में अवैध रूप से बनाये गये मकानों को नगर निगम ने बड़े स्तर पर सील और बुल्डोजर की कार्रवाई से तोड़ना शुरू कर दिया था। उस समय कांग्रेस दिल्ली नगर निगम की सत्ता में थी। ऐसे में लोगों में नाराजगी बढ़ती चली गई और बीजेपी को 2007 में निगम की सत्ता में वापसी का मौका मिल गया था। तब से अब तक बीजेपी ही नगर निगम की सत्ता में चली आ रही है।
दिल्ली की राजनीति के जानकारों का कहना है कि नगर निगम के बुल्डोजर की कार्रवाई की वजह से एक बार फिर दिल्ली में आतंक का माहौल बनना शुरू हो गया है। कारण है कि दिल्ली में सभी ओर से बुल्डोजर की कार्रवाई की खबरें ही आ रही हैं। बीजेपी पिछले 15 वर्षों से निगम की सत्ता में है, यदि यही कार्रवाई समय-समय पर की जाती रहती तो इस समय सामूहिक तौर पर इतने बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जरूरत ही नहीं पड़ती।
बुल्डोजर चलाने के लिए दिया जा रहा 2019 के कोर्ट के आदेश का हवाला
बता दें कि उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा रोजाना बुल्डोजर की कार्रवाई किये जाने के पीछे एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में 2 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गये आदेश का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन इतने बड़े स्तर पर बुल्डोजर की कार्रवाई 2022 में की जा रही है। कोर्ट का आदेश आने के बाद तीनों नगर निगम दो साल अपनी आंखें बंद किये बैठे रहे और अब तीसरे वर्ष एक साथ सामूहिक कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में निगम अधिकारियों की नीयत पर भी सवाल उठने लगे हैं।
द्वारका, पटेल नगर और सीलमपुर में चलेगा बुल्डोजर
बीजेपी शासित तीनों नगर निगमों का बुल्डोजर गुरूवार को भी अतिक्रमण पर कहर ढायेगा। निगम प्रशासन ने एन्क्रोचमेंट हटाने का कार्यक्रम तैयार कर रखा है। स्थानीय पुलिस थानों से पुलिस मांगी गई है, ताकि कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था को कायम रखा जा सके। बुधवार को भी नगर निगम के बुल्डोजर कई इलाकों में चले और भारी मात्रा में सड़कों और सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त किया गया।