-पूर्व की मदन लाल खुराना सरकार ने दी थी कश्मीरी विस्थापितों को नौकरी
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली। 29 मार्च, 2022
दिल्ली भाजपा के महामंत्री हर्ष मल्होत्रा और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि केजरीवाल सरकार कश्मीरी पंडितों और विस्थापितों की पीड़ा को राजनीतिक बयानबाजी में उलझा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 1 लाख कश्मीरी पंडित एवं अन्य विस्थापित रह रहे हैं और अरविंद केजरीवाल सरकार ने गत 7 साल में इनके पुनर्वास अथवा उत्थान के लिये अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह कोई ठोस काम नही किया। अब जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विधानसभा में कश्मीरी विस्थापितों की पीड़ा पर बनी फिल्म को झूठा कहने के बाद उनकी चौतरफा निंदा हो रही है तो आम आदमी पार्टी कश्मीरी टीचर्स के नियमितीकरण के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने के लिये ओछी राजनीतिक बयानबाजी पर उतर आई है।
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आज दिल्ली ही नहीं देशभर में विधानसभा में अरविंद केजरीवाल एवं उनके विधायकों के कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर लगाये अट्हास को लेकर केवल कश्मीरी विस्थापितों में ही नहीं सभी भारतीयों में रोष है और वह केजरीवाल से माफी की मांग कर रहे रहे हैं जिससे आम आदमी पार्टी राजनीतिक कुंठा में है।
भाजपा नेताओ ने कहा कि आम आदमी पार्टी प्रवक्ताओं सुश्री अतिशी एवं सौरभ भारद्वाज ने एक पत्रकार वार्ता कर ऐसा दर्शाने की कोशिश की कि उनकी सरकार लगातार कश्मीरी टीचर्स की सेवाओं को नियमित करना चाहती रही पर उपराज्यपाल ने उन्हे रोका। यह समझ से परे है कि अगर उपराज्यपाल सरकार को रोक रहे थे तो अक्सर उपराज्यपाल के विरूद्ध मोर्चा लेने वाली आम आदमी पार्टी चुप क्यों रही।
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’सच यह है कि इस मामले में केजरीवाल सरकार के वकील सिध्दार्थ लूथरा लगातार कोर्ट मे कहते रहे कि कश्मीरी टीचर्स को बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये कांट्रैक्ट नौकरी दी गई इसलिये इनको नियमित नहीं किया जा सकता केवल कांट्रैक्ट पर ही चलाया जा सकता है।’ भाजपा नेताओं ने कहा कि इस मामले का सच यह है कि भाजपा हमेशा से कश्मीरी विस्थापितों के दिल्ली में पुनर्वास को लेकर संवेदनशील रही और तत्कालीन नेताओं केदारनाथ साहनी एवं मदनलाल खुराना ने नौकरियों एवं स्वरोजगार दोनों के माध्यम से इनके पुनर्वास के लिये बहुत काम किया।
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उन्होंने कहा कि ’आज जिन कश्मीरी विस्थापितों को टीचर्स के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी अपनी झेंप मिटाने के लिये राजनीति कर रही है उन्हें 1994-95 में तत्कालीन दिल्ली की भाजपा सरकार ने कांट्रैक्ट नौकरी दी थी।’ जब 2009-10 में इन टीचर्स ने नियमितीकरण की मांग की तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसके विरूद्ध में प्रशासनिक लाइन ली फिर न्यायालय मे पहले कांग्रेस फिर आम आदमी पार्टी सरकार ने इनके नियमितीकरण में रोड़े अटकाये।
आज जब केजरीवाल सरकार बेनकाब हो गई है तब यह अपने बचाव के लिये कश्मीरी टीचर्स पर प्रशासनिक दबाव बनाकर बयान दिलवा रहे हैं। सारा देश जानता है कि विस्थापित दबाव में होते हैं अतः वह स्थानीय सरकार का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं और केजरीवाल दल कश्मीरियों की इसी मजबूरी का लाभ उठा रहा है।