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निगम चुनाव टलता देख छंटी सियासी दलों के कार्यालयों की भीड़… सुनसान नजर आने लगे पार्टियों के दफ्तर

-बीजेपी, आप और कांग्रेस कार्यालयों का एक जैसा हाल, नहीं दिख रहे बायोडाटाधारी
-पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे टिकटार्थी, संशय के बादल छंटने का कर रहे इंतजार

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 21 मार्च, 2022
राजधानी दिल्ली में नगर निगमों का चुनाव टलते देख, राजनीतिक दलों के कार्यालयों की भीड़ छंट गई है। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस कार्यालयों का एक जैसा हाल है। अब किसी भी सियासी दल के कार्यालय में अपना बायोडाटा लेकर घूमने वालों और किसी भी तरह से पार्टी पदाधिकारियों को अपना बायोडाटा पकड़ाने वालों की भीड़ भी नदारद है।

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बता दें कि 9 मार्च को दिल्ली में उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों के चुनाव का ऐलान होना था, 9 मार्च तक सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों में फरवरी महीने से ही मजमा लगना शुरू हो गया था। किसी भी दल के कार्यालय में अपन बायोडाटा लेकर घूमने वालों और पार्टी पदाधिकारियों के आगे झुककर उनके पैर छूने वालों की भी लाइन लगी रहती थी। लेकिन जैसे ही चुनाव की तारीख का ऐलान टला, वैसे ही लोगों ने अपने नेताओं के यहां चक्कर लगाना भी बंद कर दिया।

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खास बात तो यह है कि 9 मार्च से पहले तक बीजेपी और आप के कार्यालयों में रोजाना दिल्ली के दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करने का सिलसिला जारी था, लेकिन जैसे ही चुनाव की तारीखें टलीं, वैसे ही यह सिलसिला भी करीब-करीब बंद हो गया है। हालात ऐसे हो गये हैं कि जो नेता अपने दलों को छोड़कर दूसरे दल में शामिल होने की जुगत लगा रहे थे, वह अब सांसें थामे स्थिति के स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।
सांसें थाम कर हो रहा गृह मंत्रालय के फैसले का इंतजार
राजधानी दिल्ली के सियासी अखाड़े में सांसें थामकर गृह मंत्रालय के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है। हर कोई चर्चा कर रहा है कि नगर निगम चुनाव कितने दिनों के लिए टलेंगे। कोई मेयर के कार्यकाल को 20 महीने और ढाई साल का करने की चर्चा कर रहा है तो कोई वार्डों की संख्या 272 से घटाकर आधे किये जाने की बात कर रहा है। किसी के मुंह से चुनाव को 6 महीने टालने की बात कही जा रही है तो कोई 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ दिल्ली के नगर निगम चुनाव करने की बात कर रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि नेता चुनावी तैयारियां छोड़कर चर्चाओं में शामिल हो गये हैं।
बंद हुई उद्घाटनों की झड़ी
चुनाव नजदीक आते देख मौजूदा निगम पार्षदों ने अपने-अपने इलाकों में आधे-अधूरे कामों का भी उद्घाटन कर दिया था। नगर निगमों के पास फंड नहीं था तो ज्यादातर निगम पार्षदों ने अपने अपने इलाकों में लोगों को खुश करने के लिए सड़कों और गलियों के नामकरण की झड़ी लगा दी थी। ज्यादातर ऐसे कामों की उद्घाटन या नामकरण 9 मार्च को ही कर दिया गया था। एक-एक दिन में एक-एक वार्ड में छह से आठ उद्घाटन कर दिये गये। लेकिन जैसे सूचना आई कि फिलहाल निगम चुनावों की घोषणा टल गई है, वैसे ही उद्घाटनों की झड़ी भी बंद हो गई।