सेलरी के बाद मुश्किल में निगम कर्मियों के पीएफ का पैसा… 1232 करोड़ के बाद 1197 करोड़ की बंदरबांट!…

-तीनों नगर निगमों ने आपस में बांटा ट्राइफरकेशन से पहले के पीएफ का 1197 करोड़
-उत्तरी निगम को मिले 522 करोड़, साउथ को 410 करोड़ और पूर्वी निगम को 212 करोड़

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों व अधिकारियों की सेलरी तो पहले से ही फंसी हुई है, अब वक्त-जरूरत के समय काम आने वाले जीपीएफ का पैसा भी फंस गया है। पीएफ के मामले में केवल उत्तरी दिल्ली ही नहीं बल्कि दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों का पैसा भी फंस गया है। आम आदमी पार्टी ने इसका खुलासा किया है कि दिल्ली नगर निगम के तीन हिस्सों में बंटने से पहले का जीपीएफ के 1197 करोड़ रूपये की भी अब भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले तीनों नगर निगमों ने बंदरबांट कर ली है।

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आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज एवं उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने कहा कि तीनों नगर निगमों के बीच हुए समझौते के मुताबिक इस 1197 करोड़ रूपये में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिस्से 522 करोड़ रूपये, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के हिस्से में 410 करोड़ रूपये और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के हिस्से में 212 करोड़ रूपये आये हैं। बता दें कि उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों में आर्थिक संकट चल रहा है और कर्मचारियों व अधिकारियों को सेलरी समय से नहीं मिल पा रही है। यदि पहले की तरह यह पैसा भी सेलरी में बांट दिया जाता है तो कर्मियों को रिटायरमेंट या फिर जरूरत के समय उनके पीएफ का पैसा नहीं मिल सकेगा।

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बता दें कि इससे पहले भी नगर निगम ने दो-तीन साल पहले अपने कर्मचारियों के जीपीएफ का 1232 करोड़ रूपये पीएफ अकाउंट से निकाल कर सेलरी और दूसरे मदों में बांट दिया था। इसके बाद से बहुत से कर्मचारियों को अपने पीएफ का लाभ नहीं मिल रहा है। अब यदि यह 1197 करोड़ रूपये भी पीएफ अकाउंट से निकाल कर दूसरे मदों में खर्च कर दिया जाता है तो यह कर्मचारियों के लिए और भी बड़ा संकट माना जायेगा।
ट्राइफरकेशन से पहले की एफडी को अलग किया गयाः जोगीराम जैन
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन ने कहा कि ट्राइफरकेशन से पहले की कर्मचारियों के जमा किये गये पीएफ की एक एफडी थी, 2012 में नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। इसके बाद तीनों नगर निगमों ने अपने-अपने हिस्से का पीएफ का पैसा अलग किया है, ताकि सहूलियत हो सके। यदि कोई कर्मचारी अपना पीएफ का पैसा निकालना चाहता है तो वह निकाल सकता है, उसे कोई परेशानी नहीं होगी।