DU कर रहा खिलाड़ियों के भविष्य से खिलवाड़…कुरूक्षेत्र और एलपीयू में प्रतियोगिताएं शुरू, नहीं शामिल हो पा रहे दिल्ली के खिलाड़ी

– खिलाडियों को दोषी कौन? दिल्ली विश्वविद्यालय के खिलाडियों की स्थिति सोचनीय।
– दिल्ली विश्वविद्यालय स्पोर्टस काउंसलि के निदेशक व चेयरमैन की भूमिका पर उठे सवाल

विजय कुमार/ नई दिल्ली
पिछले माह खेल मंत्रालय ने अपने खेल पुरस्कारों को देने में सारी सीमाएं तोड दी थीं लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों का भविष्य अंधेरे में है। आलम यह है कि विभिन्न खेलों के खिलाड़ी अपने विश्वविद्यालय अंतर्विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में अपने खिलाड़ियों की टीमें तक भेजने को तैयार नहीं है। जबकि कई प्रतियोगिताएं या तो चालू हो गई हैं या फिर एक-दो दिनों में शुरू होने जा रही हैं।

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मालूम हो कि अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ एआईयू अंतर्विश्वविद्यालय की महिला और पुरूष वर्गो की 167 स्पर्धाएं, विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित करवाता है। पिछले दो सालों से इन प्रतियोगिताओं का आयोजन कोरोना काल के कारण नहीं हो सका। परंतु इस बार अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने सभी की सहमति लेकर इन प्रतियोगिताओं को आयोजित करने का फेसला किया था। जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से भी सहमति जताई गई थी।

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इधर प्रतियोगिताएं आयोजित होनी शुरू हुई, उधर विश्वविद्यालय के स्पोर्टस विभाग ने खिलाडियों से आंखे चुराना शुरू कर दिया है। असल में दिसंबर माह में उत्तर क्षेत्र अंतरविश्विद्याल की बैडमिंटन, बास्केटबाल, हाकी, टेनिस, तैराकी, वाटर पोलो, डाइविंग, वॉलीवाल, फुटबाल की चैंपियनशिप होनी है। जिसके बाद अंतरविश्वविद्यालय और भारत सरकार द्वारा आयोजित खेलो-इंडिया-खेलो का आयोजन किया जाना है। जिसमें से चुने हुए खिलाडियों को ओलंपिक, एशियाड, राष्टमंडल व विश्व कप आदि प्रतियोगिता के लिए सरकार तैयारी हेतू आर्थिक सहायता और सुविधाएं प्रदान करती है।
इसमें चुना जाना हर खिलाडी का सपना भी होता है और वह देश के लिए पदक जीतने का सपना भीसाकार करने हेतू जी जान तक लगाता है। मगर खिलाडियों की इस मेहनत से दिल्ली स्पोर्टस काउंसिल को कुछ भी लेना देना नहीं। ऐसा लगता है जिन खेलों के कारण वह पदाधिकारी बने हैं, उन्हीं खेलों का विनाश करने में लगे है।

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हालांकि इस संबंध में खिलाडी अपनी-अपनी शिकायतें लेकर स्पोर्टस काउंसिल के आफिस भी जा रहें है, लेकिन वहां उनसे बात करने के लिए ना तो कोई अधिकारी है ना ही कोई कुछ बताने वाले। मुक्केबाजी, वालीवाल, बैडमिंटन आदि खेलों के खिलाडियों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि वह दिल्लीविश्वविद्यालय की स्पोर्टस काउंसिल के निदेशक अनिल कलकल तथा चेयरमैन पंकज सिन्हा के सामने अपनी बात रखने का लगातार असफल प्रयास कर रहें है।
जबकि काउंसिल के चेयरमैन ने कुछ दिन पहले ही एक अंग्रेजी पेपर में दिल्ली विश्वविद्यालय की खेल स्पर्धाओं को जारी करने की घोषणा भी कर दी थी। मालूम हो कि पिछले तीन सालों से दाखिले तो हुए, मगर खेल प्रतियोगिताएं नहीं, अब उम्मीद जगी तो स्पोर्टस काउंसिल के निदेशक टीमों को भेजने को तैयार नहीं। जबकि कालेजों के स्पोर्टस प्रोफेसर टीमों को खर्चा तक उठाने को तैयार है। मगर उनकी भी कोई सुन रहीं रहे। ऐसे में खिलाडियों की मंशा को कौन समझेगा।
मगर आज उनका जवाब था कि वह अब चेयरमैन नहीं है, नये चेयरमैन आकर ही खिलाडियों से बात करेंगे। जबकि वर्तमान तिथि तक वह चेयरमैन बताए जा रहें है। दूसरा निदेशक महोदय ना तो खिलाडियों के फोन उठा रहें है ना ही अपने आफिस में ही उनकी बातों को सुन रहें है। ऐसे में दिल्ली के विभिन्न कालेजों के कडे अभ्यास में जुटे हुए खिलाडियों का क्या होगा? कोई सोचने वाला नही है। दूसरी तरफ पंजाब, चंडीगढ, हिमाचल, जम्मू, हरियाणा के खिलाडी उत्तर क्षेत्र प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालय में पहुंचने लगे है। अगर कोई नहीं जा रहें तो वह केवल और केवल दिल्ली विश्वविद्यालय के खिलाडी।
ऐसे में इन खिलाडियों का भविष्य क्या होगा, यह भगवान ही जानता है। इनके भविष्य से खिलवाड करने वाले अधिकारियों पर एक्शन कौन लेगा? यह भी एक गंभीर विषय है। देखना होगा अब दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति इस मामले पर क्या कार्यवाही करेंगे?
विभिन्न प्रतियोगिताओं की तिथि
1-वालीवाल प्रतियोगिता 14 दिसंबर से शुरू होगी।
2-टेनिस प्रतियोगिता 14 दिंसबर से शुरू।
3- बास्केटबाल प्रतियोगिता 15 दिसंबर से शुरू।
4-फुटबाल प्रतियोगिता 21 दिसंबर से शुरू।
5-बैडमिंटन प्रतियोगिता 22 दिसंबर से शुरू।
6-मुक्केबाजी 15 दिसंबर से शुरू होगी।