पार्षदों को महसूस होने लगी ‘आप’ में घुटन… साहिस्ता ने थामा ‘हाथ’ का साथ

-निगम चुनाव से पूर्व आम आदमी पार्टी को लगा बड़ा झटका
-केजरीवाल के अलावा पार्टी में नहीं किसी का वजूदः साहिस्ता

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कभी ‘दम घुटने’ के नाम पर दूसरे दलों के नेताओं को उकसाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी में अब उन्हीं के निगम पार्षदों का ‘दम घुटने लगा है।’ छह महीने के अंदर होने वाले नगर नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले वार्ड 64-ई श्रीराम कालोनी से आम आदमी पार्टी की निगम पार्षद साहिस्ता ने ‘आप’ छोड़कर कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया है।

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दिल्ली में अगले साल मार्च-अप्रैल में नगर निगम के चुनाव होने हैं। बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित सभी छोटे-बड़े सियासी दलों ने चुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है। पिछले चार महीनों में कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा वर्तमान और पूर्व निगम पार्षद आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही ‘आप’ के समर्थन की हवा के बीच ‘आप’ के निगम पार्षद द्वारा कांग्रेस में शामिल होना दिल्ली के सियासी मैदान में बड़ी राजनीतिक घटना मानी जा रही है।

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निगम पार्षद साहिस्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी में वह लंबे समय से घुटन महसूस कर रही थीं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के अलावा आप पार्टी में किसी का वजूद नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी में केवल चापलूसों की सुनी जाती है। कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं को कोई वजूद नहीं है। पार्टी के बड़े नेता निगम पार्षदों से दूर विधायकों तक से नहीं मिलते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी में काम कर पाना बेहद मुश्किल हो गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की नीतियों और विचारधारा में उनका हमेशा से ही विश्वास रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रभावशाली नेतृत्व से प्रभावित होकर मैं अपने साथियों के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई हूं।

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दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने उन्हें प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में कांग्रेस में शामिल कराया। अनिल चौधरी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की निरंकुशता के चलते आम आदमी पार्टी में किसी को भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के स्वयंभू रवैये से पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता प्रभावित है और किसी भी जनप्रतिनिधि को अपने हिसाब से क्षेत्र में काम करने की आजादी नहीं है, पूरा नियंत्रण अरविन्द के हाथों में है, यह सभी जानते हैं।