त्योहारी भीड़ में गुम हुआ ‘दो गज़ की दूरी मास्क है जरूरी’ का प्रोटोकॉल

-बाजारों में खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़, नहीं मिल रही पैर रखने तक की जगह

हेमा शर्मा/ नई दिल्ली
कोरोना महामारी का असर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, लेकिन लोगों के मन से इस बीमारी का डर पूरी तरह से निकल गया लगता है। त्योहारों के इस सीजन में बाजारों में उमड़ी भीड़ को देखकर लगता है कि लोग भूल रहे हैं कि कैसे कोरोना के इस काल ने कितनी ही माताओं की गोद सूनी कर दी। कितने ही घरों के दीपक बुझा कर अंधकार कर दिया, बहुत सी सुहागिनों की मांग सूनी कर कई बच्चे अनाथ कर दिए है।

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पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों से लेकर राजधानी दिल्ली के दूसरे इलाकों के रिटेल बाजारों का एक जैसा हाल है। चांदनी चौक में भले ही सौंदर्यीकरण हो गया हो, लेकिन वहां के कूचों-कटरों में लोग एक के ऊपर एक चढ़कर चल रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को याद रखना चाहिए कि कोरोना अभी हमारे बीच से गया नहीं है। अभी भी उसके डंक में ज़हर है। ऐसा ना हो कि त्योहारों के सीजन में बढ़ती इस लापरवाही से कोरोना फिर रफ़्तार पकड़ ले और तीसरी लहर आने का खतरा बढ़ जाए जो बहुत ही भयावह होगा।

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दिल्ली के सरोजनी नगर मार्केट में इन दिनो भीड़ का ऐसा नज़ारा दिख रहा है कि पैर रखने की जगह नहीं है हर तरफ़ सिर्फ़ लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है, ना कोई मास्क ना कोई सेफ्टी, 2 गज की दूरी तो छोड़ो पब्लिक में 2 सेंटीमीटर की दूरी भी नहीं दिख रही। मास्क तो बाज़ार में बहुत बिक रहे है पर उन्हें लगाने वाले कम दिख रहे है।
कहने को तो जगह जगह अनाउन्स्मेंट हो रही है कि ‘दो गज़ की दूरी मास्क है ज़रूरी’ पर वो सिर्फ़ सुनने के लिए है अमल में लाने के लिए नहीं। जब लोगों से पूछा गया कि इस कोरोना काल में आप लोग बिना मास्क के कैसे घूम रहे है? क्या आपको डर नहीं लगता कि कोरोना हो जाएगा तो उनका जवाब था कि अब तो कोरोना खत्म हो गया है।