सुर्खियों में संभलः ‘नेजा मेला’ लगाने पर रोक… ‘लुटेरे व हत्यारे’ सालार मसूद गाजी की याद में लगाया जाता रहा है मेला

-संभल पुलिस सख्त, मेला लगाया तो मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी

एसएस ब्यूरो/ संभल, 18 मार्च।
उत्तर प्रदेश का संभल एक बार फिर से सुर्खियों में है। योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने संभल में ‘नेजा मेला’ लगाने पर रोक लगा दी है। संभल पुलिस ने नेजा मेला लगाए जाने की अनुमति देने से इन्कार करते हुए कहा है कि जिस सय्यद सालार मसूद गाजी की याद में यह आयोजन किया जाता है वह मोहम्मद गजनवी का सेनापति था। इतिहास में इस बात का जिक्र है कि सालार मसूद ने लूटपाट और हत्याएं की थीं। लुटेरे और हत्यारे की याद में मेला लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर इसके बाद भी किसी ने मेला लगाने की कोशिश की तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
संभल के चमन सराय में धार्मिक नगर नेजा कमेटी की ओर से सय्यद सालार मसूद गाजी की याद में नेजा मेला हर वर्ष लगाया जाता है।
इस बार नेजा मेला 25, 26 और 27 मार्च को लगना था। नेजा मेला से एक सप्ताह पहले ढाल और झंडा घंटाघर पर लगाया जाता है। मंगलवार को ढाल लगाई जानी थी। नेजा मेला कमेटी ने सोमवार को इसकी घोषणा की तो एएसपी श्रीश्चंद ने कमेटी के पदाधिकारियों को कोतवाली बुला लिया।
एएसपी ने कहा कि मेले को लेकर दूसरे समुदाय के लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है। महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर लूटा था। उसका सेनापति सय्यद सालार मसूद गाजी था। कानून-व्यवस्था बिगड़ने का भी खतरा है, लिहाजा नेजा मेला नहीं लगने दिया जाएगा और न ढाल लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अज्ञानता में यह मेला लगाया जाता रहा है तो अज्ञानी हो और यदि जानबूझकर यह मेला लगाया गया है तो देशद्रोही हो। दूसरे समुदाय के द्वारा इसका विरोध कई वर्षों से लगातार किया जाता रहा है। एएसपी ने भी नेजा मेला कमेटी से स्पष्ट कहा है कि जिसने लूट की और हत्याएं की। उसकी याद में कोई भी आयोजन नहीं होने दिया जाएगा।
ये है नेजा मेले का इतिहासः
बतायाय जा रहा है कि संभल वर्ष 1015 के आसपास से पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। कहा जाता है कि वर्ष 1030 के आसपास पृथ्वीराज चौहान के बेटे की नजर संभल के शेख पचासे मियां की बेटी पर पड़ गई थी। शेख पचासे मियां की बेटी शादी नहीं करना चाहती थ इसलिए उन्होंने सैयद सालार मसूद गाजी को इसकी सूचना भेजकर आक्रमण के लिए बुलाया था।
गाजी अपनी सेना के साथ संभल आया था और पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था। जिसमें पृथ्वीराज चौहान की पराजय हो गई थी। कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि इस युद्ध में सैयद सालार मसूद गाजी के कई साथियों ने जान गंवाई थी। उनकी मजार संभल के आसपास बनाई गई हैं। उन्हीं मजारों के आसपास यह मेले आयोजित किए जाते हैं।
इन मजारों पर लगाये जाते मेले
संभल, शहबाजपुरा सूरा नगला और बादल गुंबद पर एक-एक दिन के मेले लगाये जाते हैं। पहले दिन शाहबाजपुर सूरा नगला में हजरत भोले शाह भोले की मजार पर नेजा मेले का आयोजन होता है। अगले दिन नगर पालिका परिसर में हजरत अहमद शाह की मजार पर नेजा मेला लगता है। तीसरे दिन हसनपुर रोड स्थित बादल गुंबद पर मेले का आयोजन किया जाता है। तीनों ही स्थानों पर चादर चढ़ाकर दुआएं भी मांगी जाती हैं।
एक हजार साल से मेला लगाने का दावा
धार्मिक नगर नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी का दावा है कि करीब एक हजार वर्ष से नेजे की ढाल लगाने और नेजा मेला करने की परंपरा चली आ रही है। नेजा मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगता चला आ रहा है।
होली से जुड़ा है मेले के आयोजन का इतिहास
होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को नेजा मेले की ढाल और झंडा लगाए जाने की परंपरा है। होली के बाद पड़ने वाले दूसरे मंगलवार को शहबाजपुर सूरानगला का मेला लगता है। इस मेले के लिए होली के बाद का ही समय तय है। शाहिद हुसैन मसूदी ने बताया कि होली के बाद ही नेजा मेला की ढाल लगती आ रही है और दूसरे मंगलवार से नेजा मेला लगता चला आ रहा है। हमें इसी तरह की परंपरा की जानकारी है।
10 मार्च को ही एसडीएम को दे दी थी सूचनाः मसूदी
धार्मिक नगर नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी ने बताया कि नेजा मेला सय्यद सालार मसूद गाजी की याद में सदियों से लगता आ रहा है। इस बार भी मंगलवार को नेजा मेले की ढाल और झंडा लगाया जाता, लेकिन एएसपी ने सख्ती से मना कर दिया है। जबकि ढाल और झंडा लगाने के लिए 10 मार्च को एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया था। ढाल और झंडा लगने के एक सप्ताह बाद नेजा मेला लगता है। 25 मार्च को नेजा मेला शहबाजपुर सूरानगला गांव में लगना था। 26 मार्च को संभल पालिका के मैदान में और 27 मार्च को बादल गुंबद गांव में इसका आयोजन होना था।
हत्यारे और लुटेरे की याद में मेला लगाने की मंजूरी नहींः एएसपी
संभल के एएसपी श्रीशचंद ने बताया कि हत्यारे और लुटेरे की याद में नेजा मेला लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर है। दूसरे समुदाय के लोगों ने इस आयोजन पर आपत्ति जताई है। इसके चलते अनुमति नहीं दिए जाने की जानकारी नेजा मेला कमेटी को दे दी गई है।