निर्जला एकादशी पर ऐसे करें लक्ष्मीपति नारायण की पूजा… जानें पूजा का विधि-विधान और महत्व

-इस वर्ष सोमवार 21 जून 2021 को पड़ रही निर्जला एकादशी

आचार्य रामोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
इस वर्ष निर्जला एकादशी 21 जून यानी सोमवार को पड़ रही है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पड़ने वाले इस पर्व को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बिना भोजन के एक क्षण न रह सकने वाले भीम को भी जब इस एकादशी व्रत का महत्व पता चला तो उन्होंने भी इस दिन व्रत रखा था। इस दिन व्रत रखने वाले पूरा दिन पानी ग्रहण नहीं करते हैं। यह एकादशी हमारे जीवन में जल के महत्व को भी दर्शाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशी होती हैं। निर्जला एकादशी इनमें सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले को सभी एकादशियों का पुण्य मिलता है।
एकादशी व्रत पूजा विधि
निर्जला एकादशी के व्रत से एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद जातकों को खाना नहीं खाना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन प्रातःकाल सुबह स्नान कर के साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। यदि संभव हो तो पीले रंग के कपड़े धारण करें। ये रंग भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। व्रत का संकल्प लें और इसके पश्चात अपने घर के मंदिर को साफ करें और गंगा जल से शुद्ध कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं। अब भगवान विष्णु जी को धूप, दीप, फल, अक्षत, दूर्वा, तुलसी, चंदन और पीला फूल अर्पित करें। इस दौरान ‘’ओम नमो भगवते वासुदेवाय’’ मंत्र का जाप करते रहें।

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इसके पश्चात लक्ष्मी पति भगवान विष्णु जी की आरती के साथ पूजा का समापन करें। पूजा समापन से पूर्व निर्जला एकादशी की कथा को स्वयं पढ़ें, सुनें और अन्य लोगों को सुनाएं। इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किये व्रत रखें और रात में भजन कीर्तन करें। द्वादशी तिथि को प्रातः जल्दी घर की साफ-सफाई करें और स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें व उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद किसी जरुरतमंद या ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं शुभ मुहूर्त में स्वयं भी व्रत का पारायण करें।
इस प्रकार से है निर्जला एकादशी व्रत की कथा
एक बार भीमसेन व्यासजी से कहने लगे कि भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सभी एकादशी का व्रत करने को कहते हैं, लेकिन महाराज मैं भगवान की भक्ति, पूजा आदि तो कर सकता हूं, दान भी दे सकता हूं किंतु भोजन के बिना नहीं रह सकता। इस पर व्यासजी ने कहा कि हे भीमसेन, यदि तुम नरक को बुरा और स्वर्ग को अच्छा समझते हो तो प्रत्येक मास की दोनों एकादशियों को अन्न मत खाया करो। इस पर भीम बोले कि हे पितामह! मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि मैं भूख सहन नहीं कर सकता। यदि वर्ष भर में कोई एक ही व्रत हो तो वह मैं रख सकता हूं, क्योंकि मेरे पेट में वृक नामक अग्नि है, जिसके कारण मैं भोजन किए बिना नहीं रह सकता। भोजन करने से वह शांत रहती है, इसलिए पूरा उपवास तो क्या मेरे लिए एक समय भी बिना भोजन के रहना कठिन है।
ऐसे में आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार ही करना पड़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इस पर व्यासजी विचार कर कहने लगे कि हे पुत्र! बड़े-बड़े ऋषियों ने बहुत शास्त्र आदि लिखे हैं जिनसे बिना धन के थोड़े परिश्रम से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार शास्त्रों में दोनों पक्षों की एका‍दशी का व्रत मुक्ति के लिए रखा जाता है।

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ऐसा सुनकर भीमसेन घबराकर कांपने लगे और व्यासजी से कोई दूसरा उपाय बताने की विनती करने लगे। ऐसा सुनकर व्यास जी कहने लगे कि वृषभ और मिथुन की संक्रां‍‍ति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम निर्जला एकादशी है। इस एकादशी में अन्न तो दूर जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। तुम उस एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा जल का प्रयोग वर्जित है। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए और न ही जल ग्रहण करना चाहिए। क्योंकि भोजन करने से व्रत टूट जाता है। इस एकादशी में सूर्योदय से शुरू होकर द्वादशी के सूर्योदय तक व्रत रखा जाता है। व्रत के अगले दिन पूजा करने के बाद ही व्रत का पारायण किया जाता है। व्यास जी ने भीम को बताया कि इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान ने बताया था। यह व्रत सभी पुण्य कर्मों और दान से बढ़कर है। इस व्रत से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता हैं।
निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी तिथि 21 जून 2021 को है। 20 जून रविवार को सांय 4 बजकर 21 मिनट से एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी और 21 जून, 2021 को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा।
करें तुलसी की पूजा
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन तुलसी की पूजा करने को महत्वपूर्ण माना गया है। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीया जलाकर भगवान का ध्यान करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
इन वस्तुओं का करें दान
निर्जला एकादशी के दिन कुछ खास चीजों का दान करके आप पुण्य लाभ कमा सकते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है, अतः शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुओं जैसे कि जल, पंखा, मौसमी फल- खरबूज व तरबूज और आम, मटका आदि का दान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन ब्राह्मणों को जूते दान करने चाहिए। इसके अलावा अन्न, छतरी, बिस्तर, कपड़े, चने की दाल और गुड़ दान करना शुभ माना गया है।