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विकास दुबे एनकाउंटरः यूपी पुलिस को क्लीन चिट… जानें पूरी कहानी!

Team A2Z 21st April 2021 -In the encounter case of Vikas and his five associates-Vikas Dubey encounter: Clean chit to UP police ... Learn the full story!-what was the report submitted by the Commission of Inquiry to the UP Government-
-विकास व उसके पांच साथियों के एनकाउंटर मामले में जांच आयोग ने यूपी सरकार को सौंपी क्या रिपोर्ट

एसएस ब्यूरो/ कानपुर
कानपुर में हुए विकास दुबे (Vikas Dubey)और उसके पांच साथियों के एनकाउंटर (Encounter) मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) को क्लीन चीट मिल गई है। न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले जांच आयोग को इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। विकास दुबे और उसके साथियों पर 3 जुलाई 2020 को बिकरू (Bikru) गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोप लगा था। इस घटना में एक सीओ भी मारे गए थे।

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बिकरू कांड के बाद यूपी पुलिस ने गैंगस्टर और उसके पांच साथियों का एक हफ्ते के अंदर एनकाउंटर कर दिया था। इन एनकाउंटर को गलत बताते हुए यूपी पुलिस के खिलाफ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में छह पीआईएल दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को यूपी सरकार को आदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बनाकर जांच कराई जाए। इस आयोग में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी शामिल थे।
नहीं मिले फेक एनकाउंटर के सबूत
जांच आयोग ने आठ महीने तक इस मामले की जांच की और बीते सोमवार 19 अप्रैल 2021 को रिपोर्ट शासन को सौंपी। अब यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी जाएगी। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 जुलाई की रात को पुलिस की छापेमारी के दौरान विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला किया था। वहीं विकास दुबे और उसके साथियों का दिन में एनकाउंटर हुआ था। जांच के दौरान कोई भी गवाह सामने नहीं आया जो कहे कि पुलिस ने गलत एनकाउंटर किए हैं। इसलिए यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले।
गांवों में पर्चे बांटकर मांगी जानकारी
आयोग ने समाचार पत्रों में भी इस मामले में बार-बार विज्ञापन दिया। मीडिया कर्मियों से बयान देने का अनुरोध किया, जिन्होंने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे लेकिन कोई भी सामने नहीं आया। आयोग ने मुठभेड़ स्थलों के पास गांवों में पर्चे भी बांटे थे, जिसमें लोगों से कहा गया कि वह घटना के दिन का वाकया आकर बताएं लेकिन कोई भी गवाह पुलिस के खिलाफ सामने नहीं आया।
600 पन्नों के दस्तावेज और 130 पन्नों की रिपोर्ट
जस्टिस बीएस चौहान आयोग ने अपनी 130 पन्नों की रिपोर्ट के साथ 600 पन्नों के दस्तावेज लगाए हैं। इन दस्तावेजों में एनकाउंटर साइट का निरीक्षण करने का विस्त्रित विवरण के साथ एनकाउंटर में शामिल हर पुलिसवाले के बयान और चश्मीदीदों के बयान शामिल हैं। इसमें किसी भी मीडियावाले, किसी भी आम नागरिक और यहां तक कि विकास दुबे या उसके साथ एनकाउंटर में मारे गए किसी भी शख्स के परिवार या रिश्तेदार का बयान शामिल नहीं किया गया है।
मीडिया से हुई निराशाः आयोग
आयोग का कहना है कि उनकी ओर से विकास दुबे की पत्नी, रिश्तेदारों और एनकाउंटर में मारे गए लोगों के गांवों के निवासियों को समन दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि समन के बाद भी कोई बयान देने के लिए आगे नहीं आया।। न्यायमूर्ति चौहान ने रिपोर्ट में कहा है कि वह मीडिया से पूरी तरह से निराश हैं। विकास दुबे के एनकाउंटर को फेक बताकर कवरेज करने वाले मीडिया का कोई भी शख्स न तो बयान देने आया, न सबूत दिए और न ही फेक एनकाउंटर से संबंधित घटनाओं की कोई फुटेज दी।

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