-बनने से पहले ही कई बार बिखरा तीसरा मोर्चा
-नेतृत्व की बात पर हर बार बिखरा है थर्ड फ्रंट
हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
देश में लोकसभा चुनाव अभी बहुत दूर हैं, लेकिन तीसरा मोर्चा गठित करने की कवायद शुरू हो गई है। इस बार शरद पवार ने तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कवायद शुरू की है। लेकिन आगे बढ़ने से पहले ही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इसे नकार दिया है। बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवान ने विभिन्न दलों के नेताओं के साथ मुलाकात शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में पवार ने प्रशांत किशोर को भी दो बार मुलाकात के लिए बुलाया है।
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अगले लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दल एकसाथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ खड़े हो सकते हैं, जिसकी अगुवाई शरद पवार कर सकते हैं। प्रशांत किशोर से मुलाकात के बाद शरद पवार ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाकर चर्चा की है। माना जा रहा है कि ज्यादातर दल इस बात को लेकर सहमत हैं कि बीजेपी को आगे बढ़ने से मिलकर ही रोका जा सकता है। लेकिन विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस है। क्योंकि कांग्रेस यूपीए गठबंधन में रहकर लंबे समय से चुनाव लड़ रही है। ऐसे में यूपीए के कितने घटक दल तीसरे मोर्चे में शामिल होंगे, यह कहना मुश्किल है। दूसरी बात है कि एनडीए के घटक दलों का भी अपना महत्व है। ऐसे में तीसरे मोर्चे में शामिल होने वाले दल कितना असर दिखा पायेंगे? यह भी कहना मुश्किल है।
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शरद पवार भले ही तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद में जुटे हों, लेकिन महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल एनसीपी, कांग्रेंस और शिवसेना के बीच घमासान मचा हुआ है। ऐसे में शरद पवार की यह मेहनत कितना असर दिखा पायेगी, अभी से कहना मुश्किल है। इसको लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कहा है कि तीसरा मोर्चा ’जांचा-परखा’ हुआ है और यह मौजूदा राजनातिक परिदृश्य में फिट नहीं बैठता। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर और एनसीपी चीफ शरद पवार की मुलाकात के पीछे तीसरा मोर्चा ही है। बता दें कि 21 जून से पहले प्रशांत किशोर ने बीती 11 जून को भी शरद पवार से उनके मुंबई आवास पर मुलाकात की थी। उस समय दोनों की बातचीत 3 घंटे लंबी चली थी।
शरद पवार ने 22 जून को सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। बैठक में तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है।