नहीं थम रही कांग्रेस में मची भगदड़… अभी और पार्षर्द थामेंगे ‘आप’ का दामन!

-मुकेश गोयल के बाद पूनम बागड़ी भी आम आदमी पार्टी में शामिल

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं में मची भगदड़ जल्दी खत्म होती दिखाई नहीं दे रही है। उत्तरी दिल्ली के दिग्गज कांग्रेसी नेता मुकेश गोयल के बाद शनिवार को ही जहांगीर पुरी से कांग्रेस पार्षद पूनम बागड़ी ने भी अपने पति अश्विनी बागड़ी और कुछ दूसरे नेताओं के साथ आम आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। मुकेश गोयल को जहां डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी में शामिल कराया, वहीं पूनम बागड़ी को आप विधायक एवं चीफ व्हिप दिलीप पांडे और पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री संजय गुप्ता ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई।

कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में पार्टी के गिरते ग्राफ और कमजोर प्रदेश नेतृत्व की वजह से अभी कुछ और कांग्रेसी पार्षद आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे। इनमें पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली के भी कई निगम पार्षद हैं, जिनकी बात विभिन्न माध्यमों के द्वारा आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ चल रही है। दिल्ली में चार महीने बाद निगम चुनाव होने हैं, अतः ये सभी पार्षद चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी की ओर से उन्हें टिकट मिलने का आश्वासन मिल जाये।

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सूत्रों का कहना है कि अभी उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से कांग्रेस के 6 निगम पार्षद आम आदमी पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं। यह लोग कभी भी कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इनके अलावा कांग्रेस के ही करीब एक दर्जन पूर्व निगम पार्षद और वरिष्ठ नेता भी आप नेताओं के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
नेतृत्व पर सवाल
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व स्थिति को संभाल पाने में नाकाम साबित हो रहा है। पार्टी में जिस तरह से वरिष्ठ नेताओं के बजाय जूनियर नेताओं को तवज्जो दी जा रही है, उसकी वजह से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में बीजेपी की तरह वरिष्ठ नेताओं को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में शामिल करके उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है। कांग्रेस के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुकेश गोयल को आम आदमी पार्टी में जाने से रोका जा सकता था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसके लिए कोई कोशिश ही नहीं की, बल्कि उनकी उपेक्षा करते हुए केवल उन्हें प्रदेश प्रवक्ता बनाकर छोड़ दिया।