-नगर निगम में सभी अधिकार आयुक्त के पास
एकीकृत दिल्ली नगर निगम के विशेष कार्य अधिकारी के रुप में अश्विनी कुमार व निगम आयुक्त के रुप में ज्ञानेश भारती की नियुक्ति के साथ, एक बार फिर दिल्ली नगर निगम अपने पुराने स्वरुप में स्थापित हो गया है। आश्चर्य इस बात का है कि वरिष्ठ आईएएस अश्विनी कुमार को निगम के विशेष कार्य अधिकारी के शक्तिविहीन पद पर नियुक्त किया गया है। इससे उनकी क्षमता जाया जायेगी।
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चूंकि दोनों पदों पर वर्तमान में कार्यरत आईएएस अधिकारियों को नियुक्त किया गया है और दिल्ली नगर निगम एक्ट में निगम के सर्वाधिकार, चाहे आर्थिक हों, नियुक्ति हो या स्थानांतरण हो, सभी निगम आयुक्त के तहत आते हैं, लिहाजा दोनों कार्यरत आईएएस अधिकारियों में टकराव हो सकता है। बेहतर होता कि निगम का विशेष कार्य अधिकारी, निगम मामलों के किसी अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त किया जाता। यदि नौकरशाह को ही नियुक्त करना था तो किसी सेवानिवृत आईएएस या निगम आयुक्त को नियुक्त किया जा सकता था।
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तीनों निगमों में नियुक्त विभाग प्रमुखों (एचओडी) में प्रत्येक पर कार्यरत तीन निगम अधिकारियों में से वरिष्ठता के आधार पर एक की नियुक्ति व अन्य दो का सम्मानजनक समायोजन करना, कर्मचारियों का वेतन व वरिष्ठता क्रम के अनुसार उनकी नियुक्ति, सेवानिवृत कर्मचारियों की जमापूंजी व पेंशन, 11 हजार करोड़ से अधिक के घाटे के साथ आर्थिक स्थिति को सुधारना, राजस्व वसूली की स्थिति को सुधारना, महाभ्रष्ट की कालिख से निगम को मुक्ति दिलाने के लिए पारदर्शिता स्थापित करनी होगी।
प्रदूषण की कारक दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटस भलस्वा, ओखला व गाजीपुर की आसमान छूती ऊंचाई पर नियंत्रण के साथ कूड़े-कचरे का निष्पादन व दुर्घटनाओं पर अंकुश, अवैद्य निर्माण पर कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर अंकुश, स्वच्छता के कार्य में प्रभावी कदम उठा कर जनता को संतुष्ट करना व रैंकिंग सुधारना आदि के साथ दिल्ली नगर निगम की छवि को सुधार कर उसकी साख को स्थापित करना निसंदेह निगम आयुक्त व विशेष कार्य अधिकारी के समक्ष चुनौती है।
-जगदीश ममगांई (लेखक शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे हैं, कई पुस्तकों के लेखक हैं और सियासी मामलों के विशेषज्ञ हैं)