तेजी से बढ़ रहा ओमिक्रॉन का खौफ… ब्रिटेन में फुल स्विंग पर… भारत में अब तक 61 मामले

-क्या होती है जिनोम सिक्वेन्सिंग
-वैक्सीनेटिड भी हो रहे है संक्रमित

हेमा शर्मा/ नई दिल्ली,
कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन ने भारत में रफ़्तार पकड़ ली है, जिससे लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। मंगलवार को दिल्ली में 4 और राजस्थान में 4 मामलों के साथ देश में इस नए वेरिएंट के कुल 61 केस हो गए हैं। कोरोना की दूसरी लहर का साया अभी पूरी तरह हटा नहीं कि इस नए वेरिएंट ने भारत में दस्तक देकर देश की चिंता बढ़ा दी है।

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बता दें कि जिस तरह कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने सबसे पहले महाराष्ट्र को प्रभावित किया था उसी प्रकार इस बार भी ओमिक्रोन का संक्रमण सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कोरोना के 4 नए केस के साथ कुल 6 केस हो गए है जिसकी जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दी। उन्होंने बताया कि 6 मरीजों में से 1 मरीज को ठीक होने के बाद 1 हफ़्ते के कोरेंटिन की सलाह देकर सोमवार को लोकनायक अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
भारत में स्थिति
भारत में ओमिक्रॉन के अब तक 61 केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में मिले हैं। यहां अब तक 28 केस सामने आ चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान में 17, कर्नाटक में 3, गुजरात में 4, केरल में 1 और आंध्रप्रदेश में 1, दिल्ली में 6 और चंडीगढ़ में 1 केस सामने आया हैं। खास बात ये है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित ज्यादातर लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं।
ब्रिटेन में स्थिति
ब्रिटेन में ओमिक्रोन फुल स्विंग में है। यहां पिछले 24 घंटे में कोरोना के 59610 केस सामने आए। यह 9 जनवरी के बाद सबसे ज्यादा हैं। वहीं ब्रिटेन में पिछले 24 घंटे में 150 से ज्यादा मौतें हुईं। यहां कोरोना से संक्रमित हर रोज करीब 811 लोग हॉस्पिटल में भर्ती हो रहे हैं। अभी ब्रिटेन के अस्पतालों में 7,400 मरीज भर्ती हैं।

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क्या होती है जिनोम सिक्वेन्सिंग
आरएनए की जेनेटिक जानकारी का पता लगाने की तकनीक को जिनोम सिक्वेन्सिंग कहा जाता है। इस तकनीक से पता लगाया जाता है कि वायरस कैसा है, कैसे हमला कर रहा है, और इसके बढ़ने की रफ्तार कैसी है। जिनोम सिक्वेन्सिंग लैब में आरएनए प्रोसेसिंग की प्रक्रिया के दौरान आरएनए को डीएनए में बदला जाता है। ओमिक्रोन की चपेट में वेक्सिनेटेड  लोग भी आ रहे है। अब तक कई ऐसे मामले भी सामने आए है जिसमें दोनों डोज ले चुके लोग भी संक्रमित हो गए हैं। हालांकि वैक्सीन से संक्रमण का खतरा थोड़ा कम ज़रूर हो सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं की खतरा पूरी तरह खत्म हो जाए।