-बाल किशन अग्रवाल ने चला रखा खुद को अध्यक्ष बनाने का अभियान
-चुनाव नहीं, 21 सदस्यो के बजाय बस 3 सदस्य कर रहे रायशुमारी
-यूपी उद्योग व्यापार मंडल की तरह बिखराव की ओर बढ़ा बीयूवीएम
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
पूर्व सांसद श्याम बिहारी मिश्र के निधन के बाद भारतीय उद्योग व्यापार मंडल बिखराव की ओर तेजी से बढ़ रहा है। संगठन पर कब्जे की कवायद शुरू हो गई है और रोजाना नये-नये शिगूफे छाड़े जा रहे हैं। संगठन में एक उपाध्यक्ष अपने आप को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने के लिए सबसे ज्यादो सक्रिय हो गये हैं। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल की तरह भारतीय उद्योग व्यापार मंडल भी कई टुकड़ों में बिखर सकता है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि फिलहाल दिल्ली सहित देशभर के अलग अलग हिस्सों में लॉकडाउन चल रहा है। कहीं-कहीं अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में व्यापारिक हितों के लिए साझा प्रयास करने के बजाय अपने आपको देश केेेेेेे शीर्ष व्यापारिक संगठन का नेता बताने वाले यह व्यापारी नेता फिलहाल खुद के व्यक्तिगत हितों के संरक्षण में जुटे हुए हैं। खास बात है कि दिल्ली के व्यापारी चाहते हैं कि तुरंत लॉकडाउने खोला जाना चाहिए, लेकिन यह व्यापारी नेता अपने आपको अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग में जुट गये हैं।
बताया जा रहा है कि अप्रैल महीने में ही भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम बिहारी मिश्र और चेयरमैन मनोहर लाल कुमार का कोरोना के चलते निधन हो गया था। इसके बाद बीयूवीएम के दिल्ली स्थित कार्यालय से सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों को करीब 35 लोगों की सूची भेजी गई थी। लेकिन इन पदाधिकारियों ने उसमें से केवल 21 लोगों की एक समिति का ऐलान कर दिया था। आपसी सहमति के आधार पर इस समिति का मुखिया जयपुर के बाबूलाल गुप्ता को बनाया गया था।
बताया यह भी जा रहा है कि इन्हीं 21 सदस्यों ने यह भी तय किया था कि इन्हीं में से किसी को संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जायेगा। यह भी तय किया गया है कि इन 21 लोगों से बाहर के किसी भी व्यक्ति को कोई दोनों पदों में से किसी भी पद की जिम्मेदारी नहीं सोंपी जायेगी। इसी के साथ संगठन के एक उपाध्यक्ष बालकिशन अग्रवाल ने अपने लिए लॉबिंग शुरू कर दी है। जबकि ज्यादातर सदस्य बालकिशन अग्रवाल को अध्यक्ष बनान के पक्ष में नहीं हैं।
बताया तो यहां तक भी जा रहा है कि दिल्ली में किसी स्थान पर हुई कुछ गिने-चुने व्यापारी नेताओं की बैठक में तो उन्होंने यह तक कह दिया था कि वह केवल अध्यक्ष बनकर ही रहेंगे, और अन्य किसी पद पर कार्य नहीं करेंगे। कहा यह भी जा रहा है कि बालकिशन अग्रवाल भले ही व्यापारी हैं, लेकिन वह किसी भी व्यापारिक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं। इससे पहले भी उन्होंने किसी भी व्यापारिक संगठन में प्रमुख भूमिका नहीं निभाई है। यहां तक कि वह किसी स्थानीय व्यापारिक संगठन के भी अध्यक्ष नहीं रहे हैं। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के लिए भी केवल बैठकों में शामिल होने के अलावा उनका कोई विशेष योगदान नहीं रहा है। ऐसे में संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की जिद से दूसरे वरिष्ठ व्यापारी नेता उनसे खिन्न हैं।
आश्चर्य की बात तो यह भी है कि इस घटना के बाद से बाबू लाल गुप्ता (जयपुर) ने 21 में से तीन सदस्यों (प्रहलाद खंडेलवाल, मोहन गुरनानी और तारक नाथ त्रिवेदी) की एक और कमेटी बना दी और उसे यह जिम्मेदारी सोंपी गई है कि वह लोग सभी से बात करके अध्यक्ष का नाम तय करें। जबकि 21 सदस्यों में से आमने-सामने अध्यक्ष का नाम तय किये जाने की बात तय हुई थी। बताया जा रहा है कि श्री अग्रवाल के इशारे पर उनके पक्ष के कुछ अन्य लोगों ने 21 सदस्यों में से बाहर के लोगों के नाम भी विभिन्न पदों के लिए चलाने शुरू कर दिये हैं, ताकि झगड़ा खड़ा किया जा सके। अब देखना यह है कि भारतीय उद्योग व्यापार मंडल पर कब्जे की यह जंग कहां जाकर खत्म होती है?