डॉक्टर ने मरीज के पेट में छोड़ी ड्रैसिंग… गिरिधर लाल हॉस्पिटल का कारनामा

-इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई, दी गईं बड़ी जिम्मेदारियां

हीरेन्द्र सिंह राठौड़ / नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर पहले ही अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के कारनामों को लेकर बदनाम है। अब यहां के डॉक्टर्स का सनसनीखेज कारनामा सामने आया है। डॉक्टर ने एक महिला मरीज का ऑपरेशन तो किया लेकिन उसके पेट में ड्रैसिंग छोड़ दी। मरीज को जब पेट में दर्द हुआ और उसका एमआरआई कराया तो पता चला कि पिछले ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने घाव पर बांधने वाली पट्टी पेट के अंदर छोड़ दी थी। मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम के गिरिधर लाल अस्पताल का है।

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प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक 29 वर्षीय महिला वजीराबाद के संगम विहार इलाके में रहती है। इस महिला का ऑपरेशन गिरिधर लाल अस्पताल में तैनात डॉक्टर अंजू ने किया था। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतनी बड़ी गलती करने वाली इस डॉक्टर के खिलाफ अस्पताल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि इसका इनाम देते हुए फिलहाल उनको सीएमओ-एसएजी बना दिया गया है। इसके अलावा डीडीओ-परचेजिंग, फैमिली प्लानिंग का इंचार्ज और सीएमओ-पी की जिम्मेदारी भी दे दी गई है।

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इस मामले में अस्पताल प्रशासन की एक और बड़ी गलती सामने आयी है कि नियमानुसार कोई एमडी डॉक्टर ही इस तरह के ऑपरेशन कर सकता है। जबकि डॉक्टर अंजू केवल एमबीबीएस हैं। इस तरह के ऑपरेशन कोई एमबीबीएस डॉक्टर केवल किसी एमडी डॉक्टर की निगरानी में ही ऑपरेशन कर सकता है। ओटी शीट में दर्ज विवरण के मुताबिक यह ऑपरेशन डॉक्टर अंजू ने किया था और अस्पताल प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया।

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बता दें कि यह महिला पेशेंट गिरिधर लाल अस्पताल में 23 फरवरी 2020 को एडमिट की गई थी और 26 फरवरी को ऑपरेशन के बाद 2 मार्च 2020 को डिस्चार्ज कर दिया गया था। महिला के पेट में दर्द बढ़ने के बाद जब 9 मई 2020 को एमआरआई कराया गया तो उसके पेट में ऑपरेशन के दौरान छूटी ड्रैसिंग (मांस को लोथड़ा) का पता लगा। इसके पश्चात अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की भनक नगर निगम के आला अधिकारियों को नहीं लगने दी और इस महिला मरीज को हिंदूराव अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया।
हिंदूराव अस्पताल में उसे 10 मई 2020 को भर्ती कर लिया गया और ऑपरेशन के जरिये ड्रैसिंग वाला मांस का लोथड़ा निकालने के बाद 18 मई 2020 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। दूसरे ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट की आतें काटनी पड़ीं। जिसकी वजह से लंबे समय तक उसके पेट से गंदगी निकालने के लिए नली लगानी पड़ी। इस दौरान मरीज की एमएलसी संख्याः 1760/2020 भी करायी गई। इसके बावजूद इस मरीज की परेशानी कम नहीं हुई और अब भी वह अपने बेहतर इलाज के लिए परेशान है।
पेट में ड्रैसिंग छोड़ने वाली डॉक्टर को कार्रवाई के बजाय इनाम
अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों का कारनामा तो देखिये कि जिस डॉक्टर अंजू ने अपनी गलती की वजह से एक महिला मरीज की जान खतरे में डाल दी, उसे बार-बार ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने उसे बड़े ओहदे देकर नवाज दिया। खास बात यह है कि फिलहाल डॉक्टर अंजू के पास सीएमओ-एसएजी, डीडीओ-परचेजिंग, फैमिली प्लानिंग का इंचार्ज और सीएमओ-पी की जिम्मेदारियां हैं। जो डॉक्टर एक ऑपरेशन ढंग से नहीं कर सकीं, उनको इतनी बड़ी जिम्मेदारियां दिये जाने पर सवाल उठने तो लाजमी हैं। अब देखना यह है कि मामला संज्ञान में आने के बाद नगर निगम के आला अधिकारी और सत्ताधारी दल के नेता उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं।