वेतन की मांग पर… मंदिरों के पुजारी सड़क पर

-मौलवी को वेतन तो ब्राह्मण को क्यों नहीं
-ब्राह्मण समाज की मांग वेतन का मुद्दा मेनिफेस्टो में शामिल किया जाए

हेमा शर्मा/ नई दिल्ली,
ब्राह्मण जो हिन्दू समाज में पूजनीय होता है, जिनको समाज में  भगवान का स्थान दिया गया है। आज वही ब्राह्मण यानी कि मंदिरों के पुजारी सड़कों पर उतर कर अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। बुधवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के नेतृत्व में ब्राह्मणों ने अपने वेतन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया। रमेश बिधूड़ी के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में आए ब्राह्मणों ने अपने हक़ के लिए बुधवार को धरना प्रदर्शन किया।

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इस प्रदर्शन में भाजपा के जिलाध्यक्ष जगमोहन, पुजारी संगठन के अध्यछ करनेल जोगी, दक्षिणी दिल्ली निगम के नेता सदन इंद्रजीत व कई अन्य कार्यकर्ताओं की मोजूदगी रही। रमेश बिधूड़ी ने ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा की जब मौलवी को 18 हज़ार, अजान लगाने वाले को 16 हजार रुपये दिए जा सकते हैं तो मंदिर में  पूजा करने वाले पुजारी को वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा। विदूडी ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष देश है क्योंकि जब देश का विभाजन हुआ तब भारत में 8–9 करोड़ मुस्लिम था जो आज बढ़कर 23-24 करोड़ हो गया है वहीं पाक में 24 प्रतिशत हिंदू था जो अब सिर्फ 2 प्रतिशत रह गया है।
विधूडी ने बताया कि केजरीवाल बजट में से 59 करोड़ रुपए  मुस्लिम समाज को वेतन देते है लेकिन पुजारियों की तरफ़ से आँख मूँद रखी है। दिल्ली में लगभग 5 हज़ार मंदिर ऐसे है जहाँ हर साल भागवत होती है,हज़ार रामायण का पाठ होता है उन मंदिरों के पुजारियों को 35 हजार रुपए वेतन मिलना चाहिए।

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राहुल के हिंदू होने पर उठाया सवाल
रमेश बिधूड़ी ने कहा कि राहुल गांधी के हिंदू होने पर भी शक है क्योंकि राहुल गांधी और अखिलेश यादव को अपने हिंदू होने का सबूत देने के लिए सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता है। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा की राहुल के हिंदू होने पर गैरत है। केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए विधूड़ी बोले की केजरीवाल की रंग बदलने की नीति से तो गिरगिट भी शर्मा जाता होगा और सोचता होगा की ये कौन से डीएनए से है। ब्राह्मणों के
वेतन की मांग को आने वाली विधानसभा में मेनिफेस्टो में रखना चाहिए
अपनी मांग को बताते हुए एक ब्राह्मण ने कहा कि हमारी इस मांग को आने वाली विधानसभा के मेनिफेस्टो में रखना चाहिए। सिर्फ़ धरना देने से या बोलने से कुछ नहीं होगा। इस मांग को अमल में लाने के लिए ठोस कदम उठाना होगा।