नगर निगम को हो रहा नुकसान, आयुक्त ने रद्द नहीं की टेंडर प्रक्रिया
नेताओं-अफसरों-माफिया का गठजोड़, नहीं ली गई थी स्टेंडिंग कमेटी की एप्रूवल
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली के 6 पार्किंग के ठेके देने में हुए घोटाले में नई-नई परतें खुलकर सामने आ रही हैं। अफसरों ने ऑनलाइन ऑक्शन में भागीदारी के लिए ठेकेदारों से केवल मार्च तक के नो ड्यूज सर्टिफिकेट मांगे थे। जबकि पार्किंग की ऑक्शन मई में की गई थी। सबसे बड़ी बात है कि लाभकारी परियोजना विभाग (आरपी सेल) के अधिकारियों ने पार्किंग के ठेके देने और ऑनलाइन ऑक्शन करने के लिए स्थायी समिति या सदन की इजाजत नहीं ली थी।
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आमतौर पर जब किसी व्यवस्था में बदलाव किया जाता है तो उसके लिए स्थायी समिति और निगम सदन की अनुमति ली जाती है। लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की मनमानी इतने जोरों पर है कि जिस समय कोरोना की वजह से ज्यादातर नेता लोगों की मदद में जुटे थे। तब निगम के आला अधिकारी-नेता-पार्किंग माफिया अपने घरों पर बैठे-बैठे ही निगम को करोड़ों का चूना लगाने में जुटा था।
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निगम अधिकारियों ने 6 पार्किंग का ऑक्शन तो मई में किया लेकिन उन्होंने ठेकेदारों से केवल मार्च तक के नोड्यूज सर्टिफिकट मांगे थे। खास बात है कि पार्किंग के ऑनलाइन ऑक्शन करने के लिए निगम अधिकारियों ने सदन या स्थायी समिति से कोई मंजूरी नहीं ली थी। केवल यही नहीं यदि पार्किंग के ठेके इन्हीं ठेकेदारों को दे दिए जाते तो लाखों का बिजली का बिल नगर निगम को ही भरना होता।
लिये जाने थे अप्रैल तक के नो ड्यूज
आरोप हैं कि अधिकारियों ने गिने-चुने लोगों के साथ मिलीभगत करते हुए मनमाने ढंग से ऑक्शन की शर्तें तय कर दी थीं। नियमानुसार अप्रैल 2020 तक के नो ड्यूज सर्टिफिकेट लिये जाने चाहिए थे। यदि ठेकेदारों के लिए अप्रैल माह का लाइसेंस शुल्क माफ किया जाना था तो इसके लिए भी वरिष्ठ अधिकारियों से प्रायर एप्रूवल ली जानी चाहिए थी। लेकिन माफिया से मिलीभगत के चलते अधिकारियों ने ऐसा करना भी जरूरी नहीं समझा।
टेंडरिंग में देरी से निगम को हो रहा घाटा
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति के सदस्यों ने निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को लिखित में दिया है कि मई में कराई गई ऑक्शन को रद्द कर तुरंत दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कराई जाए। लेकिन आयुक्त ने अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है। इसकी वजह से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को लाखों रूपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन निगम के आला अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
आरपी सेल के अधिकारी संदेह के घेरे में
6 पार्किंग की ऑनलाइन ऑक्शन कराने को लेकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की आरपी सेल के अधिकारी पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गए हैं। खास बात है कि अब अन्य पार्किंग के ठेकों की रेमिशन और कुछ बड़े पार्किंग का कई महीनों से मासिक लाइसेंस शुल्क नहीं आने को लेकर भी इन अधिकारियों के ऊपर उंगलियां उठने लगी हैं।
पार्किंग ठेकों में धांधली के अभी और होंगे खुलासे
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आर पी सेल के अधिकारियों और पार्किंग के ठेकों में चल रही बड़े स्तर पर धांधली को लेकर अभी और खुलासे किए जाने बाकी हैं। एटूजैड न्यूज को मिले दस्तावेजों के मुताबिक अधिकारियों-नेताओं और पार्किंग माफिया का गठजोड़ नगर निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है। आने वाले दिनों में एटूजैड न्यूज द्वारा पार्किंग ठेकों के पुराने मामलों में भी अधिकारियों के कारनामों का खुलासा किया जाएगा।