SOUTH DMC: एक और टेंडर घोटाला… निजी कंपनी को आईटी का ठेका… निगम को लगाया 6 करोड़ का चूना

-तकनीकी आधार पर रद्द की सरकारी कंपनी की बिड
-एसडीएमसी अफसरों ने अंजाम दिया एक और कारनामा

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
पार्किंग घोटाले के बाद दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अफसरों का एक और टेंडर घोटाला सामने आया है। निगम भले ही आर्थिक तंगी का शिकार हो लेकिन नगर निगम के आला अधिकारी खुले हाथों से निजी कंपनियों पर सरकारी पैसा लुटा रहे हैं। इन्हीं अफसरों ने इन्फॉरमेशन टेक्नालॉजी से जुड़ा ठेका 6 करोड़ रूपये ज्यादा में एक निजी कंपनी को दे दिया है। जबकि सरकारी क्षेत्र की कंपनी इस काम को 6 करोड़ रूपये कम में करने को तैयार है। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मामले में दखल देते हुए निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र जारी किया है।

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दरअसल ‘‘सलेक्शन ऑफ वेंडर फॉर प्रोवाइडिंग फैसिलिटी मैनेजमंट, एएमसी फॉर इट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड बैंडविड्थ फॉर द थ्री म्यूनिसिपल कॉरपोरेशंस ऑफ दिल्ली वाइड टेंडर नं. डीआईटी/एसडीएमसी/2020/15/डी-09’’ के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने एक टेंडर जारी किया था। इसके मुताबिक दिल्ली के तीनों नगर निगमों से संबंधित इन्फॉरमेशन टेक्नालॉजी का काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाना है। इस टेंडर प्रक्रिया में ‘ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड’ (बीसिल) ने भी भाग लिया था।

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लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारियों ने इस सरकारी कंपनी की बिड को तकनीकी आधार पर रद्द करते हुए एक निजी कंपनी को एल-1 घोषित कर दिया है। बीसिल ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण भी दिया, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों बुलंद हौसलों के सामने यह स्पष्टीकरण टिक नहीं पाए। बताया जा रहा है कि यह ठेका करीब 35 करोड़ रूपये का है। जबकि सरकारी कंपनी बीसिल ने इस काम के लिए 6 करोड़ रूपये कम की बोली लगाई है। इसके बावजूद आला अधिकारियों ने नगर निगम को 6 करोड़ रूपये का सीधे तौर पर घाटा पहुंचाते हुए निजी कंपनी को ठेका देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जारी किया पत्र
टेंडर प्रक्रिया में अफसरों का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दखल देते हुए निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र जारी किया है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन) विक्रम सहाय ने 11 जून को पत्र संख्याः डी.ओ. नं. A-50013/37/2020-Admin.III के द्वारा निगम आयुक्त को पुरे मामले पर संज्ञान लेकर निर्णय लेने की बात कही है।
रद्द करना पड़ा था पार्किंग का टेंडर
इससे पहले दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के 6 पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया में भी निगम के अफसरों का फर्जीवाड़ा सामने आया था। पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया में भी अधिकारियों ने तकनीकी आधार पर 7 में से 4 बिडर को टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से बाहर कर दिया था। बाद में तूल पकड़ने के बाद निगम आयुक्त को पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया दोबारा शुरू करानी पड़ी है। इसी तरह आईटी से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में भी अफसरों ने तकनीकी कमी को ही अपनी मनमानी का आधार बनाया है। ताकि ज्यादा राशि में यह ठेका निजी कंपनी को दिया जा सके।
एक बीजेपी सांसद की दिलचस्पी
सूत्रों का कहना है कि इस टेंडर प्रक्रिया में नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद की भी दिलचस्पी है। बताया जा रहा है कि यही सांसद महोदय ने आईटी का काम संभाल रहे एक आला अधिकारी को नई दिल्ली नगर पालिका परिषद से ट्रांसफर करवाकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में लाए हैं। सरकारी कंपनी की बिड रद्द करवाकर निजी कंपनी को भी ठेका भी इन्हीं के इशारे पर दिया गया है।
चुप हैं ज्ञानेश भारती!
आईटी टेंडर घोटाले के बारे में निगम अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए एटूजैड न्यूज ने निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती, आईटी की जिम्मेदारी संभाल रहे अतिरिक्त आयुक्त अमीन अहमद ताजिर और दूसरे आला अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन इन अधिकारियों ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। इससे पहले हुए पार्किंग टेंडर घोटाले पर भी निगम के आला अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी। अब देखना यह है कि इस आईटी टेंडर घोटाले का अंजाम क्या होता है।