UP हार के साइड इफैक्ट्सः जयंत-अखिलेश पर 8 करोड़ लेकर टिकट बेचने का आरोप!

-यूपी RLD अध्यक्ष ने ओपी राजभर पर साधा निशाना, कही-शिवपाल यादव, कृष्णा पटेल व रावण के अपमान की बात

शक्ति सिंह/ लखनऊ, 19 मार्च, 2022
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन की हार के साइड इफैक्ट्स दिखाई देने लगे हैं। सपा-आरएलडी व अन्य दलों के साथ मिलकर बना गठबंधन बिखरने लगा है। बिखराव की शुरूआत राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से हुई है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर विधानसभा चुनाव में 8 करोड़ रूपये में टिकट बेचे जाने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी है। मसूद ने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लिखे पत्र में कई गंभीर आरोप लगाये हैं।

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मसूद अहमद ने अपने 7 पेज के पत्र में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने चाचा शिवपाल यादव, चंद्रशेखर रावण और कृष्णा पटेल का अपमान किया, जिसकी वजह से यादव, दलित और दूसरे वर्गों का वोट गठबंधन को मिलने के बजाय बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के खाते में चला गया और सपा-आरएलडी गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। मसूद ने जयंत चौधरी को अखिलेश के साथ गठबंधन तोड़ने की भी सलाह दी है।

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मसूद ने अपने खुले पत्र में लिखा है कि वह 2015-16 में चौधरी अजित सिंह के आहवान पर पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह जी के मूल्यों और जाट-मुस्लिम एकता के साथ किसानों, शोषित, वंचित वर्गों के अधिकार के लिए संघर्ष करने को रालोद में शामिल हुए थे। 2016-17 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। मसूद ने कहा कि उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने पार्टी के बुरे दौर में अथक प्रयास किया।

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मसूद ने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर सुप्रीमो कल्चर अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘संगठन को दरकिनार कर दिया गया। जौनपुर सदर जैसी सीटों पर्चा भरने में आखिरी दिन तीन बार टिकट बदले गए। एक सीट पर सपा के तीन-तीन उम्मीदवार हो गए। इससे जनता में गलत संदेश गया। नतीजा ये कि ऐसी कम से कम 50 सीटें हम 200 से 10000 मतों के अंतर से हार गए। उन्होंने ओपी राजभर पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि राजभर के बयानों से मतदाताओं में नाराजगी बढ़ रही है अतः उन्हें इस तरह के बयानों से रोका जाये, लेकिन आपने तब भी मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
8 करोड़ में बेचा गया हापुड़ का टिकट
जयंत को लिखे ओपन पत्र में मसूद ने लिखा है कि ’’चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति व्यक्त की। मैं यह जानकर स्तब्ध रह गया कि पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग कर रहे हैं। संगठन के दबाव में मैंने आपको सूचित किया। लेकिन आपने कोई कार्रवाई नहीं की। आपके द्वारा इसे पार्टी हित में बताकर मुद्दा टाल दिया गया। दिन में 2 बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन 4 बजे हापुड़ विधानसभा का टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। हापुड़ विधानसभा सीट पर 8 करोड़ रुपए लेकर टिकट बेचे जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ गई, जिसकी मेरे द्वारा आपको सूचना दी गई।’’
अखिलेश यादव पर लगाया पैसे लेने का आरोप
पैसे लेकर टिकट बांटे जाने का आरोप लगाते हुए मसूद ने लिखा है कि धन संकलन के चक्कर में प्रत्याशियों का समय रहते ऐलान नहीं हुआ। बिना तैयारी के चुनाव लड़ा गया। सभी सीटों पर लगभग आखिरी दिन पर्चा भरा गया। पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ और चुनाव के दिन सुस्त रहे। किसी भी प्रत्याशी को यह नहीं बताया गया कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। कीमती समय में कार्यकर्ता लखनऊ और दिल्ली के आप और अखिलेश जी के चरणों में पड़े रहे और चुनाव की तैयारी नहीं हो पाई। अखिलेश जी ने जिसको जहां मर्जी आई धन संकलन करते हुए टिकट दिए, जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ। उदाहरण के तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य को बिना सूचना के फाजिलनगर भेजा गया और वह चुनाव हार गए। अखिलेश और आपने तानाशाह की तरह काम किया, जिससे गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा। मेरा आपको यह सुझाव है कि जब तक अखिलेश जी बराबर का सम्मान नहीं देते तब तक गठबंधन स्थगति करन दिया जाए।
पूरब में 3 से 5 करोड़ की मांग, पैसे नहीं जुटा सके आरएलडी नेता
मसूद अहमद ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में टिकटों में आरएलडी को भागीदारी नहीं मिल पाने पर भी सवाल उठाये हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अच्छी तैयारी की थी, लेकिन उनसे 3 करोड़ से 5 करोड़ रूपये पहले जमा कराने के लिए कहा गया। वह लोग कम समय में इतना पैसा सपा कार्यालय में जमा नहीं करा पाये तो उन्हें टिकट नहीं दिया गया। जिसकी वजह से पैसे देकर टिकट लेने वाले उम्मीदवार भी नहीं जीत सके। उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी के 10 उम्मीदवार आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े लेकिन आरएलडी के एक भी नेता को सपा के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ाया गया। जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं में अपनी पार्टी के अपमान का संदेश गया।
21 तक दो जवाब या फिर स्वीकार करो इस्तीफा
मसूद अहमद ने आगे लिखा है कि बीजेपी के दोबारा सत्ता में आ जाने से मुसलमानों पर जान माल का संकट उत्पन्न हो गया है। जीता हुआ चुनाव टिकट बेचने और अखिलेश जी के घमंड में चूर होने से और आपके सुस्त रवैये से हम हार गए। दुख तो यह है कि अभी भी कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप और अखिलेश जी इन सवालों का उत्तर दें ताकि ये गलतियां दोबारा ना दोहराई जाएं। यदि आप चाहें तो मुझे पार्टी से निष्कासित कर दें, लेकिन इन सवालों के जवाब 21 मार्च को होने वाली बैठक में या उससे पहले जनता के सामने रखें। यह पार्टी और गठबंधन के हित में होगा। यदि आप दोनों इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को मेरा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र माना जाए।