लीडरशिप के साइड इफैक्ट्सः हर सीट पर बढ़ा BJP की हार का फासला

-2017 के मुकाबले हर सीट पर गिरा बीजेपी का वोटिंग ग्राफ
-2705 वोट से हारी 2017 में 3553 वोट से जीती हुई सीट

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली की सियासत में निगम उपचुनाव के नतीजे भारी निराशाजनक रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की लीडरशिप के साइड इफैक्ट्स सामने आए हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि 2017 के मुकाबले उपचुनाव में हर सीट पर बीजेपी की हार का फासले बड़े स्तर पर बढ़ा है। माना जा रहा है कि बीजेपी का वर्तमान प्रदेश नेतृत्व चुनाव प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा नहीं करा सका।

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नतीजे आने के बाद पार्टी में ही चर्चा शुरू हो गई है कि बीते दिनों पार्टी में हुई नियुक्तियों को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। 2017 के निगम चुनाव के समय सांसद मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष थे। तिवारी के नेतृत्व में लड़े गये चुनाव में बीजेपी 2012 के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतकर आई थी। उपचुनाव में बीजेपी इन सभी पांचों सीटों पर बुरी तरह से हारी है। 5 में से 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है और एक सीट पर कांग्रेस ने बाजी मारी है।

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बीजेपी नेता उत्तरी दिल्ली की रोहिणी-सी और शालीमार बाग नॉर्थ पर अपनी जीत पक्की मानकार चल रहे थे। लेकिन इन सीटों पर भी पार्टी की हार का अंतर बढ़ा है। वार्ड संख्याः 32-एन रोहिणी-सी सीट पर 2017 में आम आदमी पार्टी के वर्तमान विधायक ने बीएसपी के टिकट पर बीजेपी से यह सीट 2669 वोट के अंतर से जीती थी। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रामचंद्र को 14328 वोट हासिल हुए हैं और आप ने यह सीट बीजेपी से 2985 वोट के अंतर से जीती है।

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बीजेपी की परंपरागत सीट वार्ड संख्याः 62-एन शालीमार बाग नॉर्थ की हालत तो इससे भी ज्यादा खराब रही है। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सुनीता मिश्रा ने यह सीट इस बार 2705 वोट के अंतर से जीती है। जबकि 2017 में यह सीट बीजेपी की रेनू जाजू ने 3553 वोट के अंतर से आम आदमी पार्टी से जीती थी। 2017 में आप को बीजेपी को इस सीट पर 9975 वोट हासिल हुए थे, जबकि इस बार बीजेपी को इस सीट पर 11,343 वोट मिले थे।

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पूर्वी दिल्ली की तीनों सीटों पर भी बीजेपी की हार का अंतर बेतहाशा ढंग से बढ़ा है। वार्ड संख्याः 2-ई त्रिलोकपुरी ईस्ट सीट 2017 के निगम चुनाव में बीजेपी ने 3049 वोट से हारी थी। लेकिन इस बार इस सीट पर इस बार बीजेपी की हार का अंतर बढ़कर 4986 हो गया है। पिछली बार बीजेपी उम्मीदवार को 6450 वोट हासिल हुए थे। जबकि उपचुनाव में बीजेपी को 7859 वोट हासिल हुए हैं। आम उम्मीदवार को 2017 में 9499 वोट मिले थे, जबकि इस उपचुनाव में आप उम्मीदवार को 12845 वोट हासिल हुए हैं।
वार्ड संख्याः 8-ई कल्याणपुरी सीट पर भी बीजेपी बुरी तरह से हारी है। 2017 में बीजेपी उम्मीदवार ने 7386 वोट मिले थे और पार्टी केवल 874 वोट से हारी थी। जबकि बुधवार को आये नतीजों में बीजेपी को पिछली बार से भी कम यानी 7259 वोट हासिल हुए हैं और बीजेपी की हार का अंतर बढ़कर 7043 तक पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी को पिछले चुनाव में 8260 वोट मिले थे और उपचुनाव में आप को 14,302 वोट मिले हैं। यानी कहा जा सकता है कि 2017 के मुकाबले वर्तमान प्रदेश नेतृत्व कोई चमत्कार दिखाने के बजाय हर क्षेत्र में फिसड्डी रहा है।
अब तक हुए चुनावों के मुकाबले बीजेपी की सबसे बुरी हालत वार्ड संख्याः 41-ई चौहान बांगर सीट पर हुई है। बीजेपी को इस सीट पर इस बार सबसे कम वोट हासिल हुए हैं। हालांकि पायदान में जरूर सुधार हुआ है, क्योंकि इस बार इस सीट पर केवल पांच उम्मीदवार थे और बीजेपी कुल 105 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही है। उपचुनाव में कांग्रेस ने यह सीट 10,642 वोट के अंतर से जीती है। आम आदमी पार्टी के इशराक खान को कुल 5561 वोट मिले हैं। बीजेपी को इस सीट पर 2007 में 1278 वोट हासिल हुए थे और 5 वें स्थान पर रही थी। 2012 में बीजेपी उम्मीदवार शाहीन को 179 वोट मिले थे और पार्टी 7 वें स्थान पर रही थी। जबकि 2017 के निगम चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार सरताज को 289 वोट मिले थे और पार्टी 5 वें स्थान पर रही थी।