सुरक्षा में चूकः सफल रहा कांग्रेस का मास्टर प्लान… कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंच सके पीएम मोदी!

-घटना के बाद बोले पंजाब के सीएमः ’’खेद है कि उन्‍हें लौटना पड़ा’’, ‘‘लेकिन नहीं हटाया जायेगा कोई भी पुलिस अधिकारी’’
-प्रतिबंधित आतंकी संगठन एसएफजे पहले से ही लोगों को भड़का रहा था, फिर भी पंजाब सरकार को नहीं लगी भनक?

शक्ति सिंह/ चंडीगढ़
बुधवार को हुई पीएम मोदी की सुरक्षा की चूक में नई बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि ये प्लान पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पहले ही बना लिया था कि पीएम मोदी को कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंचने दिया जायेगा। पंजाब सरकार पहले से ही पीएम मोदी के इस दौरे के लिए गृह मंत्रालय को मना कर रही थी। यह बात स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने स्वीकार की है। इसके अलावा चन्नी ने ये भी स्वीकार किया है कि ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों से बात करके उन्हें आंदोलन नहीं करने के लिए मना लिया गया था।’’

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इसके बावजूद कुछ लोग पीएम के रूट पर पहुंच कर जाम लगाने में सफल रहे और पुलिस-प्रशासन को इस बात की भनक तक नहीं लगी। सूत्रों का कहना है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन एसएफजे पहले से ही पीएम मोदी की इस यात्रा के बारे में लोगों को भड़का रहा था। विदेशों से लगातार लोगों को रिकॉर्डेड फोन कॉल्स आ रहे थे। फिर भी पंजाब सरकार और उसके शासन-प्रशासन को इस बात का पता ही नहीं चला?

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इसका ताजा उदाहरण ये है कि खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बुधवार को हुई इस घटना के बाद कहा कि ‘‘मुझे खेद है कि प्रधानमंत्री को लौटना पड़ा। हम अपने पीएम का सम्मान करते हैं। हमने उनसे (पीएमओ) खराब मौसम की स्थिति और विरोध के कारण यात्रा रद्द करने के लिए कहा था। हमें उनके (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) अचानक मार्ग परिवर्तन की कोई सूचना नहीं थी। पीएम के दौरे के दौरान सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। प्रधानमंत्री के काफिले को उस जगह से पहले ही रोक दिया गया था जहां प्रदर्शनकारी बैठे थे।’’

सीएम ने कहा कि ‘‘प्रदर्शनकारियों को उठाने में कम से कम 10-20 मिनट लगते। पीएम को इसके बारे में सूचित किया गया था और एक अलग रूट से जाने का भी आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने वापस लौटने का फैसला किया। अगर पीएम मोदी के दौरे के दौरान सुरक्षा में कोई चूक हुई है तो हम जांच कराएंगे। प्रधानमंत्री को कोई खतरा नहीं था। मुझे आज बठिंडा में पीएम की अगवानी करनी थी, लेकिन जिन लोगों को मेरे साथ जाना था, वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसलिए, मैं आज पीएम को रिसीव करने नहीं गया, क्योंकि मैं कोविड पॉजिटिव हुए कुछ लोगों के संपर्क में था।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘किसान पिछले एक साल से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। मैं किसानों पर लाठीचार्ज नहीं कर सकता। हमने पूरी रात किसानों से बात की, जिसके बाद उन्होंने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था, लेकिन आज अचानक फिरोजपुर जिले में कुछ आंदोलनकारी एकत्र हो गए। सुरक्षा चूक से जुड़ी आज की घटना के बाद किसी भी अधिकारी को निलंबित नहीं किया जाएगा।’’

पंजाब कांग्रेस से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ‘‘इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुद पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि पीएम की सुरक्षा में चूक को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने पंजाब कांग्रेस की सियासत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस तरह की राजनीति स्वीकार नहीं की जा सकती।’’ सबसे बड़ा सवाल तो पंजाब के सीएम चन्नी के उस बयान पर उठाया जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह ‘‘पीएम मोदी की आगवानी करने के लिए इसलिए नहीं गये कि उनके कुछ साथी कोरोना पॉजिटिव थे।’’ यदि ऐसा था और वह एहतियातन सामने नहीं आना चाहते थे, तो फिर घटना के बाद उसी दिन मीडिया वालों के सामने कैसे आ गये? खास बात तो यह है कि सीएम चन्नी पीएम की दिल्ली वापसी के तुरंत बाद एक चैनल पर भी साक्षात्कार देते नजर आये।
सबसे बड़ा सवाल… प्रदर्शनकारियों को किसने दी पीएम के रूट की जानकारी?
पंजाब के सीएम चन्नी ने ये तो कहा है कि पीएम का पंजाब का दौरा नहीं करने के लिए कहा गया था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के रूट की जानकारी किसने दी थी? जब आंदोलन पहले ही खत्म हो चुका था तो लोग पीएम के रूट तक कैसे पहुंच गये? पीएम का काफिला स्थानीय पुलिस के क्लीयरेंस के बाद ही आगे बढ़ता है, तो फिर स्थानीय पुलिस के अधिकारियों ने पहले ही स्थिति के बारे में क्यों नहीं बताया?
खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों की चूक… सूचना माध्यमों की हो रही थी रेकी?
भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी प्रधानमंत्री को अपनी यात्रा बीच में ही रोककर दिल्ली वापस आना पड़ा हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के इस मामले ने केंद्र और राज्यों के पूरे सूचना तंत्र और खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा दिये हैं। जिस तरह से पूरे किसान आंदोलन को लेकर केवल पंजाब की कांग्रेस सरकार, वाम पंथियों, समूचे विपक्ष और दिल्ली की आम आदमी पार्टी पर सवाल उठते रहे हैं, उसके बावजूद राज्य और केंद्र की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों का पूरा नेटवर्क पंजाब में हो रहीं गतिविधियों पर नजर नहीं रख सका। बुधवार की इस घटना से यह सिद्ध हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा की गतिविधियों की पूरी तरह से रेकी हो रही थी और पंजाब की कांग्रेस सरकार इसमें शामिल थी।
कांग्रेस को चाहिये किसानों की सेंपैथी
सियासी जानकारों का कहना है कि पंजाब में कांग्रेस की पूरी राजनीति किसानों की सेंपैथी पर टिकी है। किसानों के नाम पर शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और बीजेपी पहले ही अलग हो चुके हैं। किसानों के नाम पर ही आम आदमी पार्टी पंजाब में अपने पैर पसारना चाहती है और कांग्रेस को सबसे बड़ा खतरा आम आदमी पार्टी से ही है। क्योंकि जहां बीजेपी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हाथ मिलाने जा रही है, वहीं एसएडी पहले ही बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिला चुकी है।