23 मई से शनि की वक्री चाल… जानें किस पर होगी टेढ़ी नजर?

-शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित इन राशि वालों पर पड़ेगा क्या असर

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
न्याय के ग्रह कहे जाने वाले शनि देव रविवार 23 मई 2021 को वक्री होने जा रहे हैं। शनि की उल्टी चाल का सबसे ज्यादा प्रभाव धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीनों ही राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि के वक्री चाल में होने से परेशानियों में बढ़ोतरी हो जाती है। शनि देव 23 मई 2021 दिन रविवार को दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर व्रकी हो जाएंगे। करीब 5 महीने तक शनि देव उल्टी चाल चलेंगे। इस साल शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं हो रहा है। लेकिन 11 अक्टूबर 2021 को शनि फिर से मार्गी होंगे और सीधी चाल में चलने लगेंगे। बता दें कि शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों को शनि की वक्री चाल के दौरान सावधान रहना चाहिए।

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मकर राशि के स्वामी फिलहाल मकर राशि में ही गोचर कर रहे हैं और मकर राशि में ही 23 मई 2021 से वक्री चाल चलना शुरू करेंगे। शनि देव की वक्री चाल के दौरान सबसे ज्यादा मुश्किलें धनु, मकर व कुंभ राशि वालों की बढ़ सकती हैं। शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं। धनु राशि वालों पर इसका अंतिम चरण चल रहा है। अंतिम चरण में शनि जाते-जाते कुछ न कुछ लाभ देकर जाते हैं। मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा तो कुंभ राशि वालों पर पहला चरण चल रहा है। कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती जिन जातकों की कुंडली में चल रही हो उन्हें इस दौरान कोई नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। इसके अलावा धन निवेश से भी बचना चाहिए।
मिथुन व तुला राशि वालों को मिलेगी शनि की ढैय्या से मुक्तिः
मिथुन और तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। राहत की बात यह है कि साल 2022 में शनि के राशि परिवर्तन करते ही मिथुन व तुला राशि वालों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। फिलहाल इन दो राशि वालों को भी शनि की व्रकी चाल के दौरान उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। इन राशि के जातकों को सफलता पाने के लिए सामान्य से ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है और मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
शनि को प्रसन्न करने के उपायः
शनि के प्रकोप से बचने के लिए जातक को रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है। मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल भरकर अपनी परछाई देखकर दान करना चाहिए। इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाना चाहिए।
शनि के ‘ॐ शं शनैश्चरायै नमः’, ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’, ‘ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवंतु नमः’ आदि मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शनि की वक्री चाल के प्रभावों से निम्नलिखित राशियों के जातकों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत हैः-
मिथुनः मिथुन राशि के जातकों के लिए ये समय शुभ नहीं कहा जा सकता है। मिथुन राशि पर इस समय शनि की ढैय्या का प्रभाव चल रहा है, जिस वजह से मिथुन राशि के जातकों पर शनि का अशुभ प्रभाव पड़ सकता है। शनि के वक्री होने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस समय धन का अधिक खर्च न करें।
तुलाः तुला राशि के जातकों पर इस समय शनि की ढैय्या चल रही है। शनि के वक्री होने से तुला राशि के जातकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। तुला राशि के जातकों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
धनुः धनु राशि इस समय शनि की साढे़साती से प्रभावित है। शनि के वक्री होने से धनु राशि के जातकों की परेशानी बढ़ सकती है। स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस समय किसी भी तरह के वाद- विवाद से दूर रहें।
मकरः मकर राशि पर भी इस समय शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि के वक्री होने से मकर राशि के जातकों को अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। नौकरी और व्यापार में नुकसान हो सकता है।
कुंभः इस समय कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। शनि का वक्री होना कुंभ राशि के जातकों की परेशानी बढ़ा सकता है। इस समय आपको अधिक मेहनत करनी होगी। स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
नोटः यह आलेख सामानय ज्योतिषीय गणना पर आधारित है। इसके शतप्रतिशत सत्य होने का दावा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की निजी कुंडली के आधार पर फलादेश अलग हो सकते हैं। अधिक विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया अपने विश्वास के अनुसार किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से परामर्श करें।