निगम चुनाव से पहले दिल्ली बीजेपी में बवाल शुरू… अपने मीडिया विभाग को भी नहीं संभाल पा रहा प्रदेश नेतृत्व

-बग्गा को हटाया तो खुराना ने छोड़ा पार्टी का अधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप
-अध्यक्ष के अलावा तीन पदाधिकारियों पर लगाए जा रहे मनमानी के आरोप

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
राजधानी में अभी निगम चुनावों की सुगबुगाहट भी शुरू नहीं हो पाई है, लेकिन दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में बवाल शुरू हो गया है। पार्टी नेताओं में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी और तेज होती जा रही है। पार्टी की सिख सियासत में पहले से ही घमासान मचा हुआ है, अब कुछ दूसरे नेता भी बगावती तेवरों में आ गए हैं। दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ताओं तेजेंदर बग्गा और नेहा शालिनी दुआ व कुछ अन्य को पार्टी के अधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप से निकाल दिया गया है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मदन लाल खुराना के पुत्र हरीश खुराना खुद ही इस ग्रुप को छोड़ रखा है।

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पार्टी में चल रही इस सियासी कलह का नुकसान बीजेपी को आने वाले दिनों में होने वाले दिल्ली के नगर निगम चुनावों में उठाना पड़ सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रदेश नेतृत्व भी पार्टी नेताओं के बीच सुलग रही बगावत की चिंगारी पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। बग्गा को पिछले शनिवार को दो वॉट्सऐप ग्रुप से रिमूव कर दिया गया था, जिसमें मुख्यतौर पर पार्टी के मीडिया टीम के सदस्य हैं। लेकिन मंगलवार को एक बार फिर ग्रुप में जोड़ दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसके बाद खुद ग्रुप छोडते हुए अपने ट्विटर पर अपने परिचय से ’बीजेपी प्रवक्त’ हटा दिया है।

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दिल्ली बीजपी के एक वरिष्ठ नता का कहना है कि ग्रुप से हटाने के लिए भी बहुत ही हास्यास्पद कारण बताया गया है। कारण में कहा गया है कि ग्रुप में शामिल ये प्रवक्ता बहुत ज्यादा निष्क्रिय हैं और पार्टी के ट्वीट्स को रीट्वीट नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश बीजेपी में इस समय वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। टीम में शामिल कई नेता दूसरे नेताओं का आगे नहीं आने देना चाहते हैं। इस मनमानी में पार्टी के दो प्रदेश उपाध्यक्ष, एक मीडिया टीम के अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ज्यादा सक्रिय हैं।

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दिल्ली बीजेपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया कि तेजेंदर बग्गा 2020 का विधानसभा चुनाव हरी नगर विधानसभा क्षेत्र से लड़े थे, लेकिन भारी फैनफॉलोइंग होने के बावजूद बड़े अंतर से चुनाव हा गए थे। प्रदेश संगठन के पुनर्गठन के समय वह पार्टी में बड़ा ओहदा चाहते थे, जो कि नहीं मिल सका। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी नेतृत्व की ओर से हरीश खुराना को कोई बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने की बात कही गई थी। लेकिन बाद में इसे भी पूरा नहीं किया गया। हालांकि उन्हें बाद में मीडिया रिलेशन विभाग का मुखिया बनाने की घोषणा की गई थी। लेकिन खुरान तभी से नाराज चले आ रहे हैं।
हालांकि पार्टी की ओर से दावा किया गया है कि पार्टी में सब कुछ ठीक है और कोई मतभेद नहीं है। कुछ लोगों ने अपना मोबाइल फोन बदल लिया होगा या कुछ तकनीकी वजह रही होगी, जिसकी वजह से ग्रुप से उनके नाम हट गए होंगे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि दिल्ली बीजेपी में चल रही यह लड़ाई वर्चस्व की है। यही कारण है कि पार्टी को आगे बढ़ाने के बजाय कुछ लोग एक-दूसरे की टांगें खींचने में लगे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश नेतृत्व इस समस्या का क्या समाधान निकाल पाता है?
लगातार कमजोर हो रही बीजेपी
अपने नेताओं के आपसी झगड़े की वजह से बीजेपी दिल्ली में लगातार कमजोर हो रही है। कुछ महीनों बाद दिल्ली में नगर निगम चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेसी वोट और कांग्रेसी नेताओं को अपने दल में शामिल करती जा रही है। कई निगम पार्षद पाला बदलकर आप में जा चुके हैं। दूसरी ओर बीजेपी अपने नेताओं की लड़ाई में ही उलझी हुई है। प्रदेश नेतृत्व ने जिस नाराजगी को दूर करने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रवक्ताओं की बड़ी फौज की घोषणा की थी, वह फैसला भी अब काम नहीं आ रहा है।