’घर-घर राशन’ योजना पर बवाल… केजरीवाल ने राशन वालों को बताया माफिया… मोदी सरकार भी उठाये सवाल

-मोदी सरकार ने रोकी योजना तो आप नेता ने बताया नीयत में खोट
-मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के राशन डीलर्स को बताया माफिया

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
‘घर-घर राशन योजना’ को रोके जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए उन्होंने दिल्ली के राशन विक्रेताओं को माफिया बताया है। उन्होंने कहा कि बीते 75 साल से गरीबों के राशन की कालाबाजारी होती आ रही है अतः घर-घर राशन योजना को शुरू किये जाने की जरूरत है। दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार की इस योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इसमें केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं ली गई है।

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बता दें कि मार्च महीने में ही केंद्र सरकार ने इस योजना पर आपत्ति दर्ज की थी। अब इस पर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पाबंदी लगाई है। दिल्ली सरकार ने इस निर्णय को राजनीति से प्रेरित बताया है। दिल्ली सरकार की बहुप्रतिक्षित घर-घर राशन योजना की तैयारी आज से नहीं बल्कि तीन साल पहले से चल रही है। दिल्ली सरकार ने योजना के तहत 72 लाख लोगों को खाद्य व वितरण विभाग से मिलने वाला राशन उनके घर पर ही पहुंचाने की योजना बनाई थी। इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना रखा गया था। केंद्र सरकार ने मार्च में नाम को लेकर ही इस योजना पर आपत्ति जताई थी।

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केंद्र का कहना है कि राशन वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किया जाता है। ऐसे में कोई राज्य इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकता। इस आपत्ति के बाद गत 25 मार्च को यह योजना रोक दी गई थी। इसके बाद दिल्ली सरकार की ओर से इसका नाम ‘घर-घर राशन’ कर दिया गया है। केंद्र सरकार के सुझावों के बाद 24 मई 2021 को दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल को इस योजना को लागू करने के लिए फाइल भेजी थी। लेकिन एलजी ने इस फाइल को वापस कर दिया है और कहा है कि इस योजना को दिल्ली में लागू नहीं किया जा सकता। इसका एक कारण बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने इस योजना के लिए केंद्र से अनुमति नहीं ली थी। जबकि इससे संबंधित मामला कोर्ट में होने को दूसरा कारण बताया जा रहा है।

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वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार इसका कोई श्रेय नहीं लेना चाहती है। यदि इस योजना को शुरू करने की मंजूरी दी जाती है तो दिल्ली सरकार यह कहेगी कि इसे प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू कराया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार ऐसी योजना शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार को किसी की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। फिर भी हर स्तर पर केंद्र को अवगत किया गया। केंद्र से प्राप्त अंतिम पत्र के आधार पर आपत्तियों को भी दिल्ली सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट में केस होने का तर्क गलत है। राशन दुकानदार दिल्ली हाई कोर्ट में इस योजना पर स्टे लगवाने के लिए गये थे। लेकिन वहां से राशन दुकानदारों को कोई राहत नहीं मिली है। फिर केंद्र की मोदी सरकार राशन माफिया का साथ क्यों दे रही है। बीते 75 वर्षों से गरीबों के राशन की कालाबाजारी होती आ रही है। अब दिल्ली सरकार ने इस राशन को लोगों के घर तक पहुंचाने की कोशिश की है। दूसरी ओर जो केस कोर्ट में चल रहा है, उसमें केंद्र सरकार भी पार्टी है, लेकिन केंद्र की ओर से कोर्ट में इस योजना के विरूद्ध एक शब्द भी नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना शुरू होती है तो लोगों के घर तक राशन बिना किसी कालाबाजारी के पहुंचेगा।
ये है ‘घर-घर राशन योजना’
दिल्ली सरकार की इस योजना के तहत प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा, 1 किलो चावल और चीनी घर पर प्राप्त होनी थी। वर्तमान में 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल और चीनी उचित मूल्य की दुकानों से मिलता है। योजना के तहत गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता और चावल को साफ करके बंद पैकेट में दिया जाता। राशन डीलर खराब गुणवत्ता वाला राशन नहीं दे पाता। लोगों को राशन की दुकानों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ते। यह योजना केंद्र सरकार की ‘वन नेशन, वन कार्ड योजना’ को भी पूरा करती है।