-पूर्व अध्यक्ष के कृपा पात्र शरत झा ने मंडल अध्यक्ष को दीं मां-बहन की गालियां
-‘अडजस्ट’ करने को मंडल व जिलों में नियत से ज्यादा पदाधिकारी बनाने की कवायद
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मंडल, जिला और प्रदेश पदाधिकारियों की घोषणा के बाद पार्टी में बवाल होना शुरू हो गया है। माननीय बनने की चाहत रखने वाले दिल्ली बीजेपी के नेता अब एक दूसरे को मां-बहनकी गालियों से नवाज रहे हैं। ‘‘अपने लोगों’’ को मूल संगठन में रखवाने के लिए इन लोगों ने मंडल और जिला अध्यक्षों को खुलेआम धमकाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं ऐसे लोगों ने प्रदेश नेतृत्व के सामने भी ‘‘कुछ भी बिगाड़ लेने’’ की चुनौती पेश कर दी है।
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ताजा मामला बीजपी में नवोदित नेता शरत झा और संगम विहार (डी) के मंडल अध्यक्ष अनिल गुप्ता के बीच का सामने आया है। इस मामले में एक ऑडियो क्लिप भी खूब वायरल हो रहा है। इस ऑडियो क्लिप (कॉल रिकॉर्डिंग) में शरत झा अपने लोगों को मेन संगठन में अडजस्ट करने के लिए अनिल गुप्ता को धमका रहे हैं। बता दें कि अनिल गुप्ता को प्रदेश बीजेपी नेतृत्व में हाल ही में मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस ऑडियो में अनिल गुप्ता कहते हैं कि ‘मंडल के पदाधिकारियों की सूची तो चली गई है, उनके लोगों को मोर्चों में अडजस्ट कर लिया जाएगा।’ लेकिन शरत झा तुरंत गाली-गलौज पर उतर आते हैं।
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इस ऑडियो क्लिप में शरत झा यह कहते हुए भी सुनाई दे रहे हैं कि ‘मिलके चलना होता है तो ठीक है, तकरार करना है तो अपना संगठन चलाईये’। ’अनिल जी मैं कह रहा हूं, बकवास मत करो, शरत झा क्या है तुम अभी जानते नहीं हो।’ इसके साथ ही शरत झा गंदी-गंदी गालियों पर उतर आता है। इस ऑडिया क्लिप में शरत झा आगे कहता हुआ सुनाई दे रहा है कि ‘30 हजार से पेल दिया था न उसको’। शरत झा का इशारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार की हार की ओर है। इसमें वह यह भी बार-बार कहता हुआ सुनाई दे रहा है कि रोहताश को बोल देता हूं। इसके बाद जिला अध्यक्ष रोहताश भी संदेह के घेरे में आ गए हैं।
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गौरतलब है कि शरत झा ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में संगम विहार सीट से टिकट की दावेदारी की थी। लेकिन पार्टी ने इस पर विचार नहीं किया था। यह सीट वैसे भी समझौते में चली गई थी। लेकिन खास बात है कि शरत झा को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का खास बताया जाता है। विधानसभा चुनाव के समय भी शरत झा ने लोगों के सामने यह दावेदारी की थी कि वह मनोज तिवारी का खास है और उसका टिकट पक्का हो गया है।
जिला अध्यक्षों से पहले मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति बन रही परेशानी का सबब
दिल्ली बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिला अध्यक्षों से पहले मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की वजह से ज्यादा परेशानी आ रही है। जिला अध्यक्ष अपने नवनियुक्त मंडल अध्यक्षों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दिनों मंडल और जिलों के संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए रायशुमारी की गई थी। ऐसे में पार्टी के लोगों ने अपने अपने हिसाब से नाम दिये थे। इसके चलते कुछ जिला अध्यक्षों ने विभिन्न माध्यमों से अपने मंडल अध्यक्षों के ऊपर दबाव डलवाया है। इसके साथ ही कुछ लोग संगठन में विवाद बनाए रखना चाहते हैं। इस घटना को भी इसी का नतीजा बताया जा रहा है।
संविधान से ज्यादा पदाधिकारी बनाने की कवायद
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि केवल प्रदेश स्तर पर ही नहीं बल्कि पार्टी में मंडल और जिला स्तर पर भी भारी असंतोष है। ज्यादातर लोग अपने लिए मंडलों और जिलों में महामंत्री का पद मांग रहे हैं। इसके चलते ज्यादातर मंडलों और जिलों में दो से ज्यादा महामंत्री बनाने की सिफारिश की जा रही है। यही स्थिति विभिन्न मोर्चों के मंडलों की है। जबिक बीजेपी के संविधान के अनुसार मंडल मोर्चा की कार्यकारिणी में कुल 16 लोग हो सकते हैं। इनमें से पदाधिकारियों की संख्या केवल 7 हो सकती है, जो कि एक अध्यक्ष, 2 उपाध्यक्ष, 1 महामंत्री, 2 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष और 9 कार्यकारिणी सदस्यों से पूरी होती है।
मुख्य संगठन की मंडल कार्यकारिणी में शामिल होने को घमासान
दिल्ली बीजेपी के संविधान के अनुसार किसी भी मंडल में अध्यक्ष सहित कुल 46 लोग हो सकते हैं। इनमें 15 महिलाएं और 3 एससी-एसटी वर्ग के लोग होना जरूरी है। मंडल में अध्यक्ष सहित कुल 13 पदाधिकारी हो सकते हैं। इनमें 4 महिलाओं और एक एससी वर्ग से होना जरूरी है। इसमें 1 अध्यक्ष, 4 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 5 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष और 33 सदस्य शामिल हैं। लेकिन पार्टी में चल रहे घमासान के बीच आने वाले दिनों में मंडलों और जिलों में पार्टी संविधान की धज्जियां उड़ते हुए दिख सकती हैं।