छिना पार्षदों का अधिकार… बिना महापौर की अनुमति के नहीं मिलेगी कोई जानकारी

-उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने जारी किया सर्कुलर
-महापौर की मर्जी से ही मिल सकेगी पार्षदों को जारकारी
-आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
नगर निगम और विवादों का पुराना नाता है। दिल्ली के नगर निगमों और इनके अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर तो पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब निगम पार्षदों का विभिन्न सूचना प्राप्त करने का अधिकार भी छीन लिया गया है। यदि किसी निगम पार्षद को नगर निगम के कामकाज से संबंधित कोई जानकारी की जरूरत है तो उसे अब महापौर की दया पर निर्भर कर दिया गया है। यदि महापौर चाहेंगे तभी किसी पार्षद को नगर निगम से कोई जानकारी मिल सकेगी। सेंट्रल एस्टेब्लिश ब्रांच के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की ओर से अधिकारियों को इस आशय का सर्कुलर जारी किया गया है।

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आश्चर्य की बात तो यह है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लेकिन सत्ताधारी दल बीजेपी और निगम अधिकारी निगम पार्षदों के अधिकारों पर अंकुश लगाने में जुटे हैं। जारी किये गए सर्कुलर के मुताबिक यदि किसी निगम पार्षद को नगर निगम से किसी तरह की सूचना चाहिए तो उसे पहले महापौर के यहां इसके लिए आवेदन देना होगा। यदि महापौर चाहेंगे तभी उस आवेदन को आगे बढ़ाया जाएगा। सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व के इस कदम को विपक्ष पर लगाम लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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आखिर जनता से क्या छुपाना चाहते हैं बीजेपी नेताः विकास गोयल
आम आदमी पार्टी के नेता और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता विकास गोयल का कहना है कि सत्ताधारी बीजेपी के नेता आखिर जनता से क्या छुपाना चाहते हैं। हर निगम पार्षद अपने इलाके से चुनकर आता है। वह जनता का प्रतिनिधि होता है। हर पार्षद को निगम के कामकाज के बारे में जानकारी मांगने का हक है। हमने निगम आयुक्त से तीन महीने पहले जानकारी मांगी थी, जो आज तक नहीं दी गई। महापौर ने सदन की बैठक में विश्वास दिलाया था कि मांगी गई जानकारी हमारे पास पहुंच जाएगी। लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। दरअसल बीजेपी नेता अपने भ्रष्टचार को छुपाना चाहते हैं। नगर निगम को मिलने वाला पैसा कहां जा रहा है? वह लोग इसकी जानकारी जनता को नहीं होने देना चाहते हैं। इसलिए अब इस तरह के सर्कुलर निकलवाए जा रहे हैं।
बिना इजाजत नेताओं से नहीं मिल सकते पूर्वी दिल्ली निगम के अधिकारी
बता दें कि कुछ इसी तरह का एक सर्कुलर पूर्वी दिल्ली नगर निगम की ओर से भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी निगम अधिकारी बिना महापौर या निगम आयुक्त की इजाजत के किसी भी निगम पार्षद अथवा नेता से नहीं मिल सकता। ऐसे में विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि आखिर सत्ताधारी बीजेपी के नेता विपक्षी दलों की आवाज को क्यों बंद करना चाहते हैं?