-उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने जारी किया सर्कुलर
-महापौर की मर्जी से ही मिल सकेगी पार्षदों को जारकारी
-आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
नगर निगम और विवादों का पुराना नाता है। दिल्ली के नगर निगमों और इनके अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर तो पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब निगम पार्षदों का विभिन्न सूचना प्राप्त करने का अधिकार भी छीन लिया गया है। यदि किसी निगम पार्षद को नगर निगम के कामकाज से संबंधित कोई जानकारी की जरूरत है तो उसे अब महापौर की दया पर निर्भर कर दिया गया है। यदि महापौर चाहेंगे तभी किसी पार्षद को नगर निगम से कोई जानकारी मिल सकेगी। सेंट्रल एस्टेब्लिश ब्रांच के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की ओर से अधिकारियों को इस आशय का सर्कुलर जारी किया गया है।
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आश्चर्य की बात तो यह है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लेकिन सत्ताधारी दल बीजेपी और निगम अधिकारी निगम पार्षदों के अधिकारों पर अंकुश लगाने में जुटे हैं। जारी किये गए सर्कुलर के मुताबिक यदि किसी निगम पार्षद को नगर निगम से किसी तरह की सूचना चाहिए तो उसे पहले महापौर के यहां इसके लिए आवेदन देना होगा। यदि महापौर चाहेंगे तभी उस आवेदन को आगे बढ़ाया जाएगा। सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व के इस कदम को विपक्ष पर लगाम लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
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बिना इजाजत नेताओं से नहीं मिल सकते पूर्वी दिल्ली निगम के अधिकारी
बता दें कि कुछ इसी तरह का एक सर्कुलर पूर्वी दिल्ली नगर निगम की ओर से भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी निगम अधिकारी बिना महापौर या निगम आयुक्त की इजाजत के किसी भी निगम पार्षद अथवा नेता से नहीं मिल सकता। ऐसे में विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि आखिर सत्ताधारी बीजेपी के नेता विपक्षी दलों की आवाज को क्यों बंद करना चाहते हैं?