किराये की कोख और 10 लाख का बच्चा

दिल्ली-एनसीआर में फलफूल रहा सरोगेसी का धंधा
आगरा से नेपाल तक जुड़े बच्चों के सौदागरों के तार
बच्चा बाजार में नेपाल से है लड़कियों की ज्यादा मांग

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर से लेकर देश के कई बड़े शहरों में किराये की कोख का कारोबार तेजी से अपने पैर पसार रहा है। खास बात है कि यह धंधा सरोगेसी के नाम खुलेआम चलाया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर के कुछ सरोगेसी सेंटर्स और अस्पताल इसके बड़े सेंटर्स बन चुके हैं। आगरा, दिल्ली, गुरूग्राम, फरीदाबाद से लेकर इस धंधे के तार नेपाल तक जुड़े हैं। आश्चर्य की बात है कि इस धंधे में खुलेआम लिंग परीक्षण किया जा रहा है और नेपाल से ज्यादा मांग नवजात लड़कियों की आ रही है। बच्चा-बाजार में एक नवजात बच्चे की कीमत आठ से 10 लाख रूपये है।

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यह सनसनीखेज खुलासा आगरा पुलिस ने किया है। पुलिस ने एक माह के तीन नवजात बच्चों को नेपाल बेचने जा रही दो महिलाओं सहित पांच लोगों को आगरा पुलिस ने शनिवार को जेल भेज दिया। पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। दूसरी ओर नवजात बच्चों को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया गया है। एसएसपी आगरा के मुताबिक आरोपी एक बच्चे का आठ लाख रुपये में सौदा करते थे। मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे बहुत से सफदपोशों के फंसने की उम्मीद है। बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र जारी करने वाले दो अस्पतालों के नाम भी पता चल गए हैं। यह दोनों अस्पताल हरियाणा के फरीदाबाद में हैं।

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शुक्रवार 19 जून को आगरा पुलिस ने फतेहाबाद टोल प्लाजा पर दो गाड़ियों को रोका था। दोनों गाड़ियों में दो चालक, दो महिलाएं, एक पुरुष और तीन नवजात बच्चे मिले थे। पुलिस यह दविश पहले मिली जानकारी पर दी थी। पुलिस को बताया गया था कि मामला मानव तस्करी से जुड़ा है। पूछताछ में पता चला कि गैंग निःसंतान दंपत्तियों को बच्चे बेचता है।

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पुलिस के मुताबिक यह गिरोह के लोग पहले ऐसी महिलाओं को अपने जाल में फंसाते थे जो आर्थिक रूप से कमजोर हों और अपने पति से अलग रहती हों। उसके बाद उन्हें किराए पर कोख (सेरोगेसी) देने के लिए तैयार करते थे। यह तीनों बच्चे भी ऐसे ही पैदा हुए थे। डिलीवरी के बाद बच्चों को नेपाल में एक महिला के सुपुर्द किया जाना था। नेपाल की उस महिला का नाम अस्मिता है। वह नेपाल में अपना अस्पताल चलाती है। बताया जा रहा है कि नेपाल में लड़कियों की ज्यादा मांग है।

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एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि पूछताछ में चालकों ने अपने नाम अमित (बदरपुर, दिल्ली), राहुल (हर्ष विहार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली) बताए हैं। उनके साथ गाड़ी में धीरज नगर सेक्टर 31 फरीदाबाद में रहने वाला प्रदीप, रूबी व नीलम सवार थे। तलाशी में आरोपियों के पास से देवी हॉस्पिटल व गैटवैल हॉस्पिटल, सेक्टर 19 फरीदाबाद (हरियाणा) के कागजात मिले हैं। ये कागजात नवजात बच्चों के जन्म से संबंधित हैं। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इन बच्चों का जन्म उन्हीं अस्पतालों में हुआ है या फिर यह कागजात फर्जी तैयार कराये गए हैं।
पति से अलग रहने वाली महिलाएं बनती हैं शिकार
पूछताछ के दौरान आरोपी रूबी ने बताया है कि इस गैंग की सरगना नीलम है। वही लोगों को एजेंट बनाती है। इस धंधे के लिए ऐसी महिलाओं को अपने जाल में फंसाती है जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है और अपने पतियों से अलग रहती हैं। नीलम ऐसी महिलाओं को गर्भधारण करके पैसा कमाने का लालच देती है। महिलाएं भी इसके लिए तैयार हो जाती हैं। एक डॉक्टर के माध्यम से महिला को गर्भधारण कराया जाता है। शुक्राणु उस पुरुष के लिए जाते हैं जो बच्चे की मांग करते हैं। शादी के बाद उसकी पत्नी के कोई बच्चा नहीं हो रहा होता है।
किश्तों में किया जाता है भुगतान
सरोगेसी के लिए फंसाई गई महिलाओं को गैंग के लोग किश्तों में भुगतान करते हैं। पुलिस के मुताबिक तीन नवजात बच्चों में दो जुड़वा लड़कियां हैं। इन बच्चियों को बिहार की एक महिला ने जन्म दिया था। महिला फरीदाबाद में रहती है। उसे तीन किश्तों में साढ़े तीन लाख रुपये दिये गए थे। एक बच्चा आठ से 10 लाख रुपये में बेचा जाता है। पूरा खर्चा काटने के बाद नीलम को करीब तीन लाख रुपये बच जाते हैं। गर्भधारण से लेकर महिला की देखभाल करना और उसकी डिलीवरी कराने की जिम्मेदारी नीलम की रहती है। वह महिला को गर्भधारण करते ही पहली किश्त देती है। दूसरी किश्त डिलीवरी से सात दिन पहले और तीसरी किश्त बच्चा सुपुर्द करते समय दी जाती है।
जेल भेजे पांचों आरोपी, बाल कल्याण समिति को दिये बच्चे
एसएसपी के मुताबिक एसपी देहात पूर्वी प्रमोद कुमार और सीओ फतेहाबाद प्रभात कुमार ने देर रात तक आरोपियों से पूछताछ की थी। उसके बाद तय हुआ कि मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पांचों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया था। बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी कौन निभाएगा यह समिति तय करेगी। पुलिस की एक टीम जल्दी ही फरीदाबाद जाकर जांच करेगी।