BJP नेतृत्व पर सवालिया निशान… क्या खाली करा सकेंगे नेशनल क्लब सहित चार क्लबों की सरकारी जमीन?

-पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने खाली कराई जानी है करीब 12 हजार वर्ग गज जमीन
-निगम पैसे-पेसे को मोहताज… क्लब प्रबंधन काट रहे हर महीने लाखों रूपये की चांदी
-अरबों रूपये की जमीन को खाली कराने के मूड में नहीं दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेताः सूत्र

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने बाग दीवार पर स्थित चार क्लबों की जमीन को खाली कराने का फैसला किया है। लेकिन इसी के साथ प्रदेश भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान लग गया है। फंड को लेकर लगातार आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार को घेरने वाले बीहेपी नेता क्या खुद की सत्ता वाले नगर निगम की संपत्तियों को कब्जे से खाली करा पाएंगे? पुरानी दिल्ली के चार क्लबों से सरकारी जमीन खाली कराने के लिए बुधवार 10 फरवरी को स्थायी समिति की बैठक में एक प्रस्ताव लाया जा रहा है।

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लेकिन स्थायी समिति में यह प्रस्ताव आने से पहले ही इस पर लीपा पोती की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली बीजेपी के बड़े नेता नगर निगम की अरबों रूपये की इस जमीन को खाली कराने के पक्ष में नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के बड़े नेताओं ने निगम के नेताओं को ‘आदेश’ दिया है कि इस प्रस्ताव को किसी भी रूप में पास नहीं किया जाना चाहिए। बुधवार को होने वाली उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक के एजेंडे में यह प्रस्ताव आइटम संख्याः 136 के तहत लाया जा रहा है।

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बता दें कि फतेहपुरी स्थित क्वीन्स गार्डन (बाग दीवार) की जमीन को नेशनल क्लब, राधे मोहन क्लब, यूनियन क्लब और यंगमैन टेनिस क्लब को टेनिस जैसे खेलों और सामाजिक गतिविधियों के आयोजन के लिए दिया गया था। लेकिन अब इन क्लबों में किसी तरह के खेलों का आयोजन नहीं किया जाता है। नेशनल क्लब में तो टेनिस कोर्ट ही खत्म कर दिया गया है। वहीं क्लबों के संचालकों द्वारा अरबों रूपये की इस सरकारी जमीन का उपयोग कमर्शियल तौर पर किया जा रहा है और लोगों से हर महीने लाखों रूपयों की वसूली की जा रही है। जबकि नगर निगम आर्थिक तंगी झेल रहा है और उसे अपनी इस जमीन से कोई आमदनी नहीं हो रही है। निगम अधिकारियों ने अब चारों क्लबों से अपनी जमीन को खाली कराने का फैसला किया गया है। इनमें से यंगमैन टेनिस क्लब, राधे मोहन क्लब और यूनियन क्लब के प्रबंधन को सरकारी जमीन खाली करने के लिए पब्लिक प्रीमिसेज एक्ट- 1971 के तहत नोटिस जारी कर दिये गए हैं।

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इसी तरह नगर निगम के कानूनी विभाग ने नेशनल क्लब की जमीन को भी पब्लिक प्रीमिसेज एक्ट- 1971 के तहत खाली कराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है। बुधवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक में नेशनल क्लब को टेनिस के खेल और दूसरी गतिविधियां आयोजित करने के लिए जारी की अनुमति को भी रद्द करने के लिए प्रस्ताव लाया जा रहा है। ताकि नेशनल क्लब से सरकारी जमीन को खाली कराने की प्रक्रिया को शुरू किया जा सके। नेशनल क्लब को नगर निगम ने यह अनुमति 26 फरवरी 2007 को प्रस्ताव संख्याः 857 के जरिए दी थी।

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बता दें कि नेशनल क्लब के पास 3 हजार 88 वर्ग गज सरकारी जमीन है। जबकि बाकी तीनों क्लबों के पास भी 3-3 हजार वर्ग गज के आसपास ही सरकारी जमीन है। प्राप्त सूचना के मुताबिक इन क्लबों को यह जमीन आजादी से पहले दी गई थी। फतेहपुरी अंडर ग्राउंड पार्किंग के पास की जमीन शुरूआत में बीडन क्लब को दी गई थी, बाद में उसे नेशनल क्लब के नाम से जाना गया। खास बात यह है कि इन क्लबों को दी गई जमीन के बारे में कभी भी नगर निगम और क्लबों के प्रबंधन के बीच कोई लीज डीड नहीं बनाई गई है। बताया जा रहा है कि 2007 में नेशनल क्लब के लिए मासिक शुल्क 15 हजार रूपये तय किया गया था, जो कि क्लब प्रबंधन की ओर से अगस्त 2020 तक का जमा कराया गया बताया जा रहा है।

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बताया जा रहा है कि इन चार में से एक क्लब पर नगर निगम के ही एक पूर्व यानी रिटायर्ड अधिकारी का कब्जा है। भारी आर्थिक तंगी झेल रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि रेलवे स्टेशन के सामने स्थित अरबों रूपये की सरकारी जमीन को खाली करवाकर कोई बड़ी परियोजना शुरू की जा सकती है, जिससे निगम को अच्छी आमदनी शुरू हो सकती है। अब देखना यह है कि निगम अधिकारियों की इस परियोजना को दिल्ली बीजेपी के नेता हरी झंडी देते हैं या फिर बड़े स्तर पर इस सरकारी जमीन की बंदरबांट में खुद भी शामिल हो जाएंगे?