-सावन की शुरुआत के साथ लग चुका पंचक काल
आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
सनातन धर्म एवं हिंदू धर्म संस्कृति में सावन के महीने का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष इस पावन महीने की शुरूआत रविवार 25 जुलाई 2021 से हो चुकी है। इसके साथ ही पंचक काल भी लग गया है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने पर मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में पंकच काल को निषिद्ध काल भी कहा जाता है और इस समय को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करने का काल पंचक काल कहलाता है। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि चन्द्रमा के कुम्भ और मीन राशियों में भ्रमण से पंचक काल का जन्म होता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम द्वारा रावण का वध करने की तिथि के समय के बाद से 5 दिन तक पंचक मनाने की परंपरा है।
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पंचांग के अनुसार पंचक काल की शुरुआत 25 जुलाई 2021 को रात्रि 10 बजकर 48 मिनट से हो चुकी है। इस पंचक काल का समापन 30 जुलाई 2021 को दोपहर 2 बजकर 3 मिनट पर होगा। ज्योतिष शा़त्र के मुताबिक इन 5 दिनों में कोई शुभ काम जैसे कि विवाहित बेटी की विदाई, नए काम की शुरुआत आदि भी नहीं की जाती है। वहीं पंचक काल में किसी व्यक्ति की मृत्यु भी को संकट का पर्याय माना जाता है।
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मान्यता है कि यदि किसी परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल के दौरान हो जाती है तो उसी परिवार या खानदान के 5 परिजनों को किसी न किसी प्रकार का बड़ा रोग, शोक या कष्ट हो सकता है। या फिर परिवार या खानदान में से 5 अन्य लोगों की मौत भी जल्दी-जल्दी हो सकती है। ऐसी स्थिति में गरुड़ पुराण में मृतक का अंतिम संस्कार करने के खास तरीके बताए गए हैं, उनका पालन करने से परिवार के बाकी सदस्यों के सिर से संकट टल जाता है।
भूल कर भी न करें ये काम
सनातन धर्म में पंचक काल को बहुत अशुभ समय माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन 5 दिनों में शुभ कार्यों की शुरूआत करना अच्छा नहीं माना जाता। इस समय में कुछ विशेष कार्य करने की सख्त मनाही की गई है।
–पंचक काल में कभी लकड़ी नहीं खरीदना चाहिए।
–यदि घर का निर्माण करा रहे हों तो पंचक काल में छत नहीं डलवाएं, अन्यथा परिवार पर बड़ा संकट आ सकता है।
–पंचक काल में घर के लिए बेड, चौपाई आदि नहीं खरीदें।
–पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए, इसा करना बेहद अशुभ माना गया है।
(यह आलेख भारतीय सनातन परंपरा एवं ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित है और जनरूचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसके लिए कोई विशेष दावा नहीं है। अपने समाचार, लेख एवं विज्ञापन छपवाने हेतु संपर्क करेंः- ईमेलः newsa2z786@gmail.com मोबाइलः 7982558960)