अवरोधों के चलते गति नहीं पकड़ सकी मालिकाना हक देने वाली ‘पीएम उदय’ योजना

-दो साल में महज 6,229 को ही मिल सका मालिकाना हक
-4 लाख 13 हजार से ज्यादा लोगों ने किया संपत्ति का पंजीकरण
-डीडीए अधिकारियों का नहीं मिल रहा लोगों को सहयोग
-सत्यापन करने वाली एजेंसी के लोग भी कर रहे परेशान

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को उनकी संपत्तियों का मालिकाना हक देने वाली ‘पीएम उदय’ योजना गति नहीं पकड़ पा रही है। इस योजना के तहत दिल्ली वासियों ने तो खूब दिलचस्पी दिखायी लेकिन तकनीकी अवरोधों के चलते महज कुछ लोगों को ही अपनी सपत्तियों का मालिकाना हक मिल पाया है। लोगों की शिकायत है कि एक ओर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के लोग लोगों को बार-बार चक्कर लगाने के लिए मजबूर करते हैं, दूसरी ओर सत्यापन करने वाली निजी एजेंसियों के कर्मचारी भी लोगों को परेशान कर रहे हैं।

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आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दो वर्षों में अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले 4 लाख 13 हजार 243 लोगों ने डीडीए में अपनी संपत्तियों का पंजीकरण कराया है। जबकि डीडीए अब तक महज 6 हजार 229 लोगों को ही उनकी संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज मुहैया करा पाया है। बता दें कि बीते एक सप्ताह में करीब 27 हजार संपत्तियों का पंजीकरण कराया गया है। मालिकाना हक के दस्तावेज मुहैया कराने की गति से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डीडीए अधिकारी आम लोगों को कितना सहयोग कर रहे हैं।

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बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोगों के लिए ‘पीएम उदय योजना’ की शुरूआत की थी। योजना को शुरू करते समय दिल्ली वालों को बड़े-बड़े सपने दिखाये गए थे। दिल्ली में 2020 में विधानसभा चुनाव के समय भी भारतीय जनता पार्टी ने इस योजना को खूब भुनाने की कोशिश की थी। बीजेपी नेताओं ने हजारों लोगों को सर्टिफिकेट बांटे जाने के दावे किये थे। लेकिन डीडीए के आंकड़ों ने बीजेपी नेताओं के दावों की हवा निकाल कर रख दी है।

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डीडीए अधिकारियों के व्यवहार से लोग इतने ज्यादा परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री के ट्विटर हैंडल पर शिकायत की है कि डीडीए अधिकारी उन्हें बिना मतलब के बार-बार चक्कर लगवा रहे हैं। बार-बार दौड़ाने के बाद अधिकारी कह देते हैं कि ‘‘आपका जीआईए सर्वे ठीक नहीं हुआ है।’’ वहीं केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने दावा किया है कि अब तक कुल 40 हजार 746 संपत्तियों के दस्तावेजों की स्क्रूटिनी की जा चुकी है। हालांकि अब तक डीडीए को 71 हजार 415 आवेदन मिले हैं। पिछले एक महीने में कुल 3 हजार 359 लोगों को अधिकृत स्लिप जारी की गई है और 2 हजार 870 संपत्तियों के मालिकों को सीडी जारी की गई है।

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सार्थक जन मंच के संरक्षक रमेश राघव ने बताया कि सारा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है। डीडीए अधिकारी बिना मोटे पैसे लिये किसी का काम नहीं कर रहे हैं। जो पैसे नहीं दे रहा है, उससे बार-बार चक्कर कटवाये जा रहे हैं। यहां तक कि जो लोग विभिन्न एजेंसियों द्वारा ग्राउंड सर्वे के लिए लगाये गए हैं, वह लोग भी खुलेआम रिश्वत की मांग करते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को आ रही है, जिनकी संपत्तियों में कोई छोटा-मोटा व्यावसायिक काम हो रहा है। उन लोगों के काम को भी अटका दिया जाता है जो मकान छोटे-छोटे प्लाटों को जोड़कर बनाये गए हैं। हालांकि खुद दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ही एक से अधिक प्लाटों को जोड़कर बनाये मकानों को हरी झंडी देने की योजना को मंजूरी दे रखी है।