NORTH DMC अधिकारियों की एक और मनमानी… पंचकुईयां रोड श्मशान को COVID-19 से दी मुक्ति!

-एक संगठन को जारी किया करार खत्म करने का नोटिश और दूसरे को नहीं दिया जवाब
-नोडल अधिकारी की बड़ी लापरवाहीः श्मशान घाटों को जारी नहीं की गई कोई गाइडलाइंस
-चार में से तीन शमशान घाटों पर ही हो रहा कोराना से मृत-शवों का लकड़ी से दाह-संस्कार

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
नगर निगम के आला अधिकारियों की लापरवाहियां और मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन अधिकारियों ने निगम बोध घाट की संचालन समिति को नोटिस जारी किया था, लेकिन समिति की ओर से मिले जवाब के बाद से अधिकारियों को सांप सूंघ गया है। दूसरी ओर पंचकुईयां रोड श्मशान घाट का संचालन करने वाली समिति ने निगम अधिकारियों के सामने पहले सभी श्मशान घाटों को कोरोना के लिए अधिकृत करने की शर्त रख दी है।

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इसके बाद से निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लंबी तानकर सो गए हैं। जबकि दिल्ली में कोरोना की स्थिति भयानक मोड़ पर पहुंच चुकी है। एक ओर लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं तो दूसरी ओर मरने वालों का श्माशान में भी जगह नहीं मिल पा रही है। नोडल एजेंसी बने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। लकड़ी से दाह संस्कार के लिए निगम स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों ने पूरी दिल्ली में केवल चार श्मशान घाट ही तय किए हैं। इन चार में से एक श्मशान घाट की संचालन समिति ने शवों का दाह-संस्कार करने से मना कर दिया है। फिर भी लापरवाह अधिकारी अस्त-व्यस्त व्यवस्था को ठीक करने के लिए कुछ करने को तैयार नहीं हैं।

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बता दें कि सीएनजी से दाह संस्कार के लिए दिल्ली में निगम बोध घाट और पंजाबी बाग श्मशान घाट में ही व्यवस्था है। जबकि लोधी रोड श्मशान घाट पर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह को कोरोना से मरने वालों के संस्कार के लिए तय किया गया था। इसके लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोडल बॉडी तय किया गया है। इसकी जिम्मेदारी निगम स्वास्थ्य अधिकारी (एमएचओ) डॉक्टर अशोक रावत को दी गई है। उन्होंने 17 मई 2020 को इसका आदेश जारी किया था।

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इसके बाद कोरोना से मरने वालों के शवों की संख्या बढ़ने पर एमएचओ डॉक्टर रावत ने 26 मई को एक और आदेश जारी करते हुए निगम बोध घाट, पंजाबी बाग श्मशान घाट, पंचकुईयां रोड श्मशान घाट और पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा श्मशान घाट को लकड़ी से शवदाह करने के निर्देश जारी किए थे।

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लेकिन पंचकुईयां रोड श्मशान घाट का संचालन करने वाली बद्री भगत टैंपल सोसाइटी ने निगम अधिकारियों के निर्णय पर सवाल उठाते हुए पूछ लिया कि उन्होंने दिल्ली के सभी श्मशान घाटों को इसके दायरे में क्यों नहीं रखा? इसके बाद से एमएचओ डॉक्टर अशोक रावत सहित निगम के दूसरे बड़े अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
श्मशान घाटों के लिए जारी नहीं किये गए गाइडलाइंस
पंचकुईयां रोड श्मशान घाट का संचालन करने वाली बद्री भगत टैंपल सोसायटी ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि उन्होंने दिल्ली में केवल चार श्मशान घाटों को ही कोरोना से मौत वाले शवों के संस्कार के लिए क्यों चुना है? समिति ने कोरोना महामारी से जुड़े दाह संस्कार के लिए गाइडलाइंस जारी करने की मांग भी की है। लेकिन निगम के आला अधिकारियों ने इसके लिए कोई गाइडलाइंस जारी नहीं किए।

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बद्री भगत टैंपल सोसायटी के प्रमुख कुलभूषण आहूजा ने बताया कि हमने निगम अधिकारियों से इस मामले में गाइडलाइंस जारी करने के लिए कहा है। हमने उन्हें यह भी कहा है कि केवल चार श्मशान ही उन्होंने कोरोना के लिए क्यों चुने हैं? पहले वह सभी श्मशान घाटों को इसके लिए आदेश जारी करें। लेकिन निगम अधिकारियों ने हमें अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
जारी नहीं कर सके एक भी नोटिस
समिति की ओर से भेजे गए पत्र के बाद से निगम अधिकारी इतने डरे हुए हैं कि पंचकुईयां रोड श्मशान घाट पर कोरोना से मरने वालों का एक भी शव यहां नहीं भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि नीचे से ऊपर तक के सारे अधिकारी बुरी तरह डरे हुए हैं। कारण है कि समिति के एक पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बड़े पदाधिकारी हैं। इसके चलते डीएचओ या एमएचओ की ओर से इस समिति को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया।
पूर्वी दिल्ली में कड़कड़डूमा श्मशान
नगर निगम ने पूर्वी दिल्ली में फिलहाल एक श्मशान घाट को ही कोरोना से मरने वालों के शवों को दाह-संस्कार के लिए निश्चित किया गया है। यहां भी कोविड-19 के आने वाले शवों की संख्या बेहद कम है। यहां 2 जून को 5 और 4 जून को 2 मामले आए थे। जबकि 6 जून को 7 मामले सामने आए हैं। निगम की सूची में ज्यादा श्मशान घाट शामिल नहीं होने की वजह से ज्यादा भार निगम बोध घाट पर ही पड़ रहा है।
पूर्वी दिल्ली में और दो श्मशान
पूर्वी दिल्ली के अस्पतालों में कोरेना से होने वाली मौतों के मामले में सीमापुरी और गाजीपुर के श्मशान घाटों को यह जिम्मेदारी दी जा सकती थी। नोडल एजेंसे होने के बावजूद उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने इसके लिए कोई कदम उठाना जरूरी नहीं समझा। तय किए गए चार में से भी केवल तीन श्मशान ही नगर निगम के आदेश को मान रहे हैं।