NORTH DMC: अधिकारियों का कारनामा… अनुबंध खत्म और बांट दिया करोड़ों रूपये का खजाना

-2017 में ही खत्म हो गया था हिंदू राव मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी स्टाफ का अनुबंध
-जरूरी दस्तावेजों की फाइलें गुम, अनियमितता पर पर्दादारी की कवायद में अधिकारी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में आल अधिकारियों द्वारा बरती गई बड़ी अनियमितता का मामला सामने आया है। इसकी वजह से हर महीने करोंड़ों रूपये का भुगतान होता रहा और किसी ने गौर ही नहीं किया। जब मामला सामने आया तो अब अधिकारियों द्वारा हाउस में प्रियंबल लाकर इस पर पर्दा डालने की तैयार की जा रही है। निगम के आला अधिकारी अपनी और अपने साथियों की खाल बचाने में जुट गए हैं। आश्चर्य की बात है कि पिछले दिनों निगम स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में बैठक की गई, लेकिन इसमें भी इस अनियमितता के लिए जिम्मेदारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की कोई बात नहीं की गई।

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मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदू राव मेडिकल कॉलेज का है। इसकी स्थापना 2013 में की गई थी। एमबीबीएस की 50 सीट वाले इस मेडिकल कॉलेज के लिए फैकल्टी और अन्य स्टाफ की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी। आखिरी बार इन नियुक्तियों को 31 दिसंबर 2017 तक के लिए स्वीकृति दी गई थी। लेकिन इसके करीब साढ़े तीन साल गुजर जाने के बावजूद न तो अब तक अनुबंध बढ़ाए गए और ना ही फैकल्टी और दूसरे स्टॉफ को काम से हटाया गया।

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आश्चर्य की बात है कि जब मामला सामने आया तो विभाग की अतिरिक्त आयुक्त रश्मि सिंह ने संबंधित अधिकारियों को स्थायी समिति और हाउस में प्रियंबल लाने के आदेश जारी कर दिए। दरअसल अनुबंध खत्म होने के बावजूद फैकल्टी मेंबर्स और दूसरे स्टाफ को सेलरी दिए जाने का मामला वित्तीय अनियमितता के तहत आता है। नगर निमम का करोड़ों रूपया सेलरी और अन्य भत्तों के रूप में बांट दिया गया। लेकिन निगम के आला अधिकारी इस मामले की जांच कराने को और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को तैयार नहीं हैं।
निगम के अधिकार क्षेत्र से बाहर
कानून के जानकारों का कहना है कि निगम के आला अधिकारियों की वित्तीय अनियमितता का यह मामला अब उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र से बाहर जा चुका है। एडवोकेट मदन लाल गुप्ता का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में अनुबंध के आधार पर रखे गए फैकल्टी स्टाफ और कर्मचारियों का
अनुबंध 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो चुका है। यह मंजूरी पुराने नगर निगम ने अपने कार्यकाल में दी थी। इसके बाद 2017 में चुनाव हुए और निगम का अगला कार्यकाल चल रहा है। निगम के द्वारा अनुबंधित फैकल्टी और अन्य स्टॉफ के अनुबंध को 2017 या फिर 2018 में फिर से बढ़ाया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब नगर निगम साढ़े तीन साल बाद इन फैकल्टी और स्टाफ के साथ नया अनुबंध तो कर सकता है लेकिन पुराने समय के वेतन के भुगतान या फिर उसी अनुबंध अब तक बढ़ाकर कानूनी जामा नहीं पहना सकता।
संबंधित अधिकारियों के वेतन से हो कटौती
एडवोकेट मदन लाल गुप्ता का कहना है कि यह गंभीर वित्तीय अनियमितता है। इसके लिए निगम के वह अधिकारी जिम्मेदार हैं जिनके ऊपर अनुबंध के फैकल्टी और स्टाफ का अनुबंध बढ़वाने की जिम्मेदारी थी। चाहे वह किसी भी स्तर के अधिकारी हों, अब केवल एक ही रास्ता बचता है कि वेतन में दी गई करोड़ों रूपये की राशि को उन अधिकारियों के वेतन और संपत्तियों से वसूला जाए, जो इस अनियमितता के लिए जिम्मेदार हैं।
अधिकारियों ने गायब कर दी फाइल
बैठक में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट्स की सेलरी में असमानताओं को दूर करने का मुद्दा भी सामने आया। इसे दूर करने के लिए एक फाइल चलाई गई थी। लेकिन महत्वपूर्ण दस्तावेजों वाली यह फाइल गायब पाई गई है। यह फाइल गायब हो गई लेकिन अतिरिक्त आयुक्त को इससे कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने इसकी जांच कराने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किये हैं।
मांगी वित्तीय अनियमितता की रिपोर्टः जय प्रकाश
उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने निगम में हुई इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितता की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है कि इतने बड़े स्तर पर अनियमितता बरती गई। साढ़े तीन साल बाद पुराने अनुबंध को फिर से बहाल नहीं किया जा सकता। इस तरह की अनियमिततताओं को मंजूरी देना निगम के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उन्होंने कहा कि इस मामले का पहले गहन अध्ययन किया जाएगा, फिर इसका कोई हल निकालने की कोशिश की जाएगी।
बीजेपी नेताओं के संरक्षण में पनप रहा भ्रष्टाचारः आप
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेताओं के संरक्षण में नगर निगम में भ्रष्टाचार पनप रहा है। निगम के स्वास्थ्य विभाग में बड़े-बड़े घोटाले बीजेपी नेताओं के संरक्षत में किए जा रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एमएचओ के पद पर कई-कई मामलों के चार्जशीटेड अधिकारी को बैठा रखा है। जबकि नियमानुसार किसी दागी अधिकारी को कोई बड़ा और जिम्मेदारी वाला पद नहीं दिया जा सकता। इसी तरह बीते साढ़े तीन साल से निगम के आला अधिकारी बिना अनुबंध के फैकल्टी मेंबर्स और स्टाफ को सेलरी देते रहे और किसी को पता ही नहीं चला। हमारी मांग है कि वेतन में बांटी गई करोड़ों रूपये की राशि संबंधित अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए। ताकि निगम से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके।