-केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिले पैसे की बंदरबांट का मामला
-बना ड्राईवरों और स्प्रिंकलर्स की व्यवस्था किये खरीद डाले 104 टेंकर
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
बात-बात पर फंड के लिए दिल्ली सरकार की ओर कटोरा लेकर हाथ फैलाने वाले दिल्ली के नगर निगमों का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। अफसरशाही और निगम नेतृत्व की लापरवाही ने नगर निगम को करोड़ों रूपये की चपत लगा दी है। मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम से जुड़ा है, जहां केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिले करोड़ो रूपये से खरीदे गये पानी के टेंकर स्प्रिंकलर्स और ड्राईवरों के अभाव में बीते तीन साल से जंग खा रहे हैं। खास बात ये है कि जब इन टैंकर्स की खरीदारी हुई तब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता उत्तरी दिल्ली के महापौर थे।
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बता दें कि केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिली राशि में से 2019 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 104 पानी के टेंकर खरीदे थे। इनकी क्षमता 3 हजार लीटर की है और इन्हें उत्तरी दिल्ली के सभी 104 वार्डों में सड़कों और चौड़ी गलियों में पानी के छिड़काव के लिए भेजा जाना था। ताकि शहर में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके। महिंद्रा कंपनी से इन टेंकर्स की खरीदारी करीब 11 करोड़ रूपये में की गई थी। लेकिन आज इनमें से ज्यादातर गाड़ियां नरेला जोन के एक वार्ड में स्थित गोदाम में खड़ी जंग खा रही हैं।
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खास बात है कि खरीदारी के दिन से ही इनमें से एक भी गाड़ी का एक दिन भी उपयोग नहीं हो पाया है और सभी गाड़ियां खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं। इन सभी 104 टेंकरों में स्प्रिंकलर्स लगवाये जाने थे, लेकिन तीन साल बाद भी इनमें से केवल पांच गाड़ियों पर ही स्प्रिंकलर्स लगाये जा सके हैं। यदि गाड़ियों की खरीदारी से पहले इस पैसे का योजना बनाकर उपयोग किया जाता तो जनता के खून-पसीने की कमाई से दिये गये टैक्स का यह करोड़ों रूपया बेकार नहीं जाता।
ड्राईवर नहीं होने की वजह से नहीं हो सका उपयोग
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि निगम में ड्राईवरों की कमी की वजह से इन टेंकरों का उपयोग नहीं हो पाया है। नगर निगम में पहले ही वर्तमान व्यवस्था के तहत ड्राईवरों की भारी कमी है। इन गाड़ियों को चलाने के लिए 104 ड्राईवरों की नियुक्ति ही नहीं की जा सकी। जिसकी वजह से इनका प्रयोग प्रदूषण को कम करने में नहीं हो पाय है। उन्होंने बताया कि यदि इन टैंकरों को खरीदा नहीं जाता तो केंद्र सरकार से आया हुआ पैसा वापस चला जाता।
बंदरबांट के लिए की गई खरीदारी
बता दें कि इन टैंकरों की खरीदारी से पहले निगम अधिकारियों ने इनके प्रयोग का कोई खाका तैयार नहीं किया था। बताया यह भी जा रहा है कि टैंकरों की खरीदारी में सरकारी पैसे की भारी बंदरबांट की गई है। इतने बड़े स्तर पर खरीदारी के लिए कोई भी बड़ी कंपनी कम पैसों पर यह गाड़ियां उपलब्ध करवा सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और बिना किसी योजना के इन टैंकरों की खरीदारी करके इन्हें नगर निगम के स्टोर में खड़ा कर दिया गया।
विपक्ष के निशाने पर बीजेपी
जोन में भिजवाये जा रहे टैंकर