NORTH DMC: कांग्रेस ने बीजेपी को सुझाया 10 हजार करोड़ का फार्मूला

-निगम में सत्ताधारी बीजेपी ने चुपके से दिल्ली वालों पर डाला संपत्ति कर का बोझः मुकेश गोयल
-दिल्ली वालों पर टैक्स बढ़ोतरी के बोझ के लिए आम आदमी पार्टी बराबर की जिम्मेदारः मुकेश गोयल
-राजस्व बढ़ाने के सुझावों पर अमल हो तो निगम को आ सकता है 10 हजार करोड़ः मुकेश गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने दिल्ली वालों पर डाले गए हाउस टैक्स के बोझ पर विरोध जताया है। उन्होंने शुक्रवार को सदन की विशेष बैठक में कहा कि आम आदमी पार्टी के हंगामे का फायदा उठाकर सत्ताधारी बीजेपी ने चुपके से हाउस टैक्स में बढ़ोतरी कर दी है। म्यूनिसिपल वैलुएशन कमेटी ने 2016 में इसे मंजूरी दी थी। अब चार साल बाद अचानक हाउस टैक्स की दरें बढ़ा दी गई हैं। उन्होंने बताया कि हमने नगर निगम का राजस्व बढ़ाने के लिए सुझाव दिये हैं, यदि सत्ता पक्ष उन पर अमल करता है तो 10 हजार करोड़ रूपये का राजस्व जुटाया जा सकता है।

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मुकेश गोयल ने कहा कि चांदनी चौक की ओमेक्स परियोजना से नगर निगम को 250 करोड़ रूपये प्राप्त होने हैं। लेकिन इसकी वसूली के लिए कोई प्रयास नहीं किये गए। 29 मार्केट्स से नगर निगम को लाइसेंस फीस के रूप में 145 करोड़ रूपये प्राप्त होने हैं। लाजपत राय मार्केट के 893 दुकानदारों की ओर नगर निगम का 95 लाख रूपये लाईसेंस फीस के बकाया हैं और इन्हीं दुकानों की लीज व फ्री-होल्ड़ के लगभग 900 करोड़ रुपये हैं जिसकी वसूली होना बाकी है। इसके अलावा कमर्शियल कॉम्पलैक्सों में लीज होल्ड संपत्तियों से करीब 11 करोड़ रूपये प्राप्त होने हैं। लेकिन इसकी वसूली भी नहीं की जा सकी है।

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मुकेश गोयल ने आगे कहा कि सरकारी संपत्तियों से नगर निगम को करीब 62 करोड़ रूपये संपत्ति कर का लेना है। दिल्ली जल बोर्ड के झंडेवालान मुख्यालय से ही अकेले 4 करोड़, 22 लाख, 63 हजार, 029 रूपये लेने हैं। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (मुख्यालय) से 7 करोड़ 26 लाख 5 हजार 881 रूपये से लेने हैं। दिल्ली सरकार के विकास विभाग (मुख्यालय) से 4 करोड़ 49 लाख 35 हजार 290 रूपये वसूलने हैं। लेकिन इसकी वसूली के लिए सत्ताधारी बीजेपी कोई काम नहीं कर पाई है।

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मुकेश गोयल ने आगे कहा कि एक ओर निगम अपने कर्मचारियों को सेलरी और पूर्व कर्मियों को पेंशन नहीं दे पा रहा है। दूसरी ओर मार्च महीने के बाद से उत्तरी दिल्ली नगर निगम अपने पार्किंग ठेकेदारों और विज्ञापन ठेकेदारों से एक भी पैसा नहीं वसूल पाया है। जबकि इनकी ओर निगम की करोड़ों रूपये की राशि बकाया है।