नॉर्थ डीएमसीः सामुदायिक शौचालयों के निजीकरण पर कांग्रेस का विरोध

-सेलरी देने के बजाय शौचालयों के निजीकरण की ओर बढ़ी बीजेपीः मुकेश गोयल
-स्थायी समिति में शौचालयों के निजीकरण पर लगाया ठप्पाः मुकेश गोयल
-बैठक में केवल नाम के लिए जताया आम आदमी पार्टी ने विरोधः मुकेश गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने नगर निगम के सामुदायिक शौचालयों को निजी हाथों में सोंपे जाने पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की गुरूवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव संख्याः 40 को पास करके बीजेपी ने दिखा दिया है कि उसने निगम की सामुदायिक सेवाओं (शौचालयों) के निजीकरण की ओर कदम बढ़ा दिया है। निगम की खस्ताहाल हालत के लिए आम आदमी पार्टी बीजेपी दोनों ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि आप पार्टी ने भी इस पर केवल नाम के लिए विरोध जताया है।

यह भी पढ़ें- दिल्ली बीजेपी में बवाल जारी… मां-बहन की गालियों से नवाजे जा रहे पार्टी नेता

मुकेश गोयल ने कहा कि इस निर्णय से उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 10 करोड़ रूपये सालाना का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जबकि इस राशि का उपयोग निगम के सफाई कर्मचारियों की सेलरी देने में किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रस्ताव के मुताबिक 131 सामुदायिक शौचालयों को निजी हाथों में सोंप दिया गया है। इस 10 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान गैर योजना मद से निजी कंपनियों को किया जाएगा।

यह भी पढ़ें- पार्किंग-विज्ञापन ठेकेदारों को राहत… माफ होगी कोरोना काल की लाइसेंस फीस

मुकेश गोयल ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में महापौर जय प्रकाश, स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी और निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र लिखकर पहले ही विरोध जताया था। पत्र में यह सलाह भी दी गई थी कि एक ओर नगर निगम अपने सफाई कर्मचारियों सहित दूसरे स्टाफ को समय से वेतन नहीं दे पा रहा है। सेवानिवृत कर्मचारियों को कई महीनों से पेंशन का भुगतान नहीं किया जा सका है। ज्यादातर कर्मचारियों को चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। अब 131 सामुदायिक शौचालयों को निजी हाथों में सोंपकर बड़ी रकम का बोझ नगर निगम पर डाला गया है।

यह भी पढ़ें- जानें कब रखना है महाष्टमी व्रत, रविवार को मनेगा दशहरा

मुकेश गोयल ने आगे कहा कि नगर निगम में सत्ताधारी दल बीजेपी के इस कदम से न केवल निगम के सफाई कर्मचारियों में रोष फैलेगा, बल्कि उनका मनोबल भी टूटेगा। उन्होंने कहा कि इन 131 सामुदायिक शौचालयों का रखरखाव अब भी नगर निगम के सफाई कर्मचारी कर रहे हैं। ऐसे में इन शौचालयों को निजी कंपनियों को सोंपने के बजाय गैर योजना मद से नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह निगम कर्मचारियों के हित में नहीं है।