नॉर्थ निगमः अधिकारियों की निजी कंपनी से मिलीभगत का खुलासा… अवैध दुकानें बनाने को एंबुलेंस में भरकर लाये सीमेंट

-करोलबाग से स्थानांतरित दुकानदारों को नारायणा इलाके में बसाने का मामला

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
निजी बिल्डर कंपनी के साथ निगम अधिकारियों की मिलीभगत का नया मामला सामने आया है। नारायणा इलाके में अवैध दुकानें बानाने के लिए निगम अधिकारियों द्वारा रात के अंधेरे में निर्माण सामग्री भेजी जा रही थी। लेकिन स्थानीय लोगों ने चोरीछिपे रोड़ी, डस्ट, सीमेंट पहुंचाने वालों को पकड़ लिया। तब पता चला कि एक एंबुलेंस में सीमेंट के कट्टे भरकर लाये गये थे। मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम से जुड़ा है।

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गुरूवार की 10 फरवरी की रात को एक एंबुलेंस नारायणा के पीवीआर-कम्युनिटी सेंटर मार्केट की पार्किंग में पहुंची, लेकिन वहां पहले से स्थानीय लोग मौजूद थे। जब उन लोगों ने इस एंबुलेंस को संदिग्ध आलत में यहां खड़े देखा तो वह लोग उसके पास पहुंच गये। जब एंबुलेंस को का दरवाजा खोलकर देखा गया तो उसमें सीमेंट के कट्टे भरे थे। बाद में पता चला कि निगम अधिकारियों और निजी बिल्डर कंपनी की मिलीभगत से इस इलाके में नई दुकानें खड़ी किये जाने की तैयारी थी।

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बता दें कि निजी बिल्डर कंपनी ओमैक्स करोलबाग इलाके में नगर निगम के एक स्कूल और निगम की सरकारी जमीन से जुड़ी एक परियोजना पर काम कर रही है। इसके लिए लंबे समय से अपनी दुकान चलाते आ रहे 45 दुकानदारों को विस्थापित किया गया है। इनमें से निगम अधिकारियों ने 15 दुकानदारों को मोती नगर और 30 दुकानदारों को नारायणा इलाके के कम्युनिटी सेंटर मार्केट की पार्किंग में बसाये जाने की योजना बनाई है।

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नारायणा पीवीआर मार्केट एसोसिएशन इस निर्णय के विरोध में उतर आई है। नारायणा वार्ड से पूर्व निगम पार्षद मालती वर्मा ने बताया कि करोलबाग जोन के डिप्टी कमिश्नर इस बात पर अड़े हैं कि करोलबाग के विस्थापित दुकानदारों को इसी इसी इलाके में दुकानें बनाकर दी जायेंगी। जबकि इलाके के लोग ऐसा नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय दुकानदारों की आपत्ति है कि यदि यहां पर नई दुकानें बना दी गईं तो पार्किंग के लिए स्थान ही नहीं बचेगा। यही कारण है कि स्थानीय दुकानदार इसका लगातार विरोध कर रहे हैं।
16 फुट ऊंची बनाई जानी हैं दुकानें
मालती वर्मा ने बताया कि स्थानीय लोगों के एक प्रतिनिधि मंडल ने करोल बाग जोन के उपायुक्त से मुलाकात की थी, लेकिन उनका रवैया ठीक नहीं है। आश्चर्य की बात है कि निगम अधिकारियों ने निजी बिल्डर कंपनी से मिलीभगत करके यहां 16 फुट ऊंची 30 दुकानें बनाने के लिए मार्किंग की है। इसका मतलब है कि नई दुकानें दो मंजिला बनायी जानी हैं। यहां पहले से ही गाड़ियों के लिए स्थान नहीं है, ऐसे में स्थानीय दुकानदारों ने यहां दिन-रात धरना देने का ऐलान किया है।